वैज्ञानिकों की नजर बीते कई वर्षों से इस जगह पर थी। स्कूबा ड्राइवर्स, पानी के नमूने, इको-साउंड सर्वे आदि की मदद से रिसर्चर्स ने पाया कि उसका सर्फेस एरिया 13,690 वर्ग मीटर है, जिसमें 80 डिग्री की खड़ी ढलान है। यह भी पता चला कि ब्लू होल का मुंह समुद्र तल से 5 मीटर नीचे है, जहां तापमान में उतार-चढ़ाव से पानी में काफी बदलाव आता है।
रिसर्च से जुड़ी स्टडी जर्नल फ्रंटियर्स इन मरीन साइंस में पब्लिश हुई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि रिसर्चर्स अब इस ब्लू होल के पानी की माइक्रोबियल विविधता को स्टडी करना चाहते हैं। हो सकता है कि उन्हें अतीत में हुई घटनाओं के कुछ सुराग भी मिल जाएं। गौरतलब है कि करोड़ों साल पहले हमारी पृथ्वी पर डायनासोर पाए जाते थे। वैज्ञानिक मानते आए हैं कि एक एस्टरॉयड की टक्कर के बाद धरती पर जो विनाश हुआ, उसने पृथ्वी से इस भारी-भरकम प्रजाति का नामोनिशान मिटा दिया।
ब्लू होल समुद्र के तल में मौजूद चूना-पत्थर की गुफाओं हैं। इनकी सतह दलदली लगती है, लेकिन उसके नीचे काफी कुछ छुपा हुआ हो सकता है।