Delhi Politics News: दिल्ली में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना (VK Saxena) को एक पत्र लिखा है, जिसमें ‘Sheesh Mahal’ कहे जाने वाले सरकारी बंगले से जुड़े चार संपत्तियों के विलय को रद्द करने की मांग की गई है।
क्या है ‘Sheesh Mahal’ विवाद?
दरअसल, यह वही बंगला है, जिसमें आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) रहते थे। भाजपा और कांग्रेस इस बंगले को ‘शीशमहल’ कहकर संबोधित करती हैं और आरोप लगाती हैं कि इसका पुनर्निर्माण और साज-सज्जा पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए थे।
बीजेपी का दावा है कि इस आलीशान बंगले को चार सरकारी बंगलों को मिलाकर तैयार किया गया था, और यह जनता के पैसे की बर्बादी है। इसी मुद्दे को भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान जोर-शोर से उठाया था।
BJP ने LG से क्या अपील की?
अब चुनावों के बाद, दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा (Virendra Sachdeva) ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना (VK Saxena) को पत्र लिखकर यह मांग की है कि इन चार सरकारी बंगलों के विलय को रद्द कर दिया जाए।
सचदेवा ने कहा, “भाजपा ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि अगर हमारी सरकार बनी, तो मुख्यमंत्री इस बंगले में नहीं रहेंगे। अब दिल्ली सरकार को तय करना चाहिए कि इस बंगले का क्या उपयोग किया जाए।”
AAP ने BJP के आरोपों को किया खारिज
AAP की ओर से बीजेपी के इन दावों को राजनीतिक नौटंकी (Political Gimmick) बताया गया है। AAP नेताओं का कहना है कि यह बंगला पूरी तरह से सरकारी नियमों के तहत आवंटित किया गया था और किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई।
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता ने कहा, “बीजेपी के पास जनता के असली मुद्दों पर बात करने के लिए कुछ नहीं बचा है। इसलिए वे ‘शीशमहल’ जैसे झूठे मुद्दों को उछालकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं।”
क्या होगा बंगले का भविष्य?
अब सवाल उठता है कि अगर BJP की मांग मानी जाती है, तो इस बंगले का भविष्य क्या होगा?
- क्या इसे सरकारी उपयोग के लिए किसी अन्य विभाग को दिया जाएगा?
- क्या इसे किसी नए सरकारी प्रोजेक्ट में बदला जाएगा?
- या फिर इसे मुख्यमंत्री आवास के रूप में ही रखा जाएगा?
इस पर अंतिम फैसला दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल को लेना होगा।
राजनीति गरम, आगे क्या होगा?
इस विवाद के कारण दिल्ली की राजनीति गर्म हो चुकी है। जहां भाजपा इसे ‘जनता के पैसे की लूट’ बता रही है, वहीं AAP इसे विपक्ष की चाल करार दे रही है। इस मामले में अब उपराज्यपाल की भूमिका अहम हो गई है।