सीता सुत कल्याण राम मंदिर की नींव, भाजपा का आधार, राम भक्तों के अगुआ, समाज के साधु, पद का सम्मान, सत्यता के पर्यायवाची और हठ योग के महारथी के रूप में हिंदू हृदय सम्राट बन युगों युगों तक चमकते सितारे की तरह राम नाम की धूनी में रचे बसे बार बार दोहराएं गुनगुनाए जाते रहेंगे। कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को पिता तेजपाल व माता सीता देवी के घर अलीगढ़ के मंडोली गांव में हुआ महज 35 साल की उम्र में सन् 1967 में पहली बार विधायक बन अतरौली विधानसभा से लखनऊ की राजनीति में पहला कदम रखा उस पहले कदम की छाप अब अमिट बन राह दिखा रही है, फिर 13 साल तक एक ही सीट से बार-बार चुने जीतते रहे। 1980 में कल्याण पहला चुनाव हारे, वो भी तब जब दल में दरार पड़ गई। भाजपा की स्थापना हुई राम नाम की जमीन 1997 में भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के सत्ता में आई और शीर्ष पर जा विराजे कल्याण मुख्यमंत्री की शपथ संघर्ष की राह से सत्ता का सिंहासन कब्जाने वाले कल्याण ने आपातकाल की कालकोठरी में 21 महीने बिताये इस यातना को साधना मान कल्याण कारावास से जब बाहर आए तो उत्तर प्रदेश में राम नरेश यादव की 1977 में सरकार बनावाने में जी जान लगा दिया और सरकार बनी तो उन्होंने में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में पद संभाला। राम नाम की सीमेंट से भाजपा की ईंट से ईंट जोड़ते भव्य श्री राम मंदिर की कल्पना से साकार स्वरूप तक कल्याण निर्भीक, निर्विवाद, निस्वार्थ, निसंदेह समर्पित कर अमरत्व पाने वाले एकमात्र बीजेपी नेता हैं, जिन्होंने राम की राह पर चल, राम भक्ति में रम, राम नाम अनुरागी बन, राम पताका ऊंची हो अयोध्या में राम लला का भव्य धाम बने पर जीवन का पल पल श्रद्धा भाव से अपने इष्ठ कोश्लेंदर के श्री चरणों में अर्पित किया। 6 दिसंबर 1992 को देश भर से आए कारसेवक विवादित ढांचे की ओर बढ़ रहे थे, घबराई खाकी खादी के चौखट पर सजदा थी, कमान कल्याण के हाथों में थी बुलंद स्वर में आदेश दिया न गोली चलाई जाएंगी, न राम भक्त मारे जाएंगे। इसकी बंदूकें जमीन देखती रही और गुंबद पर सवार राम भक्तों ने ढांचा ढहा दिया मलवा सरयूं की जलधार में प्रवाहित कर दिया। कल्याण ने मुख्यमंत्री की कुर्सी अपने आराध्य श्री राम के चरणों में समर्पित कर यह संतोष किया कि राम का पूरा आगे वह होगा जो राम की मर्जी जो राम का आदेश। 1997 में फिर लौटे कल्याण, राम नाम के रंग में रंगे मुकदमों का सामना किया हर अदालत की चौखट पर दोहराया अयोध्या में राम मंदिर बनाना ही उनका ध्येय था और धाराशाही ढांचे की जिम्मेदारी कल्याण में सदा सहर्ष स्वीकार कर खुद को गौरवान्वित बताते रहे। राजनीतिक दलों को कटघरे में खड़े कर कल्याण सिंह ने हमेशा सवाल दागा कि राम मंदिर अयोध्या में नहीं तो कहाँ बनेगा? अगर राम मंदिर वोट की राजनीति है तो विपक्षी राम मंदिर का मुद्दा अपने पाले में ले वोट की फसल काट ले।
बिना लाग लपेट सपाट राजनीति करने वाले कल्याण सिंह बाबूजी के नाम से भी जाने जाते हैं। अटल जी को 1999 बाबूजी ने मुखौटा बता बीजेपी से दूरी और मुलायम सिंह से करीबी बन ली। राष्ट्रीय क्रांति दल के नाम से अलग दल भी बनाया पर दाल नहीं गली तो 2004 में घर वापसी की 2009 में कल्याण सिंह फिर एक बार बागी हो बाहर चले गए। मोदी युग शुरू होने से पहले बीजेपी ने कल्याण के कपाट पर हाजिरी लगाई, कल्याण बिना बीजेपी का कल्याण कैसे होता? यह बात बीजेपी के चाणक्य और उत्तर प्रदेश की तत्कालीन रणनीति बनाने वाले अमित शाह को सपष्ट था। कल्याण के लिए भाजपा ने द्वार खोले खुले मन से मोदी शाह ने कल्याण सिंह का सम्मान किया। कल्याण सिंह ने भी मोदी को पीएम बनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। कल्याण ने चुनावी चाल चली, जीत की रणनीति बनाई, मंच से गरजे, समीकरण साधा, राम नाम हवा में उछाला और 2014 के चुनाव में उत्तरप्रदेश की 80 लोकसभा में से 71 सीटें जीत भाजपा का दरबार दिल्ली में सजा मोदी को बिठा दिया। प्रधानमंत्री बनते ही मोदी ने कल्याण सिंह को राजस्थान का राज्यपाल बनाया, हिमाचल प्रदेश का प्रभार भी कुछ समय के लिए उनके पास ही रहा। राज्यपाल की गरिमामई सेवा पूर्ण कर जब वापस रामनगरी लौटे तो कल्याण सिंह ने तीसरी और अंतिम बार उसी भाजपा की सदस्यता ली जिसका जन्म उनके ही हाथों हुआ था। आखिरी पारी शुरू करते वक्त कल्याण सिंह भरी आँखों और भरभराई आवाज से संबोधन किया जब तक जिंदा रहूं भाजपा में रहूं और जब दुनिया छोड़कर जाऊं तो मेरे जिस्म पर भाजपा का ध्वज लपेट देना।
राजनीति की नई परिभाषा गढ़ राम नाम को सर्वस्व मान सर्वस्व उनके चरणों में वार, सीता सुत कल्याण राम धाम जा विराजे। प्रभु राम मंदिर का कलश जब मंदिर के गुम्बद पर जा विराजेगा तो राम भक्त श्री राम के साथ उनके अतुलित भक्त कल्याण के नाम को भी युगों युगों तक याद करते ही रहेंगे। सादगी, संयम, साधना के प्रतीक हिंदू हृदय सम्राट कल्याण राजनीति के वह सितारे हैं जिन की चमक से भाजपा चमकती रहेगी।