चंडीगढ़, 21 जुलाई (The News Air)
पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नए अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के गृह स्थान पर बुधवार को पंजाब कांग्रेस के 62 विधायक मुलाक़ात के लिए पहुंचे। यह दावा नवजोत सिद्धू के सहयोगियों ने किया। नवजोत सिंह सिद्धू बैठक के बाद दोपहर में स्वर्ण मंदिर के दर्शन करेंगे।
वह दुर्गियाना मंदिर और राम तीर्थ स्थल का भी दौरा करेंगे। उस मीटिंग को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह और नवजोत सिद्धू के बीच गतिरोध के बीच शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है। ज़ाहिर तौर पर सिद्धू ने सभी विधायकों को बुलाया था, परन्तु उनके सहयोगियों के मुताबिक़ अब तक 62 लोग आ चुके हैं।
उपस्थित विधायकों में राजा वडिंग, राज कुमार वेरका, इंदरबीर बोलारिया, बरिंदर ढिल्लों, मदन लाल जलालपुर, हरमिन्दर गिल, हरजोत कमल, हरमिन्दर जस्सी, जोगिंदर पाल, परगट सिंह और सुखजिंदर रंधावा शामिल थे। इस बीच ‘शक्ति प्रदर्शन’ पर तंज़ कसते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आर.पी सिंह ने ट्विटर पर कहा कि सिद्धू 62 और कप्तान 15 के बीच मैच शुरू हो गया है।
वहीं नवजोत सिद्धू अपने घर से श्री हरमंदिर साहब के लिए विधायकों सहित बसों में हुए रवाना
सीएम अमरिंदर ने दिखाए हैं तेवर– बता दें कि हाईकमान की तरफ़ से सिद्धू को सपोर्ट मिलने के बावज़ूद भी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अभी हार नहीं मानी है. हाल ही में यह बात सामने आई थी कि कैप्टन अमरिंदर से नवजोत सिंह सिद्धू ने मिलने का समय मांगा है. हालांकि कैप्टन खेमे ने इस बात से मंगलवार को साफ़ इनकार कर दिया. सीएम के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने ट्वीट कर कहा कि, “ऐसी रिपोर्ट आ रही है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मुलाक़ात का समय मांगा है, जो पूरी तरह ग़लत है. किसी भी तरह का कोई समय नहीं मांगा गया है और न ही मुख्यमंत्री नवजोत सिंह सिद्धू से तब तक मुलाक़ात करेंगे जब तक वह सार्वजनिक तौर पर उनसे माफ़ी नहीं मांग लेते हैं.”
सूत्रों के मुताबिक़ सिद्धू के प्रदेश अध्यक्ष बनने से राज्य में कांग्रेस पार्टी दो हिस्सों में बंट गयी है. हालांकि सिद्धू ऐसा बिल्कुल नहीं चाहते कि उनके अध्यक्ष बनते ही पार्टी को इस तरह का नुक्सान हो. बीते कई दिनों से इसलिए ही सिद्धू लगातार सीनियर लीडर्स और मंत्रियों से मुलाक़ात कर रहे हैं. सिद्धू की इस पहल का असर भी नज़र आ रहा है और पार्टी के कई बड़े नेताओं ने उनका समर्थन किया है. उधर सीएम अमरिंदर की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है. भले ही उन्होंने मीडिया सलाहकार के ज़रिए संदेश दे दिया हो लेकिन उनकी चुप्पी के पीछे कोई बड़ी योजना भी छुपी हो सकती है.