The News Air- चंडीगढ़ नगर निगम चुनावों में सबसे ज़्यादा सीटें जीतने के बाद भी अपना मेयर न बना पाने का दर्द आम आदमी पार्टी के पार्षदों में अभी तक बना हुआ है। मेयर पद की दावेदार पार्टी पार्षद अंजू कात्याल समेत तीन पार्षद पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट पहुंच गए हैं। मांग की गई है कि मेयर के चुनावों को गैर क़ानूनी घोषित किया जाए। इसके अलावा राज्य चुनाव अधिकारी, नगर निगम और अन्य प्रतिवादियों को मेयर पद के ताज़ा चुनाव करवाए जाने के आदेश दिए जाएं। याचिका दायर करने वालों में कात्याल के अलावा प्रेम लता और राम चंद्र यादव शामिल हैं। 19 जनवरी को इस मामले में हाईकोर्ट सुनवाई करेगा।
राजनीतिक षडयंत्र रचने के आरोप
याचिका में आरोप लगाया गया है कि मौजूदा रुलिंग पार्टी के बड़े प्रभावशाली नेताओं ने निगम चुनावों में कई प्रकार के राजनीतिक षडयंत्र किए। कहा गया कि आप ने सब से ज़्यादा 14 सीटें हासिल की थी और सबसे बड़ी पार्टी बन कर आई थी। दावा किया गया है कि भाजपा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई और पार्षदों की ख़रीद-फ़रोख़्त में लग गई। हालांकि आप के किसी भी पार्षद को ख़रीद नहीं पाई। तिलमिलाहट में भाजपा ने और तरीक़ों से नतीजों को अपने हक़ में करने की कोशिशें शुरू कर दी, जिसमें प्रशासन की अथॉरिटी पर दबाव पाना भी शामिल था।
याचिका में कहा गया है कि कांउटिंग के दौरान पाया था कि एक बैलेट स्लिप बाईं तरफ़ नीचे से फटी हुई थी। इसकी जानकारी तुरंत आप द्वारा प्रेजाइडिंग अफ़सर को दी गई थी जो भाजपा का चुना हुआ पार्षद था। कुछ 28 पोल की हुई वोटों की गिनती के दौरान 8 वोटों में त्रुटि के चलते एक तरफ़ रख दिया गया था। आप साफ़ तौर पर 2 वोटों के फ़र्क से जीत गई थी। 11 वोट अंजू कात्याल और 9 भाजपा के कैंडिडेट को पड़ी थी।
भाजपा और अफ़सरों की ट्रिक के चलते बनी भाजपा की मेयर
आप पार्षदों ने कहा कि सारी प्रकिया की वीडियोग्राफी हुई थी और जिससे साफ़ देखा जा सकता है कि पहले संबंधित अथॉरिटी ने वैद्य 28 वोटों को लिया था और ख़राब वोटों को एक तरफ़ रख दिया था जो 8 थे और जिन्हें लेकर आप और भाजपा के प्रतिनिधि पहले ही विरोध जता चुके थे। प्रेजाइडिंग अफ़सर और डिविजनल कमिश्नर ने एक और ट्रिक चलते हुए तानाशाही तरीक़े से उन 8 वोट्स पर विचार करना शुरू कर दिया। इस दौरान प्रेजाइडिंग अफ़सर ने फटी हुई वोटर स्लिप को भी भाजपा को दिया हुआ बता उसे कांउटिंग में जोड़ दिया।
इसके बाद 14-14 पर टाई हो गया। इसके बाद पेटिशनर के हक़ में दिए गए एक वोट पर कहा कि उसके पीछे एक निशान बनाया हुआ है जो दिखाया नहीं गया। इसे तुरंत खारिज कर दिया गया और भाजपा कैंडिडेट को एक वोट के अंतर से विजेता ऐलान कर दिया।
कुर्सी से उठाने की पूरी कोशिशें की थी आप ने
बीते 8 जनवरी को हुए निगम चुनावों में जब भाजपा कैंडिडेट सरबजीत कौर को मेयर ऐलान किया गया था तो आप पार्षदों ने इसका पुरज़ोर विरोध कर सरबजीत को मेयर की कुर्सी से उठाने की कोशिशें तक की थी। हाउस में तनाव को लेकर मौक़े पर पुलिस को बुला लिया गया था। यहां तक की नौबत हाथापाई तक पहुंचने वाली थी। भारी हंगामें के बीच सरबजीत कौर ने कुर्सी संभाले रखी थी।