केंद्र को गलत तरीके से रोके गए पंजाब के 8,000 करोड़ रुपये तुरंत जारी करने चाहिए – डॉ. संदीप पाठक
एनएचएम फंड का इस्तेमाल आम आदमी क्लीनिकों के लिए नहीं किया गया, पंजाब सरकार के पास इसके लिए अपना फंड है, इसलिए केंद्र को पंजाबियों के हक का पैसा नहीं रोकना चाहिए – पाठक
आरडीएफ का उपयोग ग्रामीण पंजाब में मंडियों और सड़कों के रखरखाव के लिए किया जाता है जिसका सीधा असर कृषि क्षेत्र पर पड़ता है, मान सरकार ने केंद्र सरकार की मांग के अनुसार नए कानून बनाए, उन्हें आरडीएफ जारी करना चाहिए : पाठक
संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने वित्तीय संकट के कारण पंजाब के किसानों को होने वाली समस्याओं से संसद को अवगत कराया
केंद्र को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए वाघा बॉर्डर खोलना चाहिए, यह पंजाब के लिए बहुत आवश्यक आर्थिक प्रोत्साहन साबित होगा, संत बलबीर सिंह सीचेवाल
सभी फसलों पर लागू हो एमएसपी गारंटी कानून, मोदी सरकार ने सिर्फ औपचारिकता के लिए एमएसपी की घोषणा की, किसानों को फसल के उचित दाम नहीं मिल रहे : संत बलबीर सिंह
सरकार ने गुमराह करने के लिए मक्के की 1962 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी की घोषणा की लेकिन किसानों से इसे 700-1200 रुपये प्रति क्विंटल में खरीदा गया : सीचेवाल
स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करना, कृषि क्षेत्र में सुधार करना और खेती को लाभ का व्यवसाय बनाना एम.एस. स्वामीनाथन को सच्ची श्रद्धांजलि होगी – सीचेवाल
चंडीगढ़, 11 दिसंबर (The News Air) पंजाब से आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य डॉ. संदीप पाठक और संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने सोमवार को संसद में पंजाब से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए। डॉ. पाठक ने केंद्र सरकार से पंजाब के सभी रुके हुए फंड जारी करने की अपील की, जबकि संत बलबीर सिंह ने कृषि और किसानों के मुद्दों पर बात की।
डॉ. संदीप पाठक ने संसद को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार पंजाब के कई फंड रोक रखी है जो पंजाब के लोगों का हक है। इसे तुरंत जारी किया जाना चाहिए। डॉ पाठक ने कहा कि केंद्र पर पंजाब सरकार का आरडीएफ (ग्रामीण विकास निधि) का 5,500 करोड़ रुपये बकाया हैं। इस निधि का उपयोग पंजाब की मंडियों और ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों के निर्माण और रखरखाव के लिए किया जाता है। पिछली सरकारों ने इस फंड का इस्तेमाल दूसरे कामों में किया जिसके कारण केंद्र सरकार ने इस फंड को बंद कर दिया। लेकिन अब पंजाब में नई सरकार है और पंजाब की मान सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए नए कानून भी बनाए हैं कि यह पैसा केवल मंडियों और ग्रामीण सड़कों पर ही खर्च किया जाएगा। इसलिए मोदी सरकार को बिना किसी देरी के यह फंड जारी करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) के 621 करोड़ रुपये भी लंबित हैं और केंद्र सरकार यह पैसा यह कहकर जारी करने से इनकार कर रही है कि यह आम आदमी क्लीनिक के लिए नहीं है। पाठक ने संसद को बताया कि पंजाब में आम आदमी क्लीनिकों पर एनएचएम फंड खर्च नहीं किया जा रहा है, क्योंकि इसके लिए पंजाब सरकार का अपना अलग फंड है। यह पैसा दवाओं, चिकित्सा उपकरणों, तहसील और जिला सरकारी अस्पतालों के लिए है। इसलिए वे इसे अनुचित तरीके से रोक रहे हैं।
इसके अलावा एमडीएफ के 850 करोड़ और विशेष सहायता निधि के 1800 करोड़ भी केंद्र सरकार दबाए बैठी है। डॉ. पाठक ने कहा कि कुल मिलाकर यह लगभग 8,000 करोड़ रुपये बनता है, जिसपर पंजाब और पंजाब के लोगों का हक है। उन्होंने केंद्र सरकार से ये फंड जारी करने की अपील की। उन्होंने कहा कि अगर मोदी सरकार पंजाब को उसका पैसा देने से इनकार करती रही तो उनके पास सुप्रीम कोर्ट जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही राज्य और केंद्र सरकार के लगभग 35,000 मामले लंबित हैं, इसलिए मोदी सरकार को पंजाब और पंजाब के लोगों के लिए सही काम करना चाहिए और यह पैसा तुरंत जारी करना चाहिए ताकि विकास के काम किए जा सकें और बिना किसी वित्तीय बाधा के स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जा सके।
आप सांसद संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने भी संसद में पंजाब की कृषि और किसानों के मुद्दे उठाए। उन्होंने संसद को पंजाब के किसानों को आर्थिक तंगी के कारण हो रही परेशानियों से अवगत कराया। उन्होंने प्रसिद्ध कहावत ‘उत्तम खेती, मध्यम व्यापार, निखिद्ध चाकरी’ का जिक्र करते हुए कहा कि खेती को सबसे अच्छा व्यवसाय माना जाता था लेकिन अब यह घाटे का व्यवसाय बन गया है। इसीलिए पंजाब का युवा राज्य छोड़कर दूसरे देशों की ओर पलायन कर रहा है और पंजाब का लाखों-अरबों पैसा अपने साथ ले जा रहा है।
आप नेता ने कहा कि देश में हर रोज 114 किसान और दिहाड़ी मजदूर आत्महत्या कर रहे हैं। इसके लिए हमारा सिस्टम और सरकार जिम्मेदार है। केंद्र सरकार को किसानों को वित्तीय संकट से बाहर निकालने के लिए मदद का हाथ बढ़ाना चाहिए। सीचेवाल ने कहा कि सरकार 23 फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा करती है लेकिन वे केवल औपचारिकता भर है क्योंकि एमएसपी पर केवल गेहूं और धान ही खरीदा जाता है। बाकी फसलों के लिए किसानों को उचित मूल्य नहीं मिलता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने गुमराह करने के लिए मक्के की 1962 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी की घोषणा की लेकिन किसानों से इसे सिर्फ 700-1200 रुपये प्रति क्विंटल में खरीदा जा रहा है। इसलिए सरकार को एमएसपी गारंटी कानून लागू करना चाहिए जैसा कि सरकार ने कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील करते हुए किसानों से वादा किया था।
उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार को देश के कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना चाहिए और खेती को लाभ का व्यवसाय बनाना चाहिए। यही एम.एस.स्वामीनाथन को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने यह भी मांग की कि भारत और पाकिस्तान के बीच व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए वाघा बॉर्डर को खोला जाना चाहिए क्योंकि जब हमारे किसान 5 रुपये किलो आलू बेच रहे हैं, तो। यह पाकिस्तान में 150 रुपये किलो बेचा जा रहा है। यह वही आलू है लेकिन यह गुजरात या दुबई के रास्ते पाकिस्तान पहुंचता है। उन्होंने कहा कि व्यापारिक उद्देश्यों के लिए वाघा बॉर्डर खोलने से पंजाब और उसके कृषि क्षेत्र को वित्तीय बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि चीन के साथ तमाम मतभेदों और मुद्दों के बावजूद, हम अभी भी उसके साथ व्यापार करते हैं तो पाकिस्तान के लिए भी ऐसा होना चाहिए।