यूं तो सेक्स के लिए कोई खास मौसम या समय तय नहीं होता है। बारिश की हल्की फुहारों में अपने र्पाटनर के साथ समय बिताने की चाहत हर किसी के मन में होती है। अधिकतर लोग बारिश में भीगने और इस मौसम में सेक्स करना खूब पसंद करते हैं। अगर आप भी इस मौसम में यौन संबध बना रही है, तो कुछ खास बातों का ख्याल रखना ज़रूरी है। दरअसल, हवा में नमी के चलते वजाइना में खुजली, रैशेज और जलन की समस्या बनी रहती है। जानते हैं मानसून सेक्स (Monsoon sex) के दौरान होने वाली समस्याएं और उससे बचने का तरीका भी।
इस बारे में बातचीत करते हुए मदरहुड अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सुशरूता मोकादम के अनुसार मानसून के मौसम में वजाइना में हर वक्त नमी महसूस होती है। उमस भरी गर्मी और गीलेपन का एहसास बैक्टीरिया को बढ़ाने में सहायक साबित होते हैं। इससे रैशिज, इंफलामेशन और यूटीआई का खतरा बढ़ने लगता है। ऐसे में मौसम में सेक्स करने से पहले हमें वजाइना की क्लीनिंग को लेकर सचेत रहने की ज़रूरत है। सही पैन्टी का चुनाव करने से लेकर सेक्स के दौरान कुछ खास बातों का ख्याल रखने की आवश्यकता है। स्वच्छता का ध्यान न रखने से योनि को इन समस्याओं से होकर गुज़रना पड़ता है।
मानसून सेक्स के दौरान बढ़ने वाले जोखिम
1. यूटीआई
जर्नल ऑफ जनरल इंटरनल मेडिसिन के अनुसार सेक्सुअल इंटरकोर्स के चलते महिलाओं में यूरिनरी टरैक्ट इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। वे महिलाएं जो मेनोपॉज के नज़दीक होती है। उनकी वजाइनल लाइनिंग थिक होने लगती है, जो यूटीआई के खतरे को बढ़ा देती है। इसके अलावा अगर आपका पार्टनर मानसून में किसी बैक्टीरियल इंफैक्शन के शिकार हो चुके है, तो उससे भी यूटीआई का जोखिम बढ़ने लगता है।
2. यौन संचारित रोग
इस बारे में एक्सपर्ट का कहना है कि संक्रमणों के पनपने से इंटरकोर्स के दौरान जलन का एहसास होने लगता है। जहां बैक्टीरियल वेजिनोसिस महिलाओं में वजाइनल बर्निंग की समस्या पैदा करता है, तो वहीं पुरुषों में प्रोस्टेटाइटिस का कारण बनता है। इंफेक्शन के चलते व्हाइट डिसचार्ज, खुजली और जलन की समस्या पैदा होने लगती है। इससे शरीर में यौन संचारित रोग का खतरा बढ़ने लगता है। ट्राइकोमोनिएसिस, गोनोरिया, जेनिटल दाद और क्लैमाइडिया जैसे रोग बढ़ने लगते हैं।
3. यीस्ट इंफेक्शन
मानसून में यीस्ट इंफेक्शन बढ़ने का खतरा बना रहता है। दरअसल, वेजाइना हर वक्त नमी युक्त रहने से ये संक्रमण आसानी से फैलने लगता है। सेक्स के दौरान महिलाओं से यीस्ट इंफेक्शन पुरूषा में आसानी से ट्रांसफर हो जाने का जोखिम बढ़ जाता है। जो लंबे वक्त तक महिलाओं में बना रहता है।
इन आसान टिप्स से मानसून सेक्स को बनाएं आसान
1.प्यूबिक हेयर शेव करने से बचें
मानसून के वक्त बैक्टीरियल इंफेक्शन बढ़ने का खतरा बना रहता है। ऐसे में प्यूबिक हेयर हमारी रक्षा करने का काम करते हैं। इनकी मदद से इंटरकोर्स के वक्त सीधे त्वचा के संपर्क में आने से फैलने वाले इंफेक्शन से बचा जा सकता है। मानसून के दौरान प्यूबिक हेयर शेव न करने से बैक्टीरिया के प्रसार को रोका जा सकता है और संक्रमण के जोखिम को भी कम कर सकते है।
2. स्पाइसी फूड करें अवॉइड
अगर आप दिनभर में बार बार स्पाइसी फूड का सेवन कर रही हैं, तो इससे बर्निग सेंसेशन का खतरा रहता है। मसालेदार खाना खाने से वजाइना के पीएच लेवल पर इसका नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। इसके चलते वजाइना में फंगल इंफेक्शन का जोखिम बढ़ने लगता है। मानसून में वजाइनल हेल्थ को उचित बनाए रखने के लिए सादा खाना ही खाएं।
3. इंटरकोर्स के बाद करें वजाइना क्लीन
इंटिमेट हेल्थ को बनाए रखने के लिए वजाइना को यूरिन पास करने के बाद ज़रूर क्लीन करें। इससे दुर्गंध और संक्रमण दोनों ही प्रकार की समसयाओं से बचा जा सकता है। संक्रमण फैलने से बार बार डिस्चार्ज होने लगता है, जिससे गीलेपन का एहसास होता है। इसके चलते आप खुजली की समस्या से दो चार होने लगते हैं।
4. वजाइना वॉश का करें इस्तेमाल
सेक्स के बाद वजाइना को वेट वाइप्स से अवश्य क्लीन करें। इसके लिए आप दिन में दो बार वजाइना वॉश की मदद से क्लीनिंग मेंटेन रखें। इसके लिए माइल्ड पीएच बैलेंसड क्लींज़र और हल्के गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें। खुशबूदार साबुन और बॉडी वॉश के प्रयोग से भी बचकर रहें। योनि की स्वच्छता आपको कई समस्याओं के जोखिम से बचाती है।
5. प्रोबायोटिक्स का सेवन करें
दही, लस्सी और ग्रीक योगर्ट में प्रोबायोटिक्स की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इससे योनि का पीएच लेवल मेंटेन रहता है। साथ ही गट हेल्थ के लिए फायदेमंद है। इससे शरीर में हेल्दी बैक्टीरिया बढ़ते है। इनके सेवन से फंगल इंफेक्शन का खतरा कम होने लगता है।