पटना, 12 दिसंबर (The News Air) भाजपा ने मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री पद के रूप में घोषित कर बड़ा दांव खेला है। माना जा रहा है कि भाजपा ने इस दांव के जरिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वोटबैंक को साधने, बल्कि, परिवारवाद के आरोपों से घिरी इस पार्टी को घेरने की कोशिश की है।
पिछले वर्ष नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के भाजपा से अलग होने के बाद से ही भाजपा आक्रामक मूड में है और बिहार में संगठन को धारदार और मजबूत बनाने में जुटी है। भाजपा यह मानती है कि राजद और जदयू के एक साथ होने के बाद लोकसभा चुनाव में भाजपा को बड़ी चुनौती बिहार में मिल सकती है, इसलिए भाजपा हर वह दांव चल रही है जिससे विरोधियों को बैकफुट पर रखा जा सके।
भाजपा के इस निर्णय के बाद पार्टी नेता आक्रामक तेवर अपना चुके हैं। भाजपा के प्रवक्ता राकेश कुमार सिंह कहते हैं कि भाजपा जाति की नहीं जमात की राजनीति करती है। भाजपा पहले से ही कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाने का काम करती है और छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश का निर्णय भी इसी से जुड़ा है। राजद बनने के बाद से ही लालू प्रसाद यादव ही अध्यक्ष रहे, जब मौका मिला तो पत्नी को सीएम बना दिया और फिर बेटी और बेटा को आगे बढ़ाने का काम किया।
उन्होंने कहा कि क्या बिहार में कोई अन्य यादव नहीं हैं। जाति किसी की जागीर नहीं है।
उल्लेखनीय है कि बिहार में हाल ही में जारी जाति-आधारित सर्वेक्षण आंकड़ों से साफ है कि राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग में यादवों की आबादी सबसे बड़ी है, जिनकी कुल आबादी 14.26 प्रतिशत है। माना जाता है कि राजद ने मुस्लिम-यादव मतदाता के दम पर बिहार में 15 वर्षों तक शासन किया। ऐसे में भाजपा की नजर यादव मतदाताओं पर है।
बिहार में कुल 40 लोकसभा सीटें हैं और भाजपा सभी सीटों पर तैयारी कर रही है।
जदयू के केसी. त्यागी कहते हैं कि नीतीश कुमार के कारण ही भाजपा को अपनी रणनीति बदलनी पड़ रही है। भाजपा हमारा अनुकरण कर रही है। जदयू शुरू से पिछड़ों, आदिवासियों को तरजीह देती रही है। अब, भाजपा भी वही कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि गठबंधन के सामने भाजपा कहीं नजर नहीं आयेगी।