चंडीगढ़, 13 जुलाई (The News Air)
देश में मॉनसून की दस्तक के साथ ही कई राज्यों में लोग आकाशीय बिजली का शिकार हुए हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और मध्य प्रदेश में कई लोग आकाशीय बिजली के सम्पर्क में आने से मारे गए। आकाशीय बिजली का कहर अधिकतर खेतों में काम करने वाले किसानों या बाहर घूमने गए लोगों पर पड़ रहा है।
वाकयी बाढ़ और बिजली गिरने जैसी आपदाओं की वजह से हर साल जान-माल का नुक्सान होता है। ऐसे में इस ख़तरे को हम कैसे कम कर सकते हैं, इसके बारे में जानना बेहद ज़रूरी है। आकाशीय बिजली के समय बचाव के लिए लोगों को क्या क़दम उठाने चाहिए बता रहे हैं राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण प्रबंधन के सदस्य कृष्णा एस. वत्स…
आकाशीय बिजली के समय बचाव के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या है?– राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण प्रबंधन के सदस्य कृष्णा एस. वत्स बताते हैं कि जैसे ही मानसून का मौसम शुरू होता है, यह ख़तरा बढ़ जाता है। इस बार जून में मानसून शुरू हुआ था लेकिन थोड़ा कमज़ोर पड़ गया, वहीं अब जुलाई में फिर से मानसून की एक्टिविटी बढ़ गई है। मानसून शुरू होने के समय और मानसून के अंत होने के वक़्त आकाशीय बिजली गिरने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में हमें सूचनाओं पर ध्यान देना चाहिए। लोगों को ऐसी स्थिति में घरों के भीतर ही रहना चाहिए और जब आकाश में बिजली कड़कड़ाती हो तो बहुत आवश्यक है कि लोग सुरक्षित जगहों पर रहें। बारिश के मौसम में लोग खुले आकाश के नीचे बिल्कुल न रहें और नदी और तालाबों के नज़दीक भी न जाएं।
अगर आप घर में हैं तो क्या क़दम उठाएं की आकाशीय बिजली गिरने से नुक्सान कम हो?– कृष्णा एस. वत्स बताते हैं, यदि लोग आकाशीय बिजली गिरने के वक़्त घर में रहते हैं तो कोई ज़्यादा समस्या नहीं आती। हालांकि ऐसे में एक बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि आप अपने घर में अर्थिंग की समस्या को ठीक रखें और बिजली की तारों के समीप न जाएं। ऐसे मौसम में ध्यान रखें कि कोई भी ऐसा कॉन्टेक्ट न हो, जिसके कारण इलेक्ट्रोक्यूशन की संभावना बढ़े। बारिश के मौसम में यदि घर के खिड़की दरवाज़े ठीक से बंद करके रहे और उपरोक्त बातों को ध्यान में रखें तो ख़तरे की चिन्ता नहीं है। इसके साथ ही पूर्व सूचना पर समय-समय ध्यान देते रहना होगा। जहां कहां भी इस प्रकार की स्थिति वहाँ लोगों को एहतियात बरतने की ख़ास ज़रूरत है।
अगर घर के बाहर हों या वाहन में हों तो आकाशीय बिजली से बचाव कैसे हो ?– बरसात के मौसम में इस बात का ख़ास ध्यान रखें कि आप किसी पेड़ के पास न रहें क्योंकि ऐसे मौसम में वहाँ बिजली गिरने की संभावना काफी बढ़ जाती है। यदि आसपास कोई वाहन है तो आप उसमें शरण ले सकते हैं। दूसरा उपाय यह है कि आप कोई ऐसी जगह तलाश कर बैठ जाएं जहां फिजिकल प्रेजेंस कम से कम हो। ऐसे में डायरेक्ट बिजली गिरने की संभावना काफी कम हो जाती है।
प्राकृतिक आपदा के लिए पूर्व चेतावनी तंत्र कैसे काम करता है?- भारतीय मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर. के. जीनामणी बताते हैं कि बारिश के मौसम से लगभग चार-पांच घंटे पहले ही ऐसी किसी भी स्थिति की पूर्व सूचना जारी कर दी जाती है और लोगों को बचाव के लिए बता दिया जाता है। मौसम विभाग यह पूर्व सूचना जारी कर देता है कि किस एरिया में बिजली की गरज़ के साथ बारिश की संभावना है। ऐसे में लोगों को एहतियात बरतने की ख़ास ज़रूरत है। ऐसी पूर्व सूचनाओं के बारे में हम रडार या सेटेलाइट के ज़रिए आने वाली बारिश के पूर्व की स्थिति का अनुमान लगा लेते हैं। यदि व्यक्ति घर से बाहर निकल रहा है तो वह ख़ुद भी परख सकता है कि बाहर कैसे बादल हैं। यदि काले बादल हो रहे हैं और अंधेरा छा जाने जैसे स्थिति है तो व्यक्ति को बाहर नहीं निकलना चाहिए क्योंकि ऐसी स्थिति में बिजली गिरने की संभावना रहती है।
आकाशीय बिजली से बचाव के लिए क्या करें :
– बारिश के समय खेतों, खुले मैदानों, पेड़ों या किसी ऊंचे स्तंभ के पास न जाएं क्योंकि इनके पास बिजली गिरने की सबसे ज़्यादा संभावना होती है।
– यदि आप घर के अंदर हैं और बाहर बिजली कड़क रही है तो घर में मौजूद बिजली संचालित उपकरणों से आपको दूर रहना चाहिए।
– बिजली कड़कड़ाने के दौरान टेलीफोन, मोबाइल, इंटरनेट जैसी सेवाओं के इस्तेमाल से बचें।
– खिड़की दरवाज़ों को अच्छे से बंद कर लें।
– अपने आस पास ऐसी कोई चीज़ या वस्तु न रखें, जो बिजली का सुचालक हो क्योंकि बिजली का सुचालक वस्तु आकाशीय बिजली को अपनी ओर खींचता है।
– खुली छत पर जाने से बचें।
– धातु के पाइप, नल, फव्वारे इत्यादि से दू रहें।
– बिजली कड़कड़ाने के समय किसी भी धातु से बनी वस्तु के आसपास खड़े न हो, तारों के आसपास न रहें।
– ख़राब मौसम में ज़मीन के सीधा संपर्क से बचें।
– खुले में हैं तो ज़मीन पर सिमट कर बैठें।
– अगर वाहन में हैं तो वहीं रुकें।
– पानी, झील, नावों से बाहर निकल जाएं।
– बिजली के तारों- खम्भों, गिरे पेड़ों से सतर्क रहें।