नई दिल्ली, 6 दिसंबर (The News Air) नोटबंदी के सात साल बाद भी देश नकली मुद्रा की चुनौती से लगातार जूझ रहा है। पिछले साल अकेले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 16 करोड़ रुपये के नकली नोट जब्त किये गये।
एनसीआरबी की हाल में जारी रिपोर्ट के अनुसार, नोटबंदी के बाद पहले साल में नकली नोटों के प्रचलन में थोड़ी कमी आई थी, लेकिन बाद के वर्षों में इसमें फिर तेजी देखी गई।
देश में पिछले साल 42,10,406 नकली भारतीय मुद्रा नोट जब्त किए गए, जिनकी कुल कीमत 382 करोड़ रुपये थी।
राष्ट्रीय राजधानी में जब्त नकली नोटों में 2000 रुपये के 73,253 नोट; 1000 रुपये का एक नोट; 500 रुपये के 24,476 नोट; 200 रुपये के 3,160 नोट; 100 रुपये के 12,980 नोट; 50 रुपये के 5,706 नोट; 20 रुपये के 26 नोट; और 10 रुपये के 31 नोट शामिल हैं।
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने हाल ही में सरगना सहित पांच लोगों को गिरफ्तार कर एक अंतर-राज्यीय नकली नोट गिरोह का भंडाफोड़ किया था और 500 रुपये के 19 लाख रुपये से ज्यादा मूल्य के नकली नोट बरामद किये थे।
उल्लेखनीय है कि जाली मुद्रा भारतीय दंड संहिता के तहत एक दंडनीय अपराध है, और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967, नकली भारतीय मुद्रा के उत्पादन, तस्करी या संचलन को आतंकवादी कृत्य के रूप में नामित करता है।
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी नकली नोटों की इस आमद का एक बड़ा स्रोत पश्चिमी पड़ोसी देश पाकिस्तान को बताते हैं। उनका तर्क है कि पाकिस्तान नकली मुद्रा लाकर भारत की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने के अपने दुर्भावनापूर्ण प्रयासों में लगा हुआ है।
अधिकारियों ने कहा, “पश्चिमी सीमा पर कड़े सुरक्षा उपायों के बावजूद, पाकिस्तान ने नकली धन की घुसपैठ के लिए वैकल्पिक मार्गों को अपनाया है और अब भारत के साथ सीमा साझा करने वाले दूसरे पड़ोसी देशों का इस्तेमाल कर रहा है।”
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, नोटबंदी के बाद काठमांडू (नेपाल), बांग्लादेश और भारत में बड़ी मात्रा में जाली नोटों की बरामदगी की जांच से पता चला है कि पहले नकली नोटों की बड़ी खेप हवाई मार्ग से खाड़ी देशों के रास्ते पाकिस्तान से नेपाल और बांग्लादेश पहुंचाई जाती है। इसके बाद नेपाल और बांग्लादेश की खुली अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के माध्यम से भारत में नकली धन की तस्करी की जाती है।