नई दिल्ली, 26 सितंबर (The News Air) केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में क्रॉप लाइफ इंडिया के राष्ट्रीय सम्मेलन (विकसित भारत 2047- अर्थव्यवस्था में कृषि का एक ट्रिलियन का योगदान: फसल संरक्षण उद्योग की भूमिका) में सहभागिता की। इस अवसर पर शिवराज सिंह ने देश के किसानों के हितों की चिंता करते हुए घटिया पेस्टिसाइड, फर्टिलाइजर से किसानों को बचाने के लिए इंडस्ट्री से भी पूरी ईमानदारी से काम करने का आह्वान किया। शिवराज सिंह ने कहा कि सरकार अपने स्तर पर इस संबंध में कड़ी कार्रवाई कर रही है और किसानों की भलाई के लिए कई ठोस कदम उठाए गए हैं।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा, और कृषि मंत्री के रूप में किसानों की सेवा मेरे लिए भगवान की पूजा है। किसान अन्नदाता है, अन्नदाता मतलब जीवनदाता, जब पेट भरा होता है तब बाकी चीजें याद आती हैं। वो दौर भी याद करो, जब यूएसए से पीएल-480 हम मंगवाने के लिए बाध्य थे, जो कोई न खाए, वो भारत भेज दो। हमने वो दौर भी देखा है, जब हमारे प्रधानमंत्री जी को एक बार कहना पड़ा था- सप्ताह में एक दिन उपवास रखो। लेकिन, आज मन में संतोष है। आज मेरे सामने ये समस्या है कि चावल और गेहूं रखें कहां, अन्न के भंडार भरे हैं। कई चीजों का उत्पादन बढ़ाना है, वो एक अलग विषय है। अप्रैल से अगस्त तक के दौरान हमारा कृषि निर्यात 10% बढ़ा है, हमारा बासमती धूम मचा रहा है।
शिवराज सिंह ने कहा कि मैंने वैज्ञानिकों को टास्क दिया है, आईसीएआर व बाकी संस्थानों के वैज्ञानिक रिसर्च करते थे, लेकिन कई बार उस रिसर्च का जमीनी नाता नहीं रहता था। हमने विकसित कृषि संकल्प अभियान चलाया, उसमें किसानों की समस्याएं देखी। मेरठ का किसान कहता है-लाल सड़न नामक बीमारी ने गन्ना बेकार कर दिया, कहीं गुलाबी सुंडी कपास पर कहर बनकर टूट पड़ी, उत्पादन घट गया, हमें उसमें रिसर्च चाहिए। एलोमोजिक ने सोयाबीन बर्बाद कर दिया हमें उस पर रिसर्च चाहिए, 500 मुद्दे ऐसे हैं, जिन पर किसानों को रिसर्च की जरूरत है, मैंने कहा- वन टीम-वन टास्क, वैज्ञानिकों की टीम बनाओ और इस पर रिसर्च करो व रिसर्च को जमीन पर ले जाओ। शिवराज सिंह ने कहा कि लैब-टू-लैंड की बात आई, लैब-लैंड मिलते ही नहीं थे कभी, मैंने इनको जोड़ने की कोशिश की। शिवराज सिंह ने कहा कि रिसर्च और अनुसंधान का लाभ जब तक किसान को ना मिले, कैसे काम चलेगा।
केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि देश की आबादी 140 करोड़ है, जो 2050 तक 170 करोड़ होने का अनुमान है, तब के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी ज़िम्मेदारी है। इसके साथ ही लगभग 46% आबादी, जो आज भी खेती पर निर्भर करती है, उनकी आजीविका भी चलाना है। यूएसए, ब्राज़ील, ऑस्ट्रेलिया में विशेष परिस्थितियां हैं, एक किसान के पास 10-15 हज़ार हेक्टेयर ज़मीन है। हमारे किसान के पास ढाई एकड़, तीन एकड़ व इससे कम भूमि वाले भी किसान हैं, तो हमें इन तथ्यों को ध्यान में रखकर खेती की नीति बनानी पड़ेगी। दुनिया की केवल 4% कृषि योग्य भूमि है हमारे पास, उसमें हम अपना पेट भर रहे हैं और दुनिया को खिलाने का काम भी कर रहे हैं।
शिवराज सिंह ने कहा कि हम सब गंभीरता से विचार करें व सरकार के साथ मिलकर काम करें। मैं सरकार नहीं, सेवक हूं अपने किसानों, अपने लोगों का। नवाचार व अनुसंधान को कैसे हम बढ़ावा दे सकते हैं। प्राइवेट सेक्टर की भी ज़रूरत है, शोध और अनुसंधान की ज़रूरत है, तभी हम तेजी से आगे बढ़ जाएंगे। शिवराज सिंह ने कहा कि कीट-पतंगे भी कम थोड़ी हैं, तुरंत अपने-आप को बदल लेते हैं। इस बारे में भी नवाचार करते रहना पड़ेगा, पहले से अंदाज़ लगाना पड़ेगा। मुझे लगता है इस पर काम करने की ज़रूरत है।
केंद्रीय मंत्री श्री चौहान ने कहा कि घटिया पेस्टिसाइड के कारण किसान बर्बाद होता है। पैसा लग गया, फायदा हुआ नहीं, यहां तक कि फर्टिलाइजर भी नकली बना दिया, राजस्थान में तो हमने पकड़ा, जहां पत्थरों का काम होता है, उसका पाउडर भर-भरकर बोरियों में बेच दिया, किसान इससे त्रस्त है, सरकार का भी काम है लेकिन इंडस्ट्री का भी काम है जो ईमानदारी से इससे ढंग से निपटे। किसान कहते हैं कि ऐसा कोई उपकरण बन जाएं, हम उसमें डालें तो पता चल जाए कि यह असली है या नकली है, सामान्य समझ वाली चीज कि हम क्या खरीद रहे हैं यह असली है या नकली, जो तत्व उसमें बताए जा रहे हैं, वो उसमें है या कोई और ही चीज है। दूसरा, डीलर कई बेचते हैं ज्यादा लाभ कमाने के लिए, कोई-सी भी दवाई आई, यह ले जाओ, इससे बड़ा फायदा है, लोग वहां धोखा खाते हैं तो इस पर जो पूरी इंडस्ट्री है जो लोग नैतिक हैं, उनको खड़ा होना पड़ेगा, नकली पर कार्रवाई होना चाहिए।






