The News Air – (चंडीगढ़) पंजाब चुनाव के लिए भाजपा से गठबंधन करने पर शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) में भी बग़ावत के आसार बन गए हैं। संगठन अध्यक्ष सुखदेव ढींढसा के इस क़दम से कार्यकर्ताओं और नेताओं में नाराज़गी है। ख़ासकर वरिष्ठ नेता रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा इससे नाख़ुश बताए जा रहे हैं। क़रीब एक हफ़्ते पहले भी इसको लेकर नाराज़गी बताई गई थी।
इसके बावज़ूद ढींढसा दिल्ली जाकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले। अब 21 दिसंबर को फिर पार्टी की मीटिंग बुलाई गई है, जिसमें आगे का फ़ैसला लिया जा सकता है। अकाली दल में प्रकाश सिंह बादल के बाद रणजीत ब्रह्मपुरा और सुखदेव ढींढसा वरिष्ठ नेता थे, जिन्होंने बाद में अकाली दल छोड़ शिअद संयुक्त बना लिया था।
वर्करों का तर्क- भाजपा के प्रति पंजाब में नाराज़गी
शिअद संयुक्त के वर्करों का तर्क है कि भले ही केंद्र ने कृषि सुधार क़ानून वापस ले लिए हों, लेकिन किसान आंदोलन के चलते लोगों में नाराज़गी बरक़रार है। इसके अलावा कैप्टन अमरिंदर सिंह की कारगुज़ारी को लेकर भी लोग नाख़ुश हैं। ऐसे में भाजपा और कैप्टन अमरिंदर सिंह से गठजोड़ करने पर पार्टी को चुनाव में नुक्सान हो सकता है।
ब्रह्मपुरा बोले- गठबंधन हुआ तो पार्टी में नहीं रहेंगे
रणजीत ब्रह्मपुरा ने कहा कि पार्टी के वर्करों ने इस बात पर पहले ही नाराज़गी जताई है कि वह भाजपा से गठबंधन के लिए राज़ी नहीं हैं। उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाए कि जब पार्टी सहमत नहीं तो फिर ढींढसा अमित शाह से क्यों मिले? अगर शिअद संयुक्त भाजपा से गठबंधन करता है तो वह पार्टी में नहीं रहेंगे।
अकाली दल ने ब्रह्मपुरा की सीट ख़ाली छोड़ी
ख़ास बात यह है कि अकाली दल अभी तक 90 से ज़्यादा सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुका है, लेकिन खडूर साहिब सीट ख़ाली है। यह वही सीट है, जहां से शिअद संयुक्त के वरिष्ठ नेता रणजीत ब्रह्मपुरा विधायक रह चुके हैं। इस बात को लेकर भी चर्चा है कि ब्रह्मपुरा वापस अकाली दल (बादल) में लौट सकते हैं। हालांकि ब्रह्मपुरा का कहना है कि उन्होंने इसके बारे में अभी कुछ नहीं सोचा।