नई दिल्ली,20 नवंबर (The News Air): सऊदी अरब और ईरान की बीच की दूरी कम होती जा रही है. मध्य पूर्व की इन दो बड़ी ताकतों के बीच की खाई को कम करने का काम अमेरिका का बड़ा दुश्मन चीन कर रहा है. जहां अभी तक मध्य पूर्व में अमेरिका और रूस अपनी पकड़ मजबूत किए हुए थे, अब चीन भी अपनी मजबूत कूटनीति से यहां अपनी जमीन तैयार कर रहा है.
सऊदी प्रेस एजेंसी ने बताया कि बीजिंग एग्रीमेंट को आगे बढ़ाने के लिए सऊदी-चीनी-ईरानी संयुक्त त्रिपक्षीय समिति की दूसरी बैठक मंगलवार को रियाद में हुई है. ये बैठक सऊदी के उप विदेश मंत्री वलीद बिन अब्दुलकरीम एल्खेरीजी की अध्यक्षता में की गई है, जिसमें चीन के उप विदेश मंत्री डेंग ली और ईरान के राजनीतिक मामलों के उप विदेश मंत्री माजिद तख्त रवांची भी मौजूद थे.
बीजिंग समझौता होगा लागू
सऊदी और ईरान के अधिकारियों ने इस बैठक में बीजिंग एग्रीमेंट को पूरी तरह अपनाने और संयुक्त राष्ट्र चार्टर, इस्लामिक सहयोग संगठन के चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करके पड़ोसी संबंधों को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की. जिसमें संप्रभुता, स्वतंत्रता और सुरक्षा के सम्मान पर जोर दिया गया है.
सऊदी अरब और ईरान ने चीन की पहल को भी सराहा और बीजिंग समझौते में इसके प्रयासों को अहम बताया. चीन ने भी दोनों देशों के रिश्ते सुधारने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.
रिश्ते होंगे मजबूत
बैठक में वाणिज्य दूतावास सेवाओं को आगे बढ़ाने के लिए जोर दिया गया, जिससे 87 हजार से ज्यादा ईरानी तीर्थयात्री हज करने आए हैं और 52 हजार से ज्यादा ईरानी लोगों ने 2024 में उमरा किया. इसके अलावा ईरान और सऊदी ने टैक्स फ्री ट्रेड के लिए तत्परता व्यक्त की और चीन के साथ मिलकर आर्थिक और राजनीतिक सहयोग का विस्तार करने की उम्मीद जताई.
अधिकारियों ने सऊदी-ईरानी संयुक्त मीडिया समिति की पहली बैठक और प्रिंस सऊद अल-फ़ैसल इंस्टीट्यूट फ़ॉर डिप्लोमैटिक स्टडीज़ और ईरान के इंस्टीट्यूट फ़ॉर पॉलिटिक्ल एंड इंटरनेशनल स्टडीज के बीच हुए समझौते का भी स्वागत किया.
इजराइली कार्रवाई का विरोध
बैठक के दौरान तीनों देशों ने फिलिस्तीनियों के ऊपर हो रहे इजराइली हमले की निंदा की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इसे तुरंत रुकवाने की अपील की गई. इसके अलावा इजराइली सेना के लेबनान में घुसने और ईरान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के उल्लंघन की निंदा की.
क्या है बीजिंग एग्रीमेंट?
मार्च 2023 में चीन की मध्यस्थता में दोनों देशों ने 2016 से खत्म हुए अपने राजनयिक रिश्तों को बहाल किया था. इस एग्रीमेंट के तहत दोनों देशों ने आपसी कारोबार, साझेदारी और सहयोग आदि पर काम करने पर सकारात्मकता व्यक्त की थी. अब दोनों देश फिर से इस एग्रीमेंट को पूरी तरह से लागू करने के लिए रियाद में मिले थे.