नई दिल्ली, 16 अप्रैल (The News Air): जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने एक कश्मीरी नागरिक के हक में फैसला सुनाया है। दरअसल, सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत एक कश्मीरी नागरिक को हिरासत में लिया गया था।
शोपियां के जफर अहमद नाम के इस शख्स ने पिछले साल पीएसए के तहत दर्ज किए गए मामले को लेकर जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में अपनी हिरासत को चुनौती दी थी। जिसपर सुनवाई करते हुए जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत एक पुलिस स्टेट नहीं है। बल्कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है।
भारत कोई पुलिसिया स्टेट नहीं
कोर्ट की तरफ से इस बात पर जोर दिया गया कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जो कानून के शासन की ओर से शासित है। ऐसे में पुलिस किसी व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किए बिना उसे हिरासत में लेकर पूछताछ नहीं कर सकती। जस्टिस राहुल भारती की तरफ से मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा गया कि भारत कोई पुलिसिया स्टेट नहीं। यहां लोकतंत्र है। लोकतांत्रिक देश में बिना किसी आरोप और मामला दर्ज किए बिना किसी को पूछताछ के लिए हिरासत में नहीं ले सकते। इसके बाद जस्टिस राहुल भारती की तरफ से याचिकाकर्ता जफर अहमद की रिहाई के आदेश दिए गए।
इसके साथ कोर्ट की तरफ से कहा गया कि इस तरफ लोगों को किसी भी तरह हिरासत में लेना उनके मौलिक अधिकार को कमजोर करता है। वहीं कोर्ट में तरफ से सख्त लहजे में पूछा गया कि अगर याचिकाकर्ता के खिलाफ के कोई मामला ही दर्ज नहीं है वो उसे किस वजह से उठाया गया और पूछताछ की गई।
पब्लिक सेफ्टी एक्ट क्या है?
आपको बता दें कि पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत किसी भी व्यक्ति को 3 से 6 महीने तक बिना किसी ट्रायल के हिरासत में रखा जा सकता है। 1978 में यह कानून उस समय के मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला ने लागू किया था।