Sonam Wangchuk : लद्दाख पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) एस.डी. सिंह जामवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा कि पर्यावरणविद और कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के पाकिस्तान से कथित संबंधों की गहन जाँच चल रही है। यह जाँच पिछले महीने एक पाकिस्तानी खुफिया एजेंट की गिरफ्तारी के बाद शुरू की गई है, जो कथित तौर पर वांगचुक के विरोध प्रदर्शनों के वीडियो सीमा पार भेज रहा था।
डीजीपी जामवाल ने सोनम वांगचुक को बुधवार को हुई हिंसा के लिए सीधे तौर पर ज़िम्मेदार ठहराया, जिसमें दुर्भाग्य से चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। इस गंभीर घटना के बाद, वांगचुक को शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में ले लिया गया है और राजस्थान के जोधपुर जेल में भेज दिया गया है।
मामले की पृष्ठभूमि : सोनम वांगचुक, लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और केंद्र शासित प्रदेश को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर ‘लेह एपेक्स बॉडी’ और ‘करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस’ द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा रहे हैं। वह लंबे समय से पर्यावरण संरक्षण और शिक्षा सुधारों के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में, उन्होंने अपनी मांगों को लेकर अनशन भी किया था। हालाँकि, बुधवार को हुए हिंसक प्रदर्शनों ने इस आंदोलन को एक नया और दुर्भाग्यपूर्ण मोड़ दे दिया, जिसके बाद पुलिस प्रशासन ने कड़े कदम उठाए। डीजीपी द्वारा लगाए गए गंभीर आरोप इस पूरे मामले को एक संवेदनशील राष्ट्रीय सुरक्षा का रंग देते हैं।
पाकिस्तान, बांग्लादेश दौरे और FCRA उल्लंघन की जांच : डीजीपी जामवाल ने स्पष्ट किया कि वांगचुक के ख़िलाफ़ जाँच जारी है और इस समय सभी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती। उन्होंने वांगचुक के इतिहास और सार्वजनिक बयानों की ओर इशारा करते हुए कहा, “उनके भाषण लोगों को उकसाने वाले प्रतीत होते हैं।” डीजीपी ने बताया कि वांगचुक ने अतीत में अरब क्रांति और नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में हाल ही में हुई अशांति का ज़िक्र किया था, जो उनके एक निजी एजेंडा की ओर इशारा करता है।
पुलिस प्रमुख ने पुष्टि की कि वांगचुक के खिलाफ विदेशी चंदा और विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के उल्लंघन की भी जाँच चल रही है। उन्होंने वांगचुक की कुछ विदेश यात्राओं को संदिग्ध बताया, जिसमें पाकिस्तान में ‘द डॉन’ (पाकिस्तानी समाचार पत्र) के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेना और बांग्लादेश की यात्रा शामिल है।
सरकारी बातचीत को कमज़ोर करने का आरोप : डीजीपी जामवाल ने वांगचुक पर आंदोलन के मंच को अपने नियंत्रण में लेने और केंद्र सरकार तथा लद्दाख के प्रतिनिधियों के बीच जारी शांतिपूर्ण बातचीत को कमजोर करने का प्रयास करने का आरोप लगाया।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने 6 अक्टूबर को बातचीत के एक नए दौर के लिए लद्दाख के नेताओं को आमंत्रित किया है। डीजीपी के अनुसार, वांगचुक यह जानते थे कि 25 सितंबर को दोनों पक्षों के बीच एक अनौपचारिक बैठक होने वाली थी, इसके बावजूद उन्होंने अपना अनशन जारी रखा। डीजीपी ने आरोप लगाया कि अनौपचारिक बैठक से ठीक एक दिन पहले, भड़काऊ वीडियो और बयानों के ज़रिए जानबूझकर शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की गई, जिसके कारण बुधवार को घातक हिंसा हुई।
डीजीपी ने बुधवार की हिंसा में विदेशी साजिश की ओर भी इशारा किया। उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता के बयान का समर्थन करते हुए उन्होंने बताया कि गोली लगने से घायल हुए तीन नेपाली नागरिकों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और कुछ अन्य विदेशी नागरिकों की संलिप्तता भी सामने आई है। इस हिंसा के संबंध में अब तक कुल 50 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें से कम से कम छह लोगों के हिंसा में सीधे शामिल होने का संदेह है। डीजीपी ने अंत में कहा, यह स्पष्ट है कि मामले में मुख्य रूप से लोगों को उकसाने वाले वांगचुक को लद्दाख से बाहर की जेल में रखा गया है।
मुख्य बातें (Key Points)
- सोनम वांगचुक पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंट के साथ कथित संबंध और प्रदर्शन वीडियो सीमा पार भेजने की जाँच चल रही है।
- डीजीपी ने वांगचुक को बुधवार की हिंसा के लिए सीधे तौर पर ज़िम्मेदार ठहराया; उन्हें रासुका के तहत जोधपुर जेल भेजा गया है।
- वांगचुक के ख़िलाफ़ FCRA उल्लंघन, पाकिस्तान में ‘द डॉन’ के कार्यक्रम में भागीदारी और बांग्लादेश यात्रा की संदिग्धता पर भी जाँच जारी है।
- हिंसा में तीन नेपाली नागरिक घायल हुए, डीजीपी ने विदेशी साजिश और जानबूझकर शांति वार्ता को कमजोर करने के प्रयास का आरोप लगाया।






