LIC IPO: देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC (Life Insurance Corportation of India) के इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) को लॉन्च करने की तारीख पर सरकार इसी हफ्ते फैसला ले सकती है। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने एक सीनियर सरकारी अधिकारी के हवाले से बताया, “LIC IPO लाने की तारीख पर इसी हफ्ते फैसला लिया जा सकता है।”
अधिकारी ने आगे कहा, “सरकार के लिए यह तय करना कठिन होगा कि वह रिटेल और घरेलू निवेशकों के बीच IPO की मांग के साथ आगे बढ़े या फिर भूराजनीतिक तनाव कम होने और विदेशी निवेशकों (FII) के बाजार में लौटने का इंतजार करे।”
बता दें कि सरकार LIC में अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी या 31.6 करोड़ शेयर की बिक्री का ऑफर पिछले महीने मार्च में ही लाना चाहती थी। हालांकि रूस और यूक्रेन के बीच जंग से ग्लोबल लेवल पर शेयर बाजारों में आई अस्थिरता के चलते इसे टाल दिया गया था। अधिकारी ने बताया, “IPO कब लाया जाए इस बारे में फैसला इस हफ्ते लिया जा सकता है।”
IPO लाने के लिए 12 मई तक का समय
सरकार के पास LIC का इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) लाने के लिए 12 मई तक का समय है। अगर इस तारीख तक सरकार IPO नहीं ला पाती है, तो उसे फिर नए सिरे से आईपीओ के लिए मार्केट रेगुलेटर SEBI के पास आवेदन करना होगा।
इंटरनेशनल वैल्यूएशन फर्म मिलीमैन एडवाइजर्स ने LIC का एम्बेडेड वैल्यू (Embedded value) निकाला है। 30 सितंबर, 2021 तक कंपनी का एम्बेडेड वैल्यू 5.4 लाख करोड़ रुपये था। एम्बेडेड वैल्यू किसी बीमा कंपनी में शेयरधारकों के एकीकृत मूल्य के आधार पर निकाला गया है। अगर सरकार 12 मई तक आईपीओ नहीं ला पाती है, तो उसे दिसंबर तिमाही के नतीजे बताते हुए सेबी के पास नए कागजात दाखिल करने होंगे। साथ ही उसे LIC की नई एम्बेडेड वैल्यू भी निकलवानी होगी।
विनिवेश टारगेट के लिए LIC IPO काफी अहम
सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिए 65,000 करोड़ जुटाने का लक्ष्य रखा है। सरकार LIC IPO में अपनी हिस्सेदारी बेचकर इस लक्ष्य को हासिल करने की उम्मीद कर रही है। LIC IPO देश का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होगा, जिसके तहत सरकार अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी। एलआईसी की मार्केट वैल्यूएशन शेयर बाजार में लिस्ट होने के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) जैसी शीर्ष कंपनियों के बराबर पहुंच सकती है।
Paytm के नाम है सबसे बड़े आईपीओ का रिकॉर्ड
अभी तक देश का सबसे बड़ा आईपीओ पेटीएम (Paytm) का रहा है, जो करीब 18,300 करोड़ रुपये का था। इससे पहले साल 2010 में कोल इंडिया ने करीब 15,500 करोड़ रुपये का आईपीओ लाया था, जो उस वक्त का सबसे बड़ा आईपीओ था।