The News Air- पंजाब में 36 हज़ार कर्मचारियों को पक्का करने के मुद्दे पर राज्य की चन्नी सरकार बैकफुट पर आ गई है। राज्यपाल बीएल पुरोहित के पोल खोलने के बाद CM चरणजीत चन्नी सोमवार को उनसे मिलने नहीं गए। जबकि पहले सरकार ने अफ़सरों और मंत्रियों को साथ लेकर जाने की तैयारी कर ली थी। गवर्नर ने कहा था कि उन्होंने फाइल रोकी नहीं बल्कि कुछ ख़ामियों के बारे में जानकारी के लिए फाइल सीएम को लौटा दी थी।
बता दें कि सीएम चन्नी ने गवर्नर बीएल पुरोहित पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने भाजपा के दबाव में कर्मचारियों को पक्का करने की फाइल रोकी है। पंजाब में जल्द चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में CM चन्नी इस फ़ैसले को लागू करवाकर चुनावी लाभ लेना चाहते हैं। इसी वजह से 3 दिन पहले सीएम चन्नी ने चेतावनी तक दे दी थी कि अगर गवर्नर ने फाइल क्लियर नहीं की तो वह मंत्रियों समेत राजभवन के बाहर धरने पर बैठ जाएंगे।
CM ने कहा था- राजनीतिक दबाव में रोकी फाइल
CM चरणजीत चन्नी ने कहा था कि उनकी सरकार ने 36 हज़ार कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का क़ानून पास किया। यह फाइल गवर्नर ने रोक ली। वह ख़ुद भी मंत्रियों समेत मिलकर आए। 2 बार उनके चीफ़ सेक्रेटरी जा आए, लेकिन गवर्नर ने फाइल पास नहीं की। सीएम ने कहा कि पहले उन्हें लगता था कि गवर्नर व्यस्त हैं, लेकिन अब स्पष्ट है कि राजनीतिक कारणों से फाइल रोकी गई। गवर्नर पर भाजपा का दबाव है।
गवर्नर का जवाब : पहले 31 दिसंबर को पूछे सवालों का जवाब दो
इसके बाद गवर्नर बीएल पुरोहित ने कहा कि CM चरणजीत चन्नी की बातें तथ्यात्मक तौर पर ग़लत हैं। कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने की फाइल 6 सवालों के साथ सीएम को लौटा दी गई थी, जिसे 31 दिसंबर को सीएम ऑफ़िस ने रिसीव भी किया। जिसका उत्तर सरकार ने अभी तक नहीं दिया। उन्होंने सलाह दी कि सीएम पहले सवालों के जवाब दें, उसके बाद राज्यपाल सचिवालय में फिर इन बिलों की जांच की जाएगी।
CM ऑफ़िस से देरी से आई फाइल
गवर्नर बीएल पुरोहित ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने 11 नवंबर को विधानसभा में यह बिल पास किया। जिसकी फाइल 20 दिन बाद 1 दिसंबर को गवर्नर को भेजी गई। दिसंबर में राज्यपाल दूसरे प्रदेशों के दौरे पर थे। 21 दिसंबर को वह वापस लौटे और 23 दिसंबर को सीएम चन्नी ने उनसे मुलाक़ात की।
गवर्नर के CM को भेजे ऑब्जेक्शन…