क्या आपने रिटायरमेंट (Retirement) के बाद के खर्च (Retirement Planning) के बारे में सोचना शुरू कर दिया है? अगर नहीं तो जल्द सोचना शुरू कर दीजिए। बैंक और वित्तीय संस्थान करीब हर काम के लिए लोन देते हैं, लेकिन रिटायरमेंट बाद के खर्च (Post Retirement Expenses) के लिए कोई लोन नहीं देता है। समय अब बदल गया है। ऐसे में आप रिटायरमेंट बाद के खर्च के लिए बच्चों पर भी डिपेंड नहीं हो सकते।
मैं हाल में अपने एक बुजुर्ग रिश्तेदार से मिला, जो अगले साल रिटायर करने वाले हैं। वह अपने घर में रहते हैं, जिस पर कोई लोन नहीं है। उनके बच्चे विदेश में सेटल हो गए हैं। वे लौटने वाले नहीं हैं। अगले साल रिटायरमेंट पर उन्हें 1.5 करोड़ रुपये मिलेंगे। अपने अलग इनवेस्टमेंट अकाउंट में उन्होंने 50 लाख रुपये रखे हैं।
उनका मंथली खर्च करीब 60,000 से 70,000 रुपये है। उन्हें कोई पेंशन नहीं मिलेगी। वह जानना चाहते हैं कि 2 करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट किस तरह किया जाए कि रिटायरमेंट बाद रेगुलर इनकम मिलती रहे। वह नहीं चाहते कि अपने खर्च के लिए उन्हें दूसरों के आगे हाथ फैलना पड़े।
मुझे अपने रिश्तेदार की मदद का एक रास्ता नजर आता है। हमें सिंपल बकेट स्ट्रेटेजी तैयार करनी होगी, जिसमें अलग-अलग तरह के खर्च के सूटेबल एसेट्स बकेट्स होंगे। एक बकेट रेगुलर इनकम की जरूरत के लिए होगा। दूसरा बकेट ऐसी इनकम जेनरेट करने के लिए होगा, जिसका रिटर्न इनफ्लेशन के मुकाबले ज्यादा होगा।
मैंने अपने रिश्तेदार को 2 करोड़ रुपये को दो बकेट्स में बांटने की सलाह दी है। पहला बकेट रेगुलर इनकम और इमरजेंसी खर्च के लिए होगा। इसके लिए 60-70 लाख रुपये अलग करना होगा। यह पैसा हाई-क्वालिटी के डेट फंड्स में इनवेस्ट करना होगा। इस फंड से हर महीना 60,000 से 70,000 रुपये के ऑटोमैटिक विड्रॉल को सेट-अप करना होगा।
अगर पहले बकेट के लिए डेट फंड्स सेलेक्ट कर रहे हैं तो अच्छा होगा कि आप अल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन, लो-ड्यूरेशन और शॉर्ट-ड्यूरेशन फंड का चुनाव करें। इस बकेट से आपके 9-10 साल के खर्च का इंतजाम हो जाएगा। यह कंटिजेंसी फंड का काम करेगा। इसका मतलब है कि किसी तरह की इमरजेंसी की स्थिति में तुरंत पैसा निकाला जा सकता है। जिस महीने में ज्यादा खर्च हो, आप फंड्स से ज्यादा पैसे निकाल सकते हैं। इस बकेट से कुछ पैसा गवर्नमेंट के सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम (SCSS) में इनवेस्ट किया जा सकता है। इससे आपको हर तिमाही इनकम होती रहेगी।
दूसरा बकेट ऐसा होगा, जो पैसा जेनरेट करेगा। इस बकेट में आप बाकी 1.3 से 1.4 करोड़ रुपये रख सकते हैं। मेरे रिश्तेदार थोड़ा ज्यादा रिटर्न के लिए रिस्क लेने को तैयार हैं। इसलिए इस बकेट से थोड़ा पैसा शेयरों में लगाना ठीक रहेगा। इससे थोड़ा ज्यादा रिटर्न मिलता रहेगा, जो इनफ्लेशन से ज्यादा होगा। यह पैसा निफ्टी 50 या सेंसेक्स आधारित इंडेक्स फंड्स (40 से 50 फीसदी) में लगाया जा सकता है। इस बकेट का बाकी पैसा आप एग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स (20 से 30 फीसदी) और बाकी एससीएसएस, प्रधानमंत्री वय वंदना योजना और आरबीआई के फ्लोटिंग रेट बॉन्ड्स में लगाया जा सकता है।
पहले बकेट से कई सला तक (SWP) के जरिए पैसा निकलता रहेगा, जबकि दूसरे बकट को छूने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर हम एवरेज 9 फीसदी रिटर्न मान लें तो यह बकेट 10 साल में करीब 3 करोड़ हो जाएगा। मेरे रिश्तेदार इस बकेट से थोड़ा पैसा (अगले 10 साल के खर्च के लिए) निकाल सकते हैं। इस पैसे को वह पहले बकेट में ट्रांसफर कर सकते हैं, जिससे उनकी जरूरत पूरी होती रहेगी।
इस साइकिल को हर कुछ साल पर दोहराना होगा। पहले बकेट से साल दर साल आपको रेगुलर इनकम होती रहेगी। कोई व्यक्ति रिस्क लेने की अपनी क्षमता और जरूरत के हिसाब से छोटा या बड़ा बकेट बना सकता है। इस पूरे कॉन्सेप्ट के पीछे मुख्य आइडिया यह है कि हम अपने खर्च के साथ-साथ अपने पैसे की ग्रोथ का भी इतंजाम कर लें। इसीलिए यहां पहला बकेट खर्च पूरा करने के लिए इनकम जेनरेट करता है तो दूसरा आपके पैसे को बढ़ाने का काम करता है।