Manjinder Singh Sirsa : दिल्ली में 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सत्ता में वापसी की है। रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) के मुख्यमंत्री बनने के बाद रामलीला मैदान में शपथग्रहण समारोह संपन्न हुआ, जिसमें छह मंत्रियों ने भी शपथ ली। इनमें से एक प्रमुख नाम मनजिंदर सिंह सिरसा (Manjinder Singh Sirsa) का है, जो पहली बार भाजपा के टिकट पर विधायक बने और अब सीधे कैबिनेट मंत्री बन गए हैं।
अकाली दल से BJP तक का सफर
मनजिंदर सिंह सिरसा पहले शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेता थे। वे दो बार अकाली दल के टिकट पर विधायक चुने जा चुके हैं। लेकिन 2021 में उन्होंने भाजपा जॉइन कर ली। 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें राजौरी गार्डन (Rajouri Garden) से उम्मीदवार बनाया, जहां उन्होंने आम आदमी पार्टी (AAP) की धनवती चंदेला (Dhanwati Chandela) को 18,190 वोटों के अंतर से हराया। सिरसा को 64,132 वोट मिले, जबकि चंदेला को 45,942 वोट मिले।
दिल्ली सिख समुदाय में प्रभावशाली चेहरा
मनजिंदर सिंह सिरसा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (DSGMC) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 2013 में पहली बार इस पद पर निर्वाचित हुए और 2017 में दोबारा अध्यक्ष बने। उनकी गिनती दिल्ली के प्रभावशाली सिख नेताओं में होती है। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सिरसा ने गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के महासचिव के रूप में भी सेवाएं दी हैं।
राजनीतिक कौशल और 2017 का उपचुनाव
2017 में हुए दिल्ली विधानसभा उपचुनाव में उन्होंने राजौरी गार्डन सीट पर जीत दर्ज की थी। तब भी उन्होंने AAP की धनवती चंदेला को बड़े अंतर से हराया था। इस जीत ने उन्हें दिल्ली की राजनीति में एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित किया और BJP के लिए एक महत्वपूर्ण चेहरा बना दिया।
मनजिंदर सिंह सिरसा का निजी जीवन और संपत्ति
मनजिंदर सिंह सिरसा का जन्म 28 फरवरी 1972 को हुआ। उन्होंने पंजाब-Delhi University से BA (Hons) किया, हालांकि उनके अध्ययन की अवधि दो साल रही। सिरसा दिल्ली के सबसे अमीर विधायकों में से एक माने जाते हैं। 2025 के चुनावी हलफनामे के अनुसार, उनकी कुल संपत्ति 248.9 करोड़ रुपये है।
मंत्री बनने के पीछे BJP की रणनीति
BJP ने सिरसा को मंत्री बनाकर कई राजनीतिक समीकरण साधे हैं। वे दिल्ली में प्रमुख सिख चेहरों में से एक हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से उनकी करीबी देखी गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि सिरसा को मंत्री बनाकर BJP ने पंजाब में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की रणनीति अपनाई है। किसान आंदोलन के बाद पंजाब में BJP को झटका लगा था। ऐसे में, सिरसा की नियुक्ति 2027 के पंजाब चुनाव से पहले सिख वोट बैंक को लुभाने का एक अहम कदम मानी जा रही है।