Focus long Time Keyword: ORS Ban FSSAI India. भारत में अब ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS) को लेकर बड़े नियामक बदलाव किए गए हैं। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा सुझाए गए फॉर्मूले का पालन न करने वाले सभी खाद्य और पेय पदार्थों पर ‘ORS’ शब्द के इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। यह ऐतिहासिक निर्णय उपभोक्ताओं को गुमराह करने से रोकने और विशेषकर बच्चों व मधुमेह रोगियों के जन स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए लिया गया है।
ORS हमारी जिंदगी का एक अभिन्न हिस्सा है। शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को पूरा करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले ORS लेने की सलाह देते हैं। यह नमक, चीनी और जरूरी मिनरल्स का एक जीवन रक्षक मिश्रण है, जिसे पानी में घोलकर बनाया जाता है।
बच्चों और डायबिटीज मरीजों पर खतरा
हालांकि, अगर इस घोल में शुगर का स्तर WHO के मानकों से अधिक हो जाए, तो यह बच्चों और डायबिटीज के मरीजों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। लंबे समय से कई कंपनियां ORS नाम का फायदा उठाकर एनर्जी ड्रिंक्स या फ्रूट जूस जैसे उत्पाद बेच रही थीं, जिनमें चीनी की मात्रा अधिक होती थी। इस तरह के पेय पदार्थों का सेवन करने से दस्त और निर्जलीकरण की समस्या और भी गंभीर हो सकती है, जबकि शुगर के मरीजों का रक्त शर्करा स्तर बढ़ सकता है, जिससे जानलेवा जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।
8 साल की कानूनी लड़ाई का नतीजा
हैदराबाद की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवरंजनी संतोष ने इस भ्रामक ब्रांडिंग के खिलाफ आवाज़ उठाई। उन्होंने 8 साल तक उन शुगर युक्त पेयों के खिलाफ लंबी अदालती लड़ाई लड़ी जिन्हें गलत तरीके से ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन के रूप में बेचा जा रहा था। चेन्नई में मधुमेह से पीड़ित एक बच्चा और एक जली हुई बच्ची ORS बताकर बेचे गए पेय पदार्थ पीने के बाद गंभीर निर्जलीकरण के कारण बीमार पड़ गए थे। इन घटनाओं ने इस लड़ाई को और बल दिया।
FSSAI ने जारी किया तत्काल आदेश
डॉक्टर शिवरंजनी की लंबी लड़ाई के बाद एक बड़ा नियामक बदलाव हुआ। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने आदेश जारी कर कहा कि कोई भी फूड ब्रांड अपने उत्पादों पर ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट्स (ORS) शब्द का इस्तेमाल नहीं कर सकता, जब तक कि उसका फॉर्मूलेशन WHO द्वारा सुझाए गए मानकों के पूरी तरह अनुरूप न हो।
14 अक्टूबर को जारी इस आदेश में FBOs (Food Business Operators) को अपने ब्रांड के नाम के साथ ORS शब्द का इस्तेमाल करने की पूर्व में दी गई सभी अनुमतियों को तुरंत वापस लेने का निर्देश दिया गया। इसके बाद, 15 अक्टूबर को FSSAI ने विस्तृत स्पष्टीकरण जारी कर दोहराया कि किसी भी उत्पाद के नाम में ORS का उपयोग, चाहे वह फलाधारित हो या रेडी-टू-ड्रिंक, खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 का उल्लंघन माना जाएगा।
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्टॉक बेचने से किया इनकार
अदालत ने भी जन स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कंपनियों को ORS जैसे ब्रांड नाम से बेचे जाने वाले इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक के मौजूदा स्टॉक को बेचने के लिए और समय देने से स्पष्ट इनकार कर दिया। अदालत ने जोर दिया कि यह भ्रामक ब्रांडिंग का गंभीर मामला है, भले ही उत्पाद अपने आप में हानिकारक न हो। ऐसे उत्पादों को बाज़ार में रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि यह जन स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय है।
कार्रवाई और उल्लंघन के नियम
FSSAI ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे खुदरा दुकानों और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से ऐसे सभी उत्पादों को तुरंत हटा दें जो ORS शब्द का दुरुपयोग कर रहे हैं। नए निर्देशों के अनुसार, किसी भी उत्पाद के नाम या लेबल पर ORS शब्द का भ्रामक उपयोग करने पर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 की धारा 52 और 53 के तहत दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है।
आम उपभोक्ता को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें सिर्फ WHO द्वारा अनुशंसित फॉर्मूला ORS ही खरीदना चाहिए। यदि किसी को दस्त या उल्टी की समस्या है, तो डॉक्टर की सलाह लें। यदि बाज़ार से ORS लेना ही हो, तो चेक करें कि वह वाकई WHO मानकों वाला ORS है, न कि कोई ब्रांडेड सॉल्यूशन जिसमें प्रीफिक्स या सफिक्स के रूप में ORS का इस्तेमाल किया गया हो, जैसे- ऑरेंज ORS, लेमन वाटर ORS, आदि।
क्या है पृष्ठभूमि
ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS) को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब कई खाद्य व्यवसाय ऑपरेटरों (FBOs) ने इसका फायदा उठाते हुए, WHO के मानकों से अलग, उच्च चीनी वाले पेय पदार्थों को ORS के नाम से बेचना शुरू कर दिया। ये उत्पाद अक्सर एनर्जी ड्रिंक या जूस होते थे जिन्हें भ्रामक तरीके से ‘पुनर्जीकरण पेय’ (Rehydration Drink) के रूप में प्रचारित किया जाता था। डॉक्टर शिवरंजनी संतोष ने इस भ्रामक विज्ञापन के खिलाफ 8 साल की लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी, जिसमें उन्होंने दिखाया कि कैसे ये गैर-मानक पेय पदार्थ बच्चों और डायबिटीज रोगियों के लिए खतरनाक साबित हो रहे थे। उनके प्रयास सफल रहे, जिसके बाद FSSAI ने कड़ा रुख अपनाया और केवल WHO-मानक वाले घोल को ही ORS के रूप में बेचे जाने का आदेश दिया।
मुख्य बातें (Key Points)
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FSSAI ने WHO-मानकों का पालन न करने वाले सभी पेय पदार्थों पर ‘ORS’ शब्द के उपयोग को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है।
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यह फैसला हैदराबाद की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवरंजनी संतोष की 8 साल की कानूनी लड़ाई का परिणाम है।
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दिल्ली हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण कंपनियों को भ्रामक ORS ब्रांडिंग वाले मौजूदा स्टॉक को बेचने के लिए और समय देने से इनकार कर दिया।
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उल्लंघन करने वाले उत्पादों को ‘मिसब्रांडेड’ माना जाएगा और उन पर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 की धारा 52 और 53 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।






