The News Air- (नई दिल्ली) किसानों का 29 नवंबर को होने वाला ट्रैक्टर मार्च टल सकता है। पंजाब के किसान संगठन सरकार के रूख में नर्मी देखते हुए मार्च पर अपना अड़ियल रवैया छोड़ने की बात कर रहे हैं। सिंघु बॉर्डर पर शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की बैठक में इस पर फ़ैसला होगा।
बैठक इसलिए अहम है, क्योंकि इसमें आंदोलन की अगली रणनीति पर गहनता से चर्चा होगी। मीटिंग में तमाम बड़े किसान नेता तय करेंगे कि पहले से प्रस्तावित 29 नवंबर को संसद कूच होगा या फिर घर वापसी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कृषि क़ानूनों की वापसी के ऐलान और अब उस पर केंद्रीय कैबिनेट की मुहर लगने के बाद भी किसान आंदोलन ख़त्म फ़िलहाल जारी है। आंदोलन को एक साल पूरा होने पर शुक्रवार को सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर किसानों की भीड़ ने शक्ति प्रदर्शन किया। 29 नवंबर को शुरू हो रहे संसद सत्र को लेकर इस दिन सिंघु और टिकरी बॉर्डर से 500-500 ट्रैक्टरों के साथ संसद कूच का ऐलान पहले से प्रस्तावित है।
नैतिक जीत को मान रहे हैं बड़ा
सूत्र बता रहे हैं कि पंजाब के किसान संगठन सरकार के रवैए के बाद अब थोड़ी नर्मी के मूड में है। लंबे समय से चल रहे आंदोलन के कारण अब पंजाब के नेता वापसी पर ज़ोर दे सकते हैं। क्योंकि क़ानून वापसी के ऐलान के बाद उन्हें नैतिक तौर पर मिली जीत को वह खोना नहीं चाहते।
हालांकि किसान नेताओं की दो दिन से दिख रही नर्मी पर आज होने वाली बैठक में ही निर्णय होगा। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री भी किसानों से घर वापसी की अपील कर चुके हैं।
वहीं दूसरी तरफ़ किसान नेताओं का कहना कि संसद में जब तक क़ानून निरस्त होने की प्रक्रिया पूरी नहीं होती और अन्य मांगों पर कोई फ़ैसला नहीं होता, तब तक वे बॉर्डर पर डटे रहेंगे। किसान आंदोलन को जारी रखने की सबसे बड़ी मांग अब MSP की उठाई जा रही है। इसे आंदोलन की शुरूआत से ही किसान अपनी मुख्य मांगों में शामिल किए हुए हैं। शनिवार को होने वाली बैठक में इन सब मुद्दों पर चर्चा होगी।
राकेश टिकैत पहुंचे पंजाब
संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक दोपहर बाद शुरू होगी। इसमें किसान नेता बलबीर राजेवाल, गुरनाम चढ़ूनी, जोगिंदर उग्राहां समेत तमाम बड़े नेता मौजूद रहेंगे। वहीं किसान नेता राकेश टिकैत पहले से ही कह रहे हैं कि इस सरकार पर भरोसा नहीं है। इसलिए संसद में क़ानून के निरस्तीकरण तक इंतज़ार करने के साथ ही MSP की गारंटी क़ानून सबसे बड़ी मांग है। वहीं टिकैत के मीटिंग में पहुंचने पर अभी संशय है क्योंकि वह पंजाब में एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गए हैं।