नई दिल्ली,12 मई
गाजीपुर बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा ने 1857 के शहीदों को याद करते हुए शहीद मंगल पाण्डेय के तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी। आज के हालात से इसकी तुलना करते हुए वक्ताओं ने बताया कि जो तीन कानून सरकार लाई है और जो एमएसपी की गारंटी सरकार नहीं देना चाहती, इससे पूरी खेती बर्बाद हो जाएगी और बड़े कारपोरेट तथा विदेशी कंपनियों के हाथों में चली जाएगी। आज बड़ी कंपनियों के माल की बिक्री और छोटे व्यापारियों व कारीगरों के काम पर कॉरपोरेट का हमला भी व्यापारियों की बर्बादी का बड़ा कारण बन रहा है। इसीलिए अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति का हमारे आंदोलन के लिए एक विशेष महत्व है. वक्ताओं में गाजीपुर बॉर्डर के नेता डॉ आशीष मित्तल, डीपी सिंह, धर्मपाल सिंह, बलजिंदर सिंह मान, बिंदु आमिनी, महादेव चतुर्वेदी, आदि शामिल थे। संचालन ओमपाल मलिक ने किया।
किसान आंदोलन को चंद दिन का चंद लोगों का आंदोलन कहकर बदनाम करने वालो पर किसानों ने करारा जवाब दिया है। आज फिर से सेंकडो की संख्या में वाहन दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे। अलग अलग किसान संगठनो ने किसान एकता का परिचय देते हुए ; किसान मजदूर एकता ज़िंदाबाद की गूंज में सिंघु व टिकरी बॉर्डर पर प्रवेश किया।
भाजपा, केंद्र सरकार व हरियाणा सरकार किसानों की मांगो को मानने की बजाय उन्हें बदनाम ही करती रही हैं। इसका खामियाजा भाजपा को राज्यो के चुनावों में भुगतना पड़ा है। यहां तक कि भाजपा के खुद के नेता व कार्यकर्ता नए कृषि कानूनो व किसान आंदोलन पर सरकार के रवैये से नाखुश पर फिर भी कॉरपोरेट के दबाव में मोदी सरकार किसानों की मांगे नहीं मान रही।
किसान नेताओं का कहना है कि सरकार चाहे जितनी ही बेरहम क्यों न हो जाये, किसान अपना आंदोलन केवल मांगे पूरी होने पर ही खत्म करेंगे। किसान पहले से भी बहुत पीड़ित है, नए कृषि कानून किसान का ओर भी शोषण करेंगे। कोरोना महामारी में करोड़ो की संख्या में गरीब लोग भुखमरी में समय बिता रहे है। अगर PDS जन वितरण प्रणाली बंद होगी तो देश की गरीब जनता निश्चित तौर पर भुखमरी से मरेगी। इस आंदोलन के माध्यम से किसानों ने देश को यह बात समझायी है व देश के नागरिक अब पूरी ताकत से लड़ेंगे। यही कारण है कि महामारी के समय मे भी आज दिल्ली के आस पास लगे धरनों में इतनी बड़ी संख्या में किसान मौजूद है।
ऐसे समय मे जब हमारी सरकारें हमें स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं देने में पूरी तरह से फेल साबित हो चुकी है, लोग ही एक दूसरे की मदद करने में जुटे है। किसानों के धरनों में किसी भी तरह की मेडिकल जरूरत होने की दशा में पहले से ही कई हॉस्पिटल व डॉक्टर्स किसानों की सेवा में पहले दिन से हाज़िर है। सयुंक्त किसान मोर्चा सभी मेडिकल स्टाफ का हार्दिक धन्यवाद करता है। किसान मजदूर एकता हॉस्पिटल में सयुंक्त किसान मोर्चा ने लोगों से सहयोग से ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर व अन्य जरूरी सामान मुहैया करवाया है। किसानों की सेहत का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। हालांकि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रदान में असफल है व साथ ही किसानों को 5 महीनों से मजबूरन दिल्ली की सीमाओं पर बैठा कर रखा है। सरकार किसानों की मांगें तुरंत माने, इसी में सरकार व किसान दोनों की भलाई है।