नई दिल्ली, 10 अगस्त (The News Air) चयन समिति में प्रस्तावित सदस्यों के गलत हस्ताक्षर का आरोप लगा रही भाजपा को आम आदमी पार्टी ने आडे हाथ लिया। ‘‘आप’’ के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने सभी आरोपों को निराधार बताया और भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि वो कागज दिखाए, जिस पर गलत हस्ताक्षर हुए। उन्होंने रूल बुक का हवाला देते हुए कहा कि चयन समिति में प्रस्तावित सदस्यों के हस्ताक्षर की कोई जरूरत ही नहीं है और किसी के हस्ताक्षर भी नहीं लिए गए। ऐसे में गलत हस्ताक्षर की बात कहां से आ गई? भाजपा मेरी छवि खराब करने के लिए मेरे खिलाफ निराधार दुष्प्रचार कर रही है। संसद में एक 34 साल के युवा सांसद ने इनके बड़े नेताओं को ललकारा, इसलिए ये मेरी सदस्यता छीनकर संसद से बाहर करना चाहते हैं। श्री चड्ढा ने कहा कि संसदीय बुलेटिन में भी कहीं जाली/जालसाजी/चिन्ह/हस्ताक्षर शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है। अटल बिहारी वाजपेयी, मोरारजी देसाई और मनमोहन सिंह समेत देश के कई बड़े नेताओं के खिलाफ विशेषाधिकार समिति ने कार्रवाई शुरू की। अब इसमें मेरा भी नाम आया है। मैं गर्व से समिति के सामने अपनी बात रखूंगा।
इस मामले को लेकर आम आदमी पार्टी ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता कर कानूनी स्थिति को स्पष्ट किया। इस दौरान राज्यसभा सदस्य संजय सिंह, राघव चड्ढा समेत ‘‘आप’’ के सभी सांसद मौजूद रहे। आम आदमी पार्टी का राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने कहा कि पूरे देश ने देखा कि कैसे मोदी जी की तानाशाह सरकार ने दिल्ली सरकार का गला घोंटने के लिए असंवैधानिक बिल पास किया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का इतने से मन नहीं भरा है। अब मोदी सरकार ने एक नई परंपरा शुरू की है कि जो भी उसके खिलाफ बोलेगा, उसकी सदस्यता खत्म कर देगी, उसको निलंबित कर देगी या एफआईआर कर देगी। मोदी सरकार को लोकतंत्र का ड्रामा करने के बजाय देश में तानाशाही शासन की घोषणा कर देनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी अफवाह कंपनी भाजपा के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में झूठ बोला कि गलत हस्ताक्षर हो गया। अमित शाह जी देश के दूसरे नंबर के मंत्री है। उनको सदन की कार्रवाई के बारे में समान्य ज्ञान की जानकारी होनी चाहिए। चयन समिति में किसी भी सदस्य द्वारा किसी भी सदस्य का नाम प्रस्तावित किया जा सकता है और उसके हस्ताक्षर की जरूरत नहीं होती है। दअरसल, मोदी सरकार का एकमात्र मकसद राहुल गांधी की तरह राघव चड्ढा की भी सदस्यता खत्म करनी है। लेकिन हम लड़ना और जीतना जानते हैं। अगर गलत हथकंडे अपनाकर राघव चड्ढा की सदस्यता खत्म की गई तो वो दोबारा भी चुन कर आ जाएंगे। लेकिन अमित शाह जी को झूठ और अफवाह नहीं फैलानी चाहिए।
सांसद राघव चड्ढा ने पूरे मामले की विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि भाजपा का मूलमंत्र है कि एक झूठ को हजार बार बोलो ताकि वो सच्चाई में तब्दील हो जाए। इस मंत्र के तहत भाजपा ने मेरे खिलाफ दुष्प्रचार शुरू किया गया है। अमूमन ये देखा जाता है कि जब भी किसी सदस्य के खिलाफ विशेषाधिकार समिति कोई कार्रवाई शुरू करती है तो वो सदस्य उस पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं देता है। लेकिन मुझे मजबूरन भाजपा के झूठ का पर्दाफाश करने के लिए देश के सामने आना पड़ा। राघव चड्ढा ने रूल बुक का हवाला देते हुए कहा कि रूल बुक के अनुसार राज्यसभा संचालित होती है। रूल बुक में लिखा है कि किसी भी चयन समिति के गठन के लिए कोई भी सांसद नाम प्रस्तावित कर सकता है और जिस सदस्य का नाम प्रस्तावित किया जाता है, उसके हस्ताक्षर और लिखित सहमति की जरूरत नहीं होती है। रूल बुक में कहीं पर भी नहीं लिखा है कि चयन समिति में प्रस्तावित किसी सदस्य का नाम देने के लिए लिखित सहमति या हस्ताक्षर चाहिए। इसके बावजूद भाजपा द्वारा एक झूठा प्रचार फैलाया गया कि गलत हस्ताक्षर हो गया।
सांसद राघव चड्ढा ने आगे कहा कि जब भी चयन समिति के गठन के लिए नाम प्रस्तावित किए जाते हैं तो न तो उस सदस्य के हस्ताक्षर लिए जाते हैं और न तो हस्ताक्षर जमा किए जाते हैं। हस्ताक्षर की जरूरत ही नहीं होती है। मैंने किसी सदस्य का हस्ताक्षर नहीं लिया और न हस्ताक्षर जमा ही किया। इसके बाद भी गलत हस्ताक्षर की अफवाह फैलाई जा रही है। ये अफवाह सरासर झूठ और बेबुनियाद है। मैं भाजपा के नेताओं को चुनौती देता हूं कि वो कागज दिखाएं जिस पर ये गलत हस्ताक्षर हैं। जब कोई हस्ताक्षर होता ही नहीं है तो गलत हस्ताक्षर की बात कहां से आ गई?
सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि भाजपा की अज्ञानता का हमारे पास कोई इलाज नहीं है लेकिन प्रक्रिया ये होता है कि जब भी कोई विवादित बिल सदन में आता है तो एक समिति गठन की प्रक्रिया बताई गई है कि अगर कोई सदस्य चाहता है कि अभी बिल पर मतदान न हो, बल्कि इस पर और चर्चा की जाए, बिल में और क्या बदलाव किए जाएं, वो बताया जाए। इसके लिए यह चयन समिति गठित की जाती है। उस समिति में कुछ नाम प्रस्तावित किए जाते हैं और जिस सदस्य को उस समिति में नहीं रहता है, वो अपना नाम वापस ले लेता है। यह मात्र एक प्रस्ताव है। किसी सदस्य को जबरदस्ती समिति में नहीं शामिल गया है। राघव चड्ढा ने उदाहरण देकर समझाया कि मान लिया जाए कि मैं अपने जन्मदिन की एक दावत देता हूं। उसमें 10 लोगों को न्यौता देता हूं। इसमें से 8 लोग मेरा न्यौता स्वीकार कर आ जाते हैं, लेकिन दो लोग न्यौता नहीं स्वीकारते हैं। उल्टा मुझे कहते हैं कि तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई हमें न्यौता देने की। यहां भी वही बात है। मैंने तो उन सदस्यों को समिति में शामिल होने के लिए न्यौता दिया, उनका हस्ताक्षर नहीं दिया। फिर भी दो लोग मुझे नाराज हो गए।
सांसद राघव चड्ढा ने विशेषाधिकार समिति के संसदीय बुलेटिन का हवाला देते हुए कहा कि मेरे खिलाफ जो शिकायत आई है, उसे विचार के लिए विशेषाधिकार समिति को भेजा गया है। संसदीय बुलेटिन में कहीं पर भी जाली, जालसाजी, हस्ताक्षर जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया गया है। सिर्फ इसकी जांच करने के लिए कहा गया है। कम से कम संसदीय बुलेटिन में हस्ताक्षर शब्द का इस्तेमाल किया गया होता। जब हस्ताक्षर ही नहीं है, तो कहां से आएंगे? भाजपा के झूठ का मुलाबला करना बहुत आसान नहीं है। इसलिए हमें मीडिया के जरिए देश के सामने आकर अपनी बात रखनी पड़ी है।
सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि विशेषाधिकार समिति ने इस देश के कई बड़े नेताओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। इसमें अलट विहार वाजपेयी, इंदिरा गांधी, मनमोहन सिंह, मोरारजी देसाई, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली जैसे नेताओं का नाम आता है। अगर उस श्रेणी के अंदर हमें भी शामिल किया गया तो मैं मजबूती से अपना जवाब समिति के सामने देंगे। मैं शहीद भगत सिंह की धरती से आता हूं। न्याय को लेकर पूरी लड़ाई लडूंगा और मुझे विश्वास है कि विशेषाधिकार समिति अंत में दूध का दूध और पानी का पानी कर न्याय अवश्य करेगी।
सांसद राघव चड्ढा ने इस विवाद की जड़ के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि इतनी तेजी से यह अफवाह इसलिए फैलाई गई, क्योंकि सोमवार को दोपहर में सदन के अंदर आम आदमी पार्टी की ओर से मैं (राघव चड्ढा) पूरी मजबूती से दिल्ली के अध्यादेश पर अपना वक्तव्य दिया। उसके ठीक 6 घंटे बाद भाजपा ने यह आरोप लगाने शुरू कर दिए। भाजपा को ये दिक्कत नहीं है कि मैने कमेटी के गठन के लिए कुछ सांसदों के नाम दे दिए, बल्कि इनको दिक्कत ये है कि एक 34 साल के युवा सांसद ने सदन में खड़े होकर उनको कैसे ललकारा? एक युवा ने भाजपा से मजबूती से सवाल कैसे पूछे? जैसा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कहते हैं कि आम आदमी पार्टी सुपारी जितनी पार्टी है। उस सुपारी जितनी पार्टी के एक युवा सांसद ने दुनिया के सबसे बड़ी पार्टी के सबसे बड़े नेताओं से देश के सबसे बड़े सदन में खड़े होकर सवाल कैसे पूछे, भाजपा को इस बात का दर्द है। मैंने अपने वक्तव्य में भाजपा के पुराने मैनुफेस्टो दिखाकर उनके दोहरे चरित्र का पर्दाफाश किया, दिल्लीवालों के लिए न्याय मांगा। यहां तक कि लालकृष्ण आडवाणी और अटल विहारी वाजपेयी जी के लिए न्याय मांगा, भाजपा को ये दर्द सता रहा है। इसी वजह से भाजपा के लोग मेरे खिलाफ शिकायत कर रहे हैं। भाजपा मेरे पीछे पड़ गई है। इस हफ्ते में एक ही मामले में विशेषाधिकार समिति का यह दूसरा नोटिस आया है।
सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि केंद्र सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने की हर मुमकिन कोशिश कर रही है। इन्होंने राहुल गांधी की सदस्यता छीन ली। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह और सांसद सुशील कुमार रिन्कू को सदन से निलंबित कर दिया। सदन में विपक्ष के नेता का माइक बंद कर दिया जाता है। अगर विपक्ष अपनी बात रखता है तो सदन में खड़े मंत्री उनको धमकी देते हैं कि तुम्हारे घर ईडी-सीबीआई आ जाएगी। चुप होकर बैठ जाओ। इस प्रकार से भाजपा देश में अघोषित आपातकाल लगाने की कोशिश कर रही है। भाजपा का मकसद मेरी आवाज को दबाना है। भाजपा से कहना चाहता हूं कि यह एक युवा आवाज है, अरविंद केजरीवाल के सच्चे सिपाही की आवाज है। ये आवाज दबने वाली नहीं है। मेरे खिलाफ चाहे जितनी कार्रवाई करें या आरोप लगाएं लेकिन ये आवाज बंद नहीं होगी। जिन सांसदों ने मेरे खिलाफ गलत हस्ताक्षर के आरोप लगाए हैं, मैं उनके खिलाफ विशेषाधिकार समिति में शिकायत करूंगा। साथ ही कोर्ट में भी न्याय की गुहार लगाउंगा।