नई दिल्ली, 1 मई (The News Air) : वो कहते हैं ना दूसरे की गलती नजर पर, अपनी कमी पीठ पर। इंडियन मेडिकल असोसिएशन (IMA) के साथ कुछ ऐसा ही दिख रहा है। उसने पतंजली आयुर्वेद के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आदेश की अवहेलना की याचिका डाली जिस पर फैसला आ गया। सुप्रीम कोर्ट की पीठ में शामिल दो जजों जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने मामले की सुनवाई के दौरान आईएमए को भी कुछ नसीहतें दीं। पतंजलि आयुर्वेद को सुप्रीम कोर्ट से फटकार लगी तो आईएमए को अच्छा लगा, लेकिन उसी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी कमियों की तरफ इशारा किया तो आईएमए तिलमिला उठा। आईएमए के अध्यक्ष डॉ. आरवी अशोकन ने तो एक इंटरव्यू में यहां तक कह दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने तो बेवजह ही नसीहत दे डाली क्योंकि उसके सामने यह मामला ही नहीं था। पतंजलि आयुर्वेद का पक्ष रख रहे वकील ने जब सुप्रीम कोर्ट के आईएमए अध्यक्ष का यह बयान बताया तो शीर्ष अदालत ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है और इसके लिए आईएमए को भुगतना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद से आईएमए अध्यक्ष के बयान को रिकॉर्ड पर रखने का आदेश देते हुए अदालत की अवमानना की याचिका दाखिल करने की भी मंजूरी दे दी।आईएमए प्रेसिडेंट डॉ. आरवी अशोकन ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि आईएम और डॉक्टरों के तौर-तरीकों की आलोचना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सामने असल मुद्दा पतंजलि के विज्ञापनों से जुड़ा था, न कि पूरे चिकित्सा क्षेत्र से। उन्होंने यहां तक कहा कि सुप्रीम कोर्ट को यह शोभा नहीं देता। डॉ. अशोकन ने कहा, ‘आप कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन अधिकतर डॉक्टर कर्तव्यनिष्ठ हैं… नैतिकता और सिद्धांतों के अनुसार काम करते हैं। देश के चिकित्सा पेशे के खिलाफ तल्ख रुख अपनाना न्यायालय को शोभा नहीं देता, जिसने कोविड युद्ध में इतनी कुर्बानी दी।’
आईएमए अध्यक्ष के इस बयान को सुप्रीम कोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया है। जस्टिस अमानुल्लाह ने तो आईएमए से कहा कि वह गंभीर नतीजों के लिए तैयार रहे। सुप्रीम कोर्ट बेंच ने आईएमए के वकील से कहा, ‘आपने कोई अच्छा काम नहीं किया और आप कैसे तय कर सकते हैं कि अदालत क्या करेगी, अगर यह सही है।’ उधर, पतंजलि आयुर्वेद के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि आईएमए अध्यक्ष का बयान अदालत की कार्यवाही में सीधा हस्तक्षेप है। रोहतगी ने जब आईएमए अध्यक्ष के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की मांग की तो सुप्रीम कोर्ट बेंच ने इसकी इजाजत दे दी। बेंच का रुख देखकर लगता है कि आईएमए अध्यक्ष को पतंजलि आयुर्वेद के बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से ज्यादा ही लताड़ लगने वाली है।