Punjab politics : पंजाब की राजनीति में हलचल तेज है। राज्य के पूर्व मंत्री और मौजूदा शिरोमणि अकाली दल (SAD) के उपाध्यक्ष अनिल जोशी जल्द ही कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। 30 सितंबर को उन्होंने दिल्ली में राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद सियासी गलियारों में उनके कांग्रेस जॉइन करने की अटकलें और तेज हो गई हैं।
राजनीतिक सफर: BJP से अकाली दल तक
अनिल जोशी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी (BJP) से की थी।
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2007 और 2012 में वे अमृतसर नॉर्थ विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार के रूप में लगातार दो बार विधायक चुने गए।
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भाजपा और अकाली दल की गठबंधन सरकार में वे स्थानीय निकाय, चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान मंत्री भी रहे।
लेकिन 2017 के चुनाव में उन्हें कांग्रेस के प्रत्याशी सुनील दत्ती से हार का सामना करना पड़ा।
किसान आंदोलन के दौरान बड़ा मोड़
जोशी की राजनीति में असली बदलाव तब आया जब किसान आंदोलन ने पंजाब की सियासत को हिला दिया।
उन्होंने भाजपा से इस्तीफा देते हुए कहा था कि उनकी प्राथमिकता हमेशा जनता और किसानों के हित रहेंगे।
2021 में उन्होंने शिरोमणि अकाली दल जॉइन किया और 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार बने। हालांकि, चुनावी नतीजों में सफलता हाथ नहीं लगी।
बैकग्राउंड: क्यों कांग्रेस बन सकती है नई मंज़िल?
पंजाब में कांग्रेस अपनी सियासी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है, जबकि अकाली दल कई चुनावी हार के बाद कमजोर स्थिति में है। ऐसे में अनिल जोशी जैसे पूर्व मंत्री और अनुभवी नेता का कांग्रेस में आना पार्टी के लिए एक बड़ा पॉलिटिकल बूस्टर साबित हो सकता है। खुद जोशी भी कह चुके हैं कि वे अमृतसर और पंजाब की जनता की सेवा के लिए मजबूत मंच तलाश रहे हैं।
मुख्य बातें (Key Points):
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अनिल जोशी ने दिल्ली में राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की।
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पूर्व भाजपा नेता और मौजूदा अकाली दल उपाध्यक्ष जल्द कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।
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2007 और 2012 में अमृतसर नॉर्थ से विधायक रह चुके हैं।
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किसान आंदोलन के दौरान भाजपा छोड़ी और 2021 में अकाली दल जॉइन किया था।






