The News Air-(चंडीगढ़) चंडीगढ़ नगर निगम में मेयर की कुर्सी को लेकर घमासान मच गया है। पार्षद पार्टी न बदल लें, इसे देखते हुए आम आदमी पार्टी ने 14 पार्षदों को दिल्ली बुला लिया। वहीं कांग्रेस भी अपने आठ पार्षदों को लेकर जयपुर चली गई। नगर निगम के मेयर के लिए 18 पार्षदों का बहुमत होना ज़रूरी है। हाल ही में हुए चुनाव में किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिला है।
कांग्रेसी पार्षद हरप्रीत कौर बबला के भाजपा में शामिल होने के बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को अपने बाक़ी पार्षदों के दल बदलने का भय सताने लगा है। इसी के मद्देनज़र पार्टियां अपने पार्षदों को दिल्ली और जयपुर ले गईं । चंडीगढ़ नगर निगम में आप के 14, भाजपा के 12 और कांग्रेस के 8 पार्षद थे। एक अकाली दल का पार्षद जीता था। कांग्रेसी की एक पार्षद हरप्रीत कौर बबला भाजपा में शामिल हो गई थी। ऐसे में अब कांग्रेस के पास 7 पार्षद रह गए।
रविवार को बबला शामिल हो गए थे भाजपा में
चंडीगढ़ कांग्रेस के उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंह बबला का पार्टी अध्यक्ष सुभाष चावला के साथ विवाद के बाद बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। पार्टी ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए उन्हें रविवार को बाहर कर दिया है। साथ ही बबला पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में भाग लेने के आरोप भी है।
पार्टी प्रभारी हरीश चौधरी ने इस संबंध में पत्र जारी किया। चंडीगढ़ भाजपा सांसद किरण खेर की उपस्थिति में देवेंद्र बबला ने भाजपा जॉइन की। इससे पहले शनिवार को चंडीगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला और उपाध्यक्ष देवेंद्र बबला के बीच निगम कार्यालय में विवाद हो गया था। बबला ने कहा था कि दो आदमियों के कारण कांग्रेस का नुक्सान हुआ है।