क्या कहना है रूसी स्पेस एजेंसी का
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में रूसी स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस (Roscosmos) के हवाले से बताया गया है कि रूस के लूना-25 स्पेसक्राफ्ट को चांद तक उड़ान भरने में सिर्फ 5 दिन लगेंगे। रूस ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के लिए 3 संभावित जगहों की पहचान की है। हालांकि लैंडिंग से पहले लूना-25 स्पेसक्राफ्ट, चंद्रमा की कक्षा में 5 से 7 दिनों तक रहेगा। रिपोर्ट कहती है कि दोनों मिशन साथ-साथ या फिर लूना-25 स्पेसक्राफ्ट पहले ही चांद पर लैंड कर सकता है।
आखिर ऐसा कैसे मुमकिन है?
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (Nasa) से लेकर चीन की अंतरिक्ष एजेंसी और अब रूस 4 से 5 दिनों में अपना स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा पर पहुंचा रहे हैं। इसके मुकाबले, इसरो इस काम को 40 दिनों में पूरा कर रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकलने के लिए पावरफुल रॉकेट की जरूरत होती है। सीधे चंद्रमा पर पहुंचना हो, तो और भी ज्यादा ताकतवर रॉकेट चाहिए। अमेरिका और चीन ने बेहद पावरफुल रॉकेट का इस्तेमाल करके चांद का सफर 4 दिनों में पूरा कर लिया। रूस भी यही करने जा रहा है। इस काम में बहुत ज्यादा ईंधन और पैसा लगता है। वहीं, इसरो बेहद कम ईंधन और कम बजट में चंद्रमा पर मिशन भेज रही है। इसीलिए उसे 40 दिन लग रहे हैं।
तो क्या बाकी देशों से पीछे रह गए हम?
ऐसा बिलकुल नहीं है। रूस और भारत दोनों का ही मकसद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचना है। यह काम बिना किसी रुकावट के पूरा हो जाए, यह बड़ी जीत होगी। चांद तक जल्दी पहुंचकर भी अगर रूस मिशन में फेल होता है, तो यह उसके लिए झटका होगा। चंद्रमा पर जल्दी पहुंचना बड़ी बात नहीं है। वहां मिशन को सफलता से लैंड कराना बड़ी उपलब्धि होगी।