Bulldozer Action पर अब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने कड़ा रुख अपनाया है। पंजाब पुलिस द्वारा कथित ड्रग तस्करों की संपत्तियों को बुलडोजर से ध्वस्त करने की कार्रवाई पर कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है। यह जनहित याचिका पीपल वेलफेयर सोसायटी (People Welfare Society) द्वारा दायर की गई है, जिसमें दलील दी गई है कि NDPS Act (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट) में इस तरह की संपत्ति ध्वस्त करने का कोई प्रावधान नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में पंजाब सरकार, पंजाब परिवहन विभाग के सचिव, लुधियाना पुलिस कमिश्नर और Narcotics Control Bureau (NCB) चंडीगढ़ के जोनल डायरेक्टर को नोटिस जारी किया है।
Punjab Police की कार्रवाई पर सवाल
याचिका में कहा गया कि 28 फरवरी को प्रकाशित समाचार रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब पुलिस ने ड्रग तस्करों के खिलाफ कार्रवाई के तहत उनकी अवैध संपत्तियों को ध्वस्त करना शुरू कर दिया है। लुधियाना (Ludhiana) पुलिस ने पिछले हफ्ते ही दो कथित ड्रग तस्करों की संपत्ति गिराई थी और अब तक 78 और संपत्तियों की पहचान कर ली गई है, जिन्हें जल्द ही ध्वस्त किया जाएगा।
याचिकाकर्ता का तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाए और एनडीपीएस एक्ट के तहत कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाए। उन्होंने यह भी मांग की कि BNSS 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita 2023) की धारा 107 और मोटर वाहन अधिनियम 1988 (Motor Vehicles Act 1988) की धारा 19 (a) से (c) को लागू किया जाए ताकि पंजाब में नशे की समस्या को प्रभावी तरीके से रोका जा सके।
High Court ने मांगा जवाब, 25 मार्च को अगली सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश शील नागु (Sheel Nagu) और न्यायमूर्ति सुमीत गोयल (Sumeet Goel) की खंडपीठ ने इस मामले में सभी पक्षों से 25 मार्च तक जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इस मुद्दे पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसे भी ध्यान में रखा जाएगा।
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि “कोई भी आरोपी जब तक दोषी साबित नहीं होता, तब तक उसकी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जा सकता।”
Supreme Court का ‘Bulldozer Action’ पर बड़ा आदेश
पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुलडोजर से संपत्ति ध्वस्त करने के मामलों पर सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि कोई भी सरकारी एजेंसी सिर्फ इस आधार पर किसी की संपत्ति ध्वस्त नहीं कर सकती कि वह किसी अपराध का आरोपी है। यह Rule of Law (कानून के शासन) के खिलाफ होगा और न्यायपालिका की शक्तियों में हस्तक्षेप माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि “कार्यपालिका न्यायाधीश नहीं बन सकती। केवल आरोपों के आधार पर अगर किसी व्यक्ति की संपत्ति को ध्वस्त किया जाता है, तो यह कानून के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन होगा।”
क्या होगा आगे?
- हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार, पंजाब पुलिस और NCB को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
- 25 मार्च को हाईकोर्ट में अगली सुनवाई होगी, जिसमें इस मामले पर विस्तृत चर्चा होगी।
- सुप्रीम कोर्ट का पूर्व फैसला इस मुद्दे पर कितना लागू होता है, इसे लेकर बहस हो सकती है।
अब देखना होगा कि हाईकोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेता है और पंजाब सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।