चंडीगढ़, 3 दिसंबर (The News Air) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी सहित उनकी मांगों को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाने के लिए किसानों के 6 दिसंबर को दिल्ली आने वाले विरोध मार्च से पहले, विपक्ष के नेता, प्रताप सिंह बाजवा ने मंगलवार को कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार किसानों की वास्तविक मांगों पर ध्यान दे।
उन्होंने कहा, ”19 नवंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की। उसी समय एमएसपी पर एक समिति का गठन किया गया था। समिति के गठन के तीन साल बाद भी भाजपा एमएसपी की कानूनी गारंटी देने में बुरी तरह विफल रही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बाजवा ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी नहीं देकर पीएम मोदी ने किसानों को धोखा दिया है। मोदी ने मार्च 2011 में गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए जो सिफारिश की थी, उसका विरोध किया था। इसके अलावा 2014 के आम चुनाव के लिए बीजेपी के घोषणा पत्र में भी एमएसपी देने का जिक्र था।
बाजवा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) नवाब सिंह समिति ने फसलों के लिए एमएसपी को कानूनी शुचिता देने की किसानों की मांग पर गंभीरता से विचार करने की सिफारिश की है। इस साल दो सितंबर को गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में यह भी कहा कि हाल के दशकों में किसानों और कृषि श्रमिकों पर कर्ज कई गुना बढ़ा है।
बाजवा ने कहा, ‘मुझे आश्चर्य है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने उसी समिति की अंतरिम रिपोर्ट पर आंखें क्यों मूंद लीं। इसमें अब तक समिति की रिपोर्ट पर भी ध्यान नहीं दिया गया है। ऐसा लगता है कि भाजपा सरकार किसानों की मांगों पर असंवेदनशील हो गई है।
कादीआं के विधायक बाजवा ने कहा कि जहां तक दिल्ली के लिए किसानों के विरोध मार्च का सवाल है, एक लोकतांत्रिक देश के प्रत्येक नागरिक को शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने का अधिकार है। उन्हें रोकने का न तो हरियाणा की भाजपा सरकार को और न ही केंद्र की भाजपा सरकार को कोई कानूनी अधिकार है।