चंडीगढ़: पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने आज मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी पर झूठे आरोप लगाने की निंदा करते हुए उन्हे चुनौती दी कि वह किसी भी ड्रग से जुड़े मामले में उनके द्वारा किए गए किसी भी गलत काम का एक सबूत दें, उन्होने कहा कि कांग्रेस सरकार अब उन्हे नए मामले में फंसाने की कोशिश कर रही है।
बिक्रम सिंह मजीठिया यहां अपने नेता शरणजीत सिंह ढ़िल्लों सहित अकाली दल विधान विंग के सदस्यों के साथ प्रेस काफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।
मजीठिया ने बताया कि किस तरह कांग्रेस सरकार इस बात से निराश हो गई कि पहले के एनडीपीएस के किसी भी मामले में उनके खिलाफ कोई मामला नही बनाया जा सकता, जिसमें वे उन्हे फंसाने की कोशिश कर रहे थे, क्योंकि मामलों का फैसला तीन साल पहले हो चुका था। ‘‘ यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने मेरे खिलाफ झूठे आरोप लगाने का रास्ता निकाल है। मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि मैं इस तरह के हथकंडों से भयभीत नही हूंगा। उन्होने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होने विशेष सत्र में केवल लोगों की भावनाओं को मामला उठाया है और श्री चरणजीत चन्नी के खिलाफ उनकी कोई गलत भावना नही है। ‘‘ वास्तव में श्री चन्नी मुझे अपने भाई मनमोहन सिंह के मामले में पैरवी करने के लिए डिप्टी मुख्यमंत्री सरदार सुखबीर सिंह बादल के सामने पैरवी रकने के लिए साथ लेकर जा रहे थे, जब उनके भाई का नाम सिटी सेंटर के घोटाले में सामने आया था’’।
पार्टी विधायकों के साथ अकाली नेता ने इस बात को भी जाहिर किया कि किस तरह ब्रहम मोहिंदरा, तृप्त राजिंदर बाजवा और परगट सिंह सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने स्वीकार किया कि मुख्यमंत्री ने स्पीकार के चैंबर में उनके खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया था। ‘‘ हालांकि मुख्यमंत्री के आसपास की टीम कुलदीप जीरा ने अकाली विधायक पवन टीनू को धमकी दी कि वे उनके घर आकर उन्हे पीटेंगें, को मुख्यमंत्री ने अपने आचरण के लिए माफी मांगने के लिए भी नही कहा।
पूर्ववर्ती शिअद-भाजपा सरकार के दौरान पारित 2013 के अनुबंध खेती अधिनियम के बारे में बोलते हुए सरदार मजीठिया ने कहा कि श्रीमती नवजोत सिद्धू ने सरकार में मुख्य संसदीय सचिव के रूप में इस अधिनयिम का समर्थन किया था और इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया था।
इस बीच विधायक दल ने विधानसभा सैशन को महज ‘ जुमला ’ करार देते हुए कंाग्रेस सरकार की निंदा की। शरनजीत ढ़िल्लों की अगुवाई में पार्टी विधायकों ने कहा कांग्रेस पार्टी पंजाब में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र के विस्तार के साथ साथ कृषि कानूनों पर प्रस्ताव पारित कर आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रही है। उन्होने कहा कि अगर सरकार दोनों मुददों को लेकर गंभीर होती तो वह केंद्रीय फैसलों को बेमानी बनाने की अधिसूचना पारित कर सकती थी। इसी तरह विधायकों ने कहा कि सरकार ने यह जानने के बावजूद पी.पी.ए पर एक विधेयक लाया गया कि निजी थर्मल संयत्रों द्वारा उन्हे रदद करने के लिए जारी किए गए कारण बताओं नोटिस पर केंद्रीय न्यायाधिकरण द्वारा रोक लगा दी गई थी।
विधायकों ने बताया कि कैसे मुख्यमंत्री ने 15 हजार करोड़ रूपये की सब्सिडी की घोषणा की है, जब राज्य की उपयोगिता 7000 करोड़ रूपये पहले से बकाया है। उन्होने यह भी बताया कि कैसे सरकार ने साढ़े चार साल से अधिक समय तक 11 रूपये प्रति यूनिट का शुल्क लिया था और 1.22 रूपये प्रति यूनिट के कर के अलावा अब केवल दो महीने के एक बिल चक्र के लिए 3 रूपये प्रति यूनिट की कमी की गई है।
उन्होने यह भी बताया कि किस तरह 90 हजार रूपये करोड़ रूपये की पूर्ण कर्जा माफी, किसान आत्महत्या, पीड़ित परिवार को दस लाख रूपये मुआवजा, किसान आंदोलन शहीदों को 50 लाख रूपये मुआवजा, कपास उत्पादकों को 50 हजार रूपये प्रति एकड़ मुआवजा, जिनकी फसल तबाह को चुकी और डीएपी की कालाबाजारी को रोकने सहित किसानों के वास्तविक मुददों पर चर्चा नही की गई है। उन्होने कहा कि सरकार विशेष सत्र में अनुसूचित जाति के छात्रों के कारण घर घर नौकरी, युवाओं को बेरोजगारी भत्ता और 1800 करोड़ रूपये की छात्रवृत्ति जारी करने का मुददा उठाने में भी नाकाम रही है।
इस अवसर पर अन्य विधायकों में शरनजीत सिंह ढ़िल्लों, लखबीर सिंह लोधीनंगल, एन.के.शर्मा, गुरप्रताप सिंह वडाला, पवन कुमार टीनू, मनप्रीत सिंह अयाली, हरिंदरपाल चंदूमाजरा, कवंरजीत सिंह बरकंदी, बलदेव सिंह खैहरा, और डॉ. सुखविंदर सुक्खी भी मौजूद थे।