The News Air- दिल्ली हाईकोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं को ऐप के ज़रिए निशाना बनाने वाले मुख्य आरोपियों को ज़मानत दे दी है। कोर्ट ने नीरज बिश्नोई और ओंकारेश्वर ठाकुर को मानवीय आधार पर रिहा कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों ने पहली बार कोई अपराध किया है ऐसे में उनका लम्बे समय तक जेल में रहना ठीक नहीं। केस लम्बा चलेगा, इसलिए उन्हें ज़मानत देने में ही भलाई है।
पटियाला हाउस कोर्ट के चीफ़ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम) पंकज शर्मा ने कहा, “इस मामले में जांच पूरी हो गई है 4 मार्च को चार्जशीट दाखिल कर दी गई है।” कोर्ट ने दोनों को 50-50 हज़ार के मुचलके पर ज़मानत दी है।
ज़मानत का हुआ विरोध
दोनों 9 जनवरी 2022 से न्यायिक हिरासत में थे। नीरज बिश्नोई के खुलासे के बाद ही ओंकारेश्वर को अरेस्ट किया गया था। प्रोसिक्यूशन ने उनकी ज़मानत का विरोध करते हुए कहा कि जांच जारी है और मामले में फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतज़ार है। बेल मिलने के बाद दोनों गवाहों को धमका सकते हैं और सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं।
कोर्ट ने लगाई ये शर्तें
- कोर्ट ने प्रोसिक्यूशन की चिंता को महत्व देते हुए कहा कि आरोपी ओंकारेश्वर और नीरज को आदेश दिया है कि वह केस से जुड़े किसी भी व्यक्ति से संपर्क नहीं करेंगे।
- इसके अलावा उन्हें जांच अधिकारी के पास अपना नंबर देना होगा और सुबूतों से छेड़छाड़ नहीं करनी होगी।
उन्हें गूगल मैप में अपना एक पिन डालना होगा, ताकि पुलिस को उसकी लोकेशन मिलती रहे।
दोनों आरोपियों को अपना फ़ोन चालू रखना होगा। वे देश छोड़कर नहीं जा सकेंगे। कोर्ट की तारीख़ पर उन्हें हाज़िर होना पड़ेगा।
क्या है बुल्ली और सुल्ली डील्स केस
सुल्ली डील्स ऐप जुलाई 2021 में गिटहब प्लेटफॉर्म पर बनाया गया था। जिसमें मुस्लिम महिलाओं के लिए अपमानजनक भाषा के साथ नीलामी के लिए बोली लगाई ज़ाती थी। इसमें उन महिलाओं को रखा गया था, जो सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती थीं। मामले में पहली FIR एक जनवरी को हुई थी। मामले की जांच दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु पुलिस ने की थी।