The News Air (नई दिल्ली) तमिलनाडु हेलिकॉप्टर हादसे में शहीद होने वाले ब्रिगेडियर एलएस लिड्डर की बेटी आशना अब अपनी बदली हुई ज़िंदगी के खट्टे-मीठे अनुभवों से गुज़र रही हैं। एक तरफ़ उनकी लिखी क़िताब ‘इन सर्च ऑफ़ अ टाइटल- म्यूजिंग ऑफ़ अ टीनेजर’ लोगों में काफ़ी पॉपुलर हो गई है। दूसरी ओर सोशल मीडिया पर उन्हें अपने पिता को श्रद्धांजलि देने पर ट्रोल किया गया। ट्रोलर्स ने आशना के पुराने ट्वीट का ज़िक्र कर उन्हें ट्वीट किया।
आशना अभी इंटरमीडिएट में हैं। वे पिता की इकलौती संतान हैं और उनके बेहद क़रीब भी थीं। आशना ने अपनी क़िताब पिता के निधन के बाद 8 दिसंबर को लिखी थी। उनकी बुक की डिमांड अचानक इतनी बढ़ी कि वो आउट ऑफ़ स्टाक हो गई। क़िताब एक टीनेजर की जर्नी और उसकी सोच और सीखने पर आधारित है। प्रकाशक अब इस क़िताब की और कॉपियां पब्लिश करने जा रहे हैं।
पापा के साथ पलों को याद किया था आशना ने
शुक्रवार को दिल्ली के बराड़ स्क्वॉयर में बेटी आशना लिड्डर ने अपने पापा ब्रिगेडियर लिड्डर का अंतिम संस्कार किया। उन्होंने पिता को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “मैंने अपने जीवन के 17 साल उनके (पापा के) साथ बिताए हैं। शायद यही किस्मत में था। हम अच्छी यादों के साथ अपना जीवन आगे बढ़ाएंगे। ये एक बड़ी राष्ट्रीय य क्षति है। मेरे पापा हीरो थे, मेरे अच्छे दोस्त थे। वो बहुत खुशमिज़ाज इंसान थे। सबसे बड़े मोटिवेटर थे। मेरी हर बात मानते थे।”
हालांकि, अपने पापा को श्रद्धाजंलि देने के लिए आशना को सोशल मीडिया पर ट्रोल होना पड़ा। उन्हें ट्रोलर्स ने केंद्र सरकार का नेतृत्व कर रही भाजपा के विरोध वाले विचार रखने के लिए ट्विटर पर लगातार ट्रोल किया गया। उन्हें ‘वोक (WOKE)’ बताया गया। हालांकि कई नेताओं, पत्रकारों और सिविल सोसाइटी से जुड़े लोगों ने इस दौरान आशना का समर्थन भी किया। लेकिन ट्रोलर्स की तरफ़ से लगातार निशाना बनाए जाने के बाद आख़िरकार आशना ने अपना अकाउंट डिएक्टिवेट कर दिया।
Woke का मतलब: Woke शब्द Wake से बना है, जिसका मतलब ‘जागना’ होता है। इसी तरह Woke का मतलब जागा हुआ, जागृत, चैतन्य या जिसकी अपनी सोच समझ हो। निश्चित रूप से ये कोई निगेटिव टर्म नहीं है, लेकिन सोशल मीडिया में इन दिनों इस शब्द का काफ़ी इस्तेमाल चिढ़ाने के लिए हो रहा है। राइट विंग कैटेगरी के लोग लिबरल या सेकुलर जमात के लोगों को चिढ़ाने के लिए उन्हें Woke कहते हैं।
आशना लिड्डर को ट्रोल करने की वजह
वजह नंबर-1: ट्विटर पर आशना लिड्डर के एक पुराने ट्वीट का स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है, जिसमें वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाना बनाते हुए राज्य में उत्पात को ठीक करने को कह रही हैं। इसी पुराने ट्वीट को लेकर उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाने लगा। इसके बाद ही ट्रोलिंग से मजबूर होकर आशना ने अपना ट्विटर अकाउंट डिएक्टिवेट कर दिया।
वजह नंबर-2: बीते दिनों लखीमपुर खीरी जाते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को हिरासत में लिया गया था। इसके बाद प्रियंका नज़रबंद रहने के दौरान गेस्ट हाउस के कमरे में झाड़ू लगाती हुई नज़र आईं थीं। इस पर योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि जनता ने प्रियंका को इसी लायक़ छोड़ा है यानी झाड़ू लगाने लायक़। तब आशना ने ट्वीट किया था कि जब सोकर उठी तो योगी आदित्यनाथ विपक्ष को नज़रअंदाज कर रहे थे। मैं समझ गई हूं, ये राजनीति है। लेकिन ये बहुत ही ख़राब है और ये कहना सही नहीं है कि वो केवल फ़र्श साफ़ करने लायक़ ही रह गई हैं। योगी पहले यूपी में मच रहे उत्पात को ठीक करें।
आशना के समर्थन में आए लोग
जब आशना का ट्विटर अकाउंट नज़र नहीं आ रहा था, तब कई नेताओं, पत्रकारों ने ट्रोल्स पर निशाना साधा और शहीद ब्रिगेडियर की बेटी का समर्थन किया। शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट कर कहा, ’17 वर्षीय लड़की, जो इस दुख में भी हिम्मत रखे हुए है, उसने अपने पिता का अंतिम संस्कार किया है, जो एक शानदार आर्मी ऑफ़िसर थे। उसे अपने विचारों को लेकर ट्रोल किया जा रहा है। इस कारण उसे अपना अकाउंट डिलीट करना पड़ा। आप कितना नीचे गिरेंगे।’
पी चिदंबरम के बेटे व कांग्रेस सांसद कार्ती ने भी आशना का समर्थन करते हुए ट्वीट किया, ‘झूठे ‘देशभक्तों और राष्ट्रवादियों’ पर धिक्कार है, जिन्होंने एक युवा शिक्षित और विचारशील लड़की को ट्विटर से हटने को मजबूर कर दिया।’