इंडियन इकोनॉमी (Indian Economy) में मार्च में मजबूती देखने को मिली। हालांकि, एक्सपोर्ट में सुस्ती देखने को मिली। बढ़ती बेरोजगारी भी आगे मुश्किल खड़ी कर सकती है। इंडिया ने आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। यह दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है। मार्च में इंडिया में टैक्स कलेक्शंस में अच्छी वृद्धि देखने को मिली। यह एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी के लिए अच्छी खबर है। ब्लूमबर्ग के 8 हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स इंडिया में इकोनॉमिक एक्टिविटी (Economic Activity) बढ़ने का संकेत दे रहे हैं। यह संकेत तब मिल रहे हैं, जब RBI ने रेपो रेट वृद्धि पर ब्रेक लगा दिया है। वह पिछले साल मई से ही इंटरेस्ट रेट लगातार बढ़ा रहा था।
इकोनॉमिक की तेज ग्रोथ पर सरकार का फोकस
RBI पिछले साल मई से अब तक रेपो रेट में 2.50 फीसदी वृद्धि कर चुका है। अब वह इकोनॉमी पर इसका असर देखना चाहता है। वह इकोनॉमिक ग्रोथ को भी सपोर्ट करना चाहता है। पिछले हफ्ते फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार इकोनॉमी की ग्रोथ तेज बनाए रखने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। हालांकि, उन्होंने कुछ हफ्ते पहले क्रूड ऑयल प्रोडक्शन घटाने के OPEC के फैसले पर चिंता जताई। उन्होंने यह भी कहा था कि मैन्युफैक्चर्ड गुड्स और सर्विस की डिमांड में कमी का असर इंडियन इकोनॉमी की रिकवरी पर पड़ सकता है।
सप्लाई चेन पर दबाव में कमी
इकोनॉमी की सेहत बताने वाला तथाकथित एनिमल स्पिरिट्स लगातार तीसरे महीने 5 पर बना रहा। परचेजिंग मैनेजर्स सर्वे से भी मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी में सुधार के संकेत मिले हैं। इसकी वजह यह है कि सप्लाई चेन पर दबाव घटा है। कच्चे माल की उपलब्धता बढ़ी है। मार्च में सर्विसेज सेक्टर की एक्टिविटी में थोड़ी नरमी आई। पिछले महीने यह 12 साल के हाई पर थी। इससे कंपोजिट इंडेक्स फरवरी के 59 से घटकर 58.4 पर आ गया। S&P Global Market Intelligence में इकोनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पी डी लिमा ने कहा कि सर्विसेज देने वाली ज्यादातर कंपनियों ने अपने सेलिंग प्राइसेज बढ़ाए हैं। उन्होंने बढ़ती कॉस्ट को देखते हुए ऐसा किया है।
एक्सपोर्ट 13.9% घटा
मार्च में एक्सपोर्ट में 13.9 फीसदी गिरावट आई। यह एक्सपोर्ट में लगातार चौथे महीने गिरावट थी। इंपोर्ट्स भी एक साल पहले के मुकाबले 7.90 फीसदी गिरा। बार्कलेज में इकोनॉमिस्ट राहुल बजोरिया ने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी में सुस्ती का असर एक्सपोर्ट पर दिखने लगा है। हालांकि, इलेक्टॉनिक्स के एक्सपोर्ट में तेजी दिखी। यह मार्च में साल दर साल आधार पर 57 फीसदी बढ़ा। इसकी वजह यह है कि मोबाइल इक्विपमेंट बनाने वाली बड़ी कंपनियां इंडिया में अपनी प्रोडक्शन यूनिट्स लगा रही हैं। इससे चाइना-प्लस-वन स्ट्रेटेजी का असर माना जा रहा है। एपल अब अपने 7 फीसदी आईफोन इंडिया में बना रहा है। उसने मुंबई और दिल्ली में अपने स्टोर भी खोले हैं। वह इंडियन मार्केट में अपनी रिटेल सेल्स बढ़ाना चाहता है।