The News Air- Merrychristmas- सफ़ेद दाढ़ी, नाक पर चश्मा चढ़ाए, लाल-सफ़ेद रंग के फर वाले गाउन, सिर पर लाल रंग की टोपी, कमर में चौड़ी काली बेल्ट, पैरों में बूट्स पहने और कंधे पर गिफ्ट्स से भरा बड़ा बैग लटकाए हुए जिस सेंटा को आज आप देखते हैं वो असल में एक एडवरटाइजमेंट की देन है। जिसे असली सेंटा माना जाता है वे तो बेहद सादगी भरे अंदाज़ में रहते थे। यहां तक कि वे जिन बच्चों और जरूरतमंदों की मदद करना चाहते थे, उन्हें रात में चुपचाप गिफ़्ट देकर चले जाते थे।
आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस ईसा मसीह का जन्मदिन इतने धूम-धाम से बनाया जाता है, उनके जन्म की तारीख़ का ज़िक्र बाइबल में कहीं है ही नहीं। क्रिसमस से जुड़ी और भी कई रोचक बातें हैं, जिनके पीछे की कहानी कुछ और ही है। आज भारत सहित कई देश में ईसा मसीह का जन्मदिन 25 दिसंबर को मनाया जाता है, लेकिन कई सदियों तक 6 जनवरी को उनका जन्मदिन मनाया जाता था।
दरअसल कई सदियों तक ईसा मसीह के जन्मदिन को लेकर ईसाइयों में मतभेद था। ईसा मसीह के जन्मदिन का पहला समारोह 360 ईस्वी के आस-पास रोम के एक चर्च में मनाया गया था। लंबी बहस और विचार विमर्श के बाद चौथी शताब्दी में 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्मदिन घोषित कर दिया गया। इसके बावज़ूद इसे प्रचलन में आने में समय लगा।
1836 में पहली बार अमेरिका में क्रिसमस को क़ानूनी मान्यता मिली और 25 दिसंबर को पब्लिक हॉलिडे डिक्लेयर किया गया। दुनिया के कई देशों में जैसे कज़ाकिस्तान, रूस, यूक्रेन, मिस्र में आज भी क्रिसमस 25 दिसंबर को नहीं मनाया जाता। अर्मेनियन एपोस्टोलिक चर्च 6 जनवरी को ईसा मसीह का जन्मदिन मनाता है। वहीं रशियन आर्थोडॉक्स चर्च को मानने वाले 7 जनवरी को क्रिसमस मनाते हैं।
इस क्रिसमस जानिए इससे जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से जो बहुत कम लोगों ने सुने होंगे…