Ancient Temple Remains Found in Church: Kerala (केरल) के Palai (पलाई) में एक चर्च की जमीन पर खुदाई के दौरान प्राचीन मंदिर के अवशेष मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई। इस खुदाई में Shivling (शिवलिंग) और अन्य धार्मिक चिन्ह सामने आए, जिससे हिंदू समुदाय में उत्सुकता बढ़ गई।
चौंकाने वाली बात यह है कि Catholic Church Administration (कैथोलिक चर्च प्रशासन) ने इस खोज को सकारात्मक रूप में लिया और हिंदू समुदाय को पूजा-अर्चना की अनुमति दे दी।
कैसे मिला मंदिर का अस्तित्व?
The Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक, 1.8 एकड़ भूमि पर Cassava (टैपियोका) की खेती के लिए खुदाई की जा रही थी, तभी प्राचीन मंदिर के अवशेष सामने आए।
यह स्थान Sri Vanadurga Bhagavathy Temple (श्री वनदुर्गा भगवती मंदिर) से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर समिति इस खोज से हैरान थी और उन्होंने इस स्थान पर ‘Devaprasnam’ (देवप्रस्नम पूजा अनुष्ठान) करने का फैसला लिया, जिससे मंदिर के इतिहास और इसकी पवित्रता को लेकर मार्गदर्शन मिल सके।
चर्च ने दिखाई सौहार्द की मिसाल
Palai Diocese (पलाई डायोसीज) के Chancellor Father Joseph Kuttiyankal (चांसलर फादर जोसेफ कुट्टियानकल) ने इस खोज की पुष्टि करते हुए कहा कि चर्च हिंदू समुदाय की भावनाओं का सम्मान करता है।
उन्होंने कहा: “हमारा हिंदू समुदाय के साथ हमेशा सौहार्दपूर्ण संबंध रहा है और हम इसे बनाए रखना चाहते हैं। चर्च, हिंदू समुदाय की मांगों को लेकर संवेदनशील है और शांति व आपसी प्रेम को प्राथमिकता देता है।”
Sri Vanadurga Bhagavathy Temple Committee (श्री वनदुर्गा भगवती मंदिर समिति) के सदस्य Vinod KS (विनोद केएस) ने बताया कि 4 फरवरी को मंदिर के अवशेष मिले थे, लेकिन स्थानीय लोगों को इसकी जानकारी दो दिन बाद मिली, जब वहां दीप जलाए गए।
इसके बाद मंदिर समिति ने Palai Diocese के Priests (पादरियों) से संपर्क किया और चर्च प्रशासन ने बिना किसी आपत्ति के ‘Devaprasnam’ पूजा अनुष्ठान की अनुमति दे दी।
मंदिर का छिपा हुआ इतिहास सामने आया!
Hindu Mahasangham Meenachil (हिंदू महासंघम, मीनाचिल) के अध्यक्ष एडवोकेट Rajesh Palat (राजेश पलाट) ने चर्च के इस फैसले का स्वागत किया।
उन्होंने कहा: “हमने अपने पूर्वजों से इस मंदिर के अस्तित्व की कहानियां सुनी थीं। बताया जाता है कि यह भूमि कभी एक ब्राह्मण परिवार के पास थी, लेकिन लगभग 100 साल पहले मंदिर खंडहर में तब्दील हो गया। धीरे-धीरे यह जमीन हिंदू समुदाय से ईसाई समुदाय के हाथों में चली गई।”
अब जब मंदिर के अवशेष मिले हैं, तो लोग इसकी ऐतिहासिक सच्चाई जानने के लिए उत्सुक हैं।
क्या होगा आगे?
इस ऐतिहासिक खोज के बाद स्थानीय प्रशासन और पुरातत्व विभाग भी इस स्थान का अध्ययन कर सकते हैं। वहीं, हिंदू समुदाय इसे फिर से मंदिर के रूप में विकसित करने की मांग कर सकता है।