झूम रहा है इंडिया, नाच रहा है इंडिया जिंदाबाद की गूंज गगन चूम रही है 41 साल बाद तिरंगे को सम्मान दिलाया है हॉकी इंडिया ने। खिलाड़ियों ने पसीना बहा सवा सौ करोड़ भारतीयों को शान, सम्मान, स्वाभिमान की जो कांसेदार सौगात दी है वो सोने से भी ज्यादा चमकदार जीत का तिलक वतन के माथे पर है। यह अद्भुत असाधारण जीत है हॉकी हिंदुस्तान की, इस महान जीत पर पूरा भारत इतरा रहा है इतराना भी चाहिए, पर यह भी याद रखना चाहिए जब इस बुलंद इमारत की नींव डालने का वक्त था तो हॉकी की ईंट से ईंट बजा रहे थे हिंदुस्तानी कर्णधार। बीजिंग में मिली हार के बाद भारतीय खिलाड़ी हॉकी थामें खड़े तो थे पर उनका हाथ थामने वाला देश में कोई नहीं था। क्रिकेट पर कुर्बान हिंदुस्तान में हजारों करोड़ की खपत देशी विदेशी खिलाड़ियों को खरीदने बेचने में लगाने वाले फिल्मी सितारे, उद्योग घराने, नेताओं के लाडले सभी ने हॉकी को हकारत भरी नजर से देखा सब व्यापारी की तरह देख रहे थे और हॉकी को घाटे का सौदा मान जान बचा रहे थे। ऐसे नाउम्मीदी के अंधेरे में रोशनी बन हॉकी को नई जिंदगी नई पहचान देने का काम किया उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने और हॉकी की इस ऐतिहासिक जीत के कारीगर बने, हॉकी की आत्मा तीन बार ओलंपिक में हॉकी टीम का हिस्सा रहे दिलीप टीर्की। 13 सेकेंड बाकी थे सिडनी ओलंपिक में बस इसी नाजुक समय में विरोधी टीम ने गोल दाग भारतीय हॉकी को मेडल की दौड़ से बाहर कर दिया था उस 13 सेकेंड की दूरी को आज भारत ने 22 साल बाद पूरा किया, तभी जीत का हूटर बजते ही दिलीप की आँखें बरस पड़ी।
“खेल में निवेश युवाओं में निवेश” इस नारे को मंत्र बना नवीन पटनायक ने जय हिंद कर दिया। हॉकी का सहारा बन भाग्य विधाता बनने वाले नवीन पटनायक बोलते कम करते ज्यादा है। देश में आज बधाई देने वालों का तांता है पर गिरेबान में झांकने का भी सही समय यही है पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को इस बात का मान है कि पंजाब के खिलाड़ियों ने दनादन गोल दाग जर्मनी से जीत छीन ली, महाराजा जी ये गोल दागने का दम पंजाब के इन सूरमाओं को किसने दिया कैप्टन साहब? सीखो नवीन पटनायक से हीरे कैसे तराशे जाते हैं, आपने तो इन हीरों पर कौड़ी का भी मोल नहीं लगाया है, पंजाब के खजाने से कौड़ी भी खर्च करने से तौबा करने वाले आज किस बात का नाज़ कर रहे हैं, पंजाब के मुख्यमंत्री को कैप्टन साहब इस जीत में आपका जरा भी योगदान नहीं है। यह उड़ीसा का समर्पण है जिससे हिंदुस्तान का मान बढ़ाया है और आप गोल किसने किया गिन कर अपनी ही पीठ थपथपा रहे यह आपकी सोच बताती है आप का दायरा कितना सिमटा, कितना सिकुड़ा, कितना पिछड़ा है। इस नाकामी में आप अकेले ही शुमार नहीं हैं आपके पड़ोसी हरियाणा के खेल मंत्री टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सूरमा नाम से विख्यात संदीप सिंह ने मैदान तक को ताले लगा दिए थे जिसके लिए और चौड़ी छाती कर ताली पीटने वालों में सबसे आगे उछल उछल कर शोर मचा रहे हैं आपके हरियाणा में पूरे देश के हॉकी खिलाड़ी आए थे संदीप सिंह ने पाँच करोड़ के बने हॉकी के मैदान में घुसने का मैच धूल के मैदान में धूल आपके मुंह से नहीं हटेगी आपको प्रधान नहीं बनाया गया तो मैदान में खिलाड़ियों को घुसने नहीं दिया आपके साथियों ने आप पर यह गंभीर आरोप लगाए आपके इस कारनामे का खुलासा किया है, अखबारों ने आपके इस हरकत को हेडिंग बनाया था आपको भी मौका मिला था हॉकी का मान बढ़ाने की गौरव गाथा गाई जाएगी तब तब आप के मैदान छुपाने की बात भी दोहराई जाएगी।
राष्ट्रीय खेल से खिलवाड़ करने वाले भी आज भारतीय हॉकी पर गर्व करने की कार की रस्म अदायगी कर रहे हैं हो सकता है रानी रामपाल की टीम भी कल कांसा जीत भारतीय पुरुष टीम के कंधे से कंधा मिला तिरंगे की ऊंचाई को और बढ़ाने का काम करें पर हरियाणा सरकार ने छोरियों के लिए मैदान छुपाने के अलावा क्या किया? वह भी तब जब तीन तीन छोरियां धर्मनगरी कुरुक्षेत्र से ही हैं। हॉकी टीम में उड़ीसा की ये गौरव गाथा गीता की धरती पर जब गाई जाएगी तो यह “नया खेल ज्ञान” आपके पैरों की जमीन खींच लेगा धर्म नगरी में जय-जय नवीन गूंजेगा तो आप कहां मुंह छुपाओगे? आपको ही तय करना होगा।
सिडनी ओलंपिक 2020 में मैदान में भारत की टीम विरोधी से लोहा ले रही थी महज 13 सेकेंड का समय शेष था पल में बाजी पलट गई, एक दनदनाते गोल भारत को मेडल जीतने की दौड़ से बाहर कर दिया था, 13 सेकेंड में मिली उस हार से उबरने में भारत के 22 साल का समय लगा। टोक्यो ने हमें कभी निराश नहीं किया, इतने लंबे समय बाद आज उसी टोक्यो की धरती पर भारत का सपना फिर साकार हुआ, जहाँ भारत की झोली में आखिरी बार सोने का मेडल आया था। फिर आज टोक्यो भारतीय हॉकी को सम्मान का तगमा दिया है। टोक्यो भारतीय हॉकी के जीत का मैदान बन गया है।
कश्ती को तूफान से निकालने में माहिर है नवीन पटनायक चक्रवात की मार से अपने प्रदेश को बचाने के मास्टर पटनायक ने आफत की आंधी में घिरी हॉकी इंडिया को नई राह, मंजिल, मकसद, महत्व और मान दिया है। साल 2018 में जब नायक, महानायक, भारत सरकार उद्योगपति कोई भी हॉकी का हाथ थामने सामने नहीं आया, तो नवीन ने कहा “मैं हूं ना” नवीन ने युवा हॉकी महिला और पुरष दोनों ही टीम का दामन थामा और आज दोनों ही टीम इतिहास रच दुनिया के सामने खड़ी हैं। राष्ट्र खेल के जरिए सच्चे राष्ट्रभक्त होने की जो मिसाल पेश की है, बड़े-बड़े बातों के बतासे बाट तमाशा बनाने वाले नेता उनकी परछाई से भी बोने दिख रहे हैं, वक्त के आईने में। महान हॉकी खिलाड़ी दिलीप टीर्की को कमान सौंप नवीन ने हॉकी की बुलंदी का जो खाका तैयार किया यह जीत उस महान विश्वास का सर्वोत्तम मीठा फल है। इस जीत को देख 13 सेकेंड में हार की कसक 22 साल से पालने वाले दिलीप की आँखें बरस पड़ी थी।
करो ट्वीट पर ट्वीट, पीटो ताली पर ताली, लगाओ आपने चित्र की बड़ी बड़ी होर्डिंग, अब तो जय जयकार हॉकी, हॉकी के खिलाड़ियों और हॉकी के शिल्पकार नवीन की ही होगी। आप सब तो बस भीड़ का हिस्सा हैं जो इकट्ठा तो हो जाती है पर सहयोगी कभी नहीं बन पाती। उम्मीद है इस महान जीत के बाद हॉकी नए अवतार में स्वदेश आएगी, अब कोई भी मंत्री हॉकी के मैदान में हाकी खिलाड़ी के लिए ताला नहीं लगाएगा। दूतकार, फटकार, तिरस्कार, हकारत को भी जर्मनी के साथ हॉकी इंडिया टोक्यो में रौंद आई है। अब जो नई पटकथा लिखी जाएगी उम्मीद है उसमें देश प्रेम का दिखावा करने वाले नेता, फिल्मी सितारे, अभिनेता, अडानी, अंबानी, बजाज, मुंजाल, टाटा, बाटा भी आगे आएंगे ही और नहीं भी आएंगे तो क्या फर्क पड़ता है नवीन है ना।