शिक्षा मंत्री आतिशी ने कार्यक्रम में शामिल होकर बच्चों से जाने 2047 के भारत को लेकर उनके विजन, विजेताओं को पुरस्कार देकर किया सम्मानित
महिला सुरक्षा से लेकर ग़रीबी उन्मूलन तो ब्रेन-ड्रेन को रोकने से लेकर सस्टेनेबल ग्रीन इंडिया के विचार के साथ बच्चों ने बताया कैसा होना चाहिए 2047 के उनके सपनों का भारत
हमारे बच्चों में 2047 के भारत के लिए आत्मविश्वास और क्रांतिकारी सोच इस बात का सबूत को आज़ादी के 100वें साल तक भारत ज़रूर बनेगा दुनिया का नंबर.1 देश-शिक्षा मंत्री आतिशी
हमारे छात्र भेदभाव, निरक्षरता, ग़रीबी, बेरोज़गारी, हिंसा जैसी चुनौतियो से मुक्त भारत का न केवल सपना देख रहे है, बल्कि इनसे लड़ने का जज़्बा भी रखते है, उनका यही जज़्बा भारत को विश्व शक्ति बनाएगा-शिक्षा मंत्री आतिशी
यदि सभी छात्र भारत में परिवर्तन लाने का संकल्प लें, तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि अपनी मेहनत,जुनून और प्रतिभा के दम पर वे 2047 तक वे अपने सपनों का भारत ज़रूर बना लेंगे-शिक्षा मंत्री आतिशी
भारत में प्रतिभा की कमी नहीं, इन प्रतिभाओं को एकजुट करने की ज़रूरत, तो वो दिन दूर नहीं जब भारत बनेगा ग्लोबल लीडर-शिक्षा मंत्री आतिशी
1947 के बाद से, भारत ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन अभी भी कई लक्ष्य हासिल किए जाने बाकी हैं,अपने आइडियाज़ और मेहनत के दम पर देश के लिए ये मुक़ाम हासिल करेंगे हमारे छात्र-शिक्षा मंत्री आतिशी
कई चरणों की प्रतियोगिता के बाद 3.17 लाख प्रतिभागियों में 30 फाइनलिस्ट का हुआ चुनाव
नई दिल्ली, 24 अगस्त (The News Air) दिल्ली के स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों में 2047 में भारत जब अपनी आज़ादी की 100वीं वर्षगाँठ के बारे में अपने विचारों और जुनून को व्यक्त करने के लिए, केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के सभी स्कूलों के लिए “2047 में मेरे सपनों का भारत” प्रतियोगिता का आयोजन किया। शिक्षा मंत्री आतिशी गुरुवार को त्यागराज स्टेडियम में इसके समापन समारोह में शामिल हुई, प्रतियोगिता में शामिल बच्चों से बातचीत कर 2047 के भारत को लेकर उनके आइडियाज़, देश को लेकर उनके सपनों पार चर्चा की और प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया। गौरतलब है कि प्रतियोगिता में पूरी दिल्ली से लगभग 3.17 लाख छात्र और शिक्षक शामिल हुए थे और इसे जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली।
कार्यक्रम के दौरान छात्रों को अपने संबोधन में बधाई देते हुए शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा, “यहाँ मौजूद छात्र जिस आत्मविश्वास के साथ 2047 के भारत के लिए अपना विज़न प्रस्तुत कर रहे है मुझे यह देखकर बेहद ख़ुशी हो रही है। मुझे विश्वास है कि हम अपने छात्रों के इसी आत्मविश्वास और विज़न की बदौलत, 2047 तक भारत को ज़रूर एक वैश्विक शक्ति और ग्लोबल लीडर में बदल देंगे। उन्होंने कहा कि, छात्रों ने 2047 में भारत के लिए अपने भविष्य के दृष्टिकोण को साझा किया है, चाहे वह महिलाओं सुरक्षा सुनिश्चित करने के विषय में हो, इलेक्ट्रिक वाहनों से आगे बढ़ने के बारे में हो, या सभी के लिए खाद्य सुरक्षा हासिल करने के विषय में हो। ये विचार इस बात पर ज़ोर डालते हैं कि प्रतियोगिता में भाग लेने वाला प्रत्येक बच्चा भविष्य के लिए एक बेहतर भारत की कल्पना कर रहा है।
उन्होंने कहा, “अगर इतनी कम उम्र से ही छात्र 2047 के भारत की कल्पना कर रहे है तो ज़रूर वे अपने इस सामूहिक सपने को वास्तविकता में बदलने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।”
शिक्षा मंत्री ने कहा कि,1947 से लेकर आज तक, भारत ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन अभी भी कई लक्ष्य हासिल किए जाने बाकी हैं और सुधार लागू किए जाने बाकी हैं। आज भी देश में बहुत से बच्चे ऐसे है जिन्हें अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाती, बहुत से लोगों को हेल्थ-केयर सुविधाएँ नहीं मिल पाती,बेरोज़गारी है, महिलाओं-लड़कियों को अपने घर से बाहर जाने में असुरक्षा का भाव होता है।
यहां मौजूद छात्रों ने भी हर बच्चे के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने, उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल तक समान पहुंच की गारंटी देने, लिंग और जाति के आधार पर भेदभाव को खत्म करने और बाहर निकलने पर महिलाओं की असुरक्षा के मुद्दे को संबोधित करने के महत्व पर जोर दिया है। यदि आज यहां एकत्र हुए सभी छात्र भारत में परिवर्तन लाने का संकल्प लें, तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि 2047 तक वो ज़रूर इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।
शिक्षा मंत्री आतिशी ने आगे कहा कि, “आज, बहुत से प्रमुख मल्टी-नेशनल कंपनियों के, सीईओ और कर्मचारी भारतीय हैं। यहां तक कि दुनिया भर के अस्पतालों में सबसे वरिष्ठ डॉक्टर भी अक्सर भारतीय होते हैं। दुनिया भर में विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देने वाले प्रख्यात अनुसंधान वैज्ञानिक भी भारतीय मूल से हैं। जो साफ़ ज़ाहिर करता है कि हमारे देश में प्रतिभा की कमी नहीं है। और इस प्रतिभा,मेहनत और जुनून के साथ भारत 2047 तक निःसंदेह ग्लोबल लीडर बन सकता है। इस विज़न को सच करने के लिए यहाँ मौजूद बच्चे आज से ही संकल्प कर ले की उन्होंने 2047 के भारत के लिए जो सपना देखा है उसे पूरा करने के लिए ईमानदारी के साथ मेहनत करेंगे।
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार के साथ-साथ दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों के छात्रों और शिक्षकों के लिए “2047 में मेरे सपनों का भारत” प्रतियोगिता की घोषणा की गई थी। इस प्रतियोगिता में, छात्रों और शिक्षकों ने “2047 के भारत में वे परिवर्तन देखना चाहते हैं,” “आज की प्रथाएँ जो वे 2047 में नहीं देखना चाहते हैं,” और “वे अपने सपनों का भारत बनाने के लिए क्या करेंगे” पर अपने विचार साझा किए। कक्षा 6-12 तक के छात्रों ने राइटअप के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए, जबकि कक्षा नर्सरी से 5 तक के छात्रों ने ड्राइंग और शिल्प के माध्यम से खुद को व्यक्त किया। मूल्यांकन के लिए, नर्सरी से कक्षा 12 तक को 5 समूहों में विभाजित किया गया था और शिक्षक 6वें समूह में थे। 5 समूहों में से प्रत्येक के शीर्ष 5 छात्रों और 6वें समूह के शीर्ष 5 शिक्षकों को आज शिक्षा मंत्री द्वारा सम्मानित किया गया।
इस प्रतियोगिता के पीछे का उद्देश्य बच्चों में क्रिटिकल थिंकिंग को प्रोत्साहित करना, भारत की वर्तमान वास्तविकताओं का पता लगाने में मदद करना और उन्हें भारत के भविष्य को आकार देने में सक्रिय भागीदार बनने के लिए प्रेरित करना था।
कार्यक्रम में शामिल बच्चों ने क्या कहा?
गरीबी और बाल श्रम को खत्म करना दो महत्वपूर्ण मुद्दे है जिसपर मैंने गहराई से विचार किया। मेरा सपना है कि 2047 तक भारत से ये मुद्दे पूरी तरह खत्म हो जाएं तो ज़रूर 2047 तक भारत दुनिया के देशों में अव्वल होगा।’
– देविका अजित, आरपीवीवी, सेक्टर 10, द्वारका
“मेरी विज़न 2047 तक भारत में महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा को बढ़ाने की है। वर्तमान में, लगातार बढ़ते अपराधों के कारण महिलाओं में असुरक्षा की भावना बढ़ी है ,जिससे उनकी स्वतंत्रता में बाधा आती है। मैं 2047 तक उनके दिल से यह डर दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हूं।”
-लक्ष्य, सर्वोदय कोएड विद्यालय
“मैं 2047 तक एक सस्टेनेबल, ग्रीन इंडिया का सपना देखता हूं। मेरे इस सपने में तकनीकी प्रगति को अपनाना शामिल है जहां हम इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल करें और अपनी प्रकृति की बचाने का हर संभव प्रयास करें। हमारा ऐसा करना पृथ्वी को बेहतर स्थान बनाने के प्रति हमारे अटूट समर्पण को दिखाएगा।”
-अंगद झा, बीजीएस इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल
“2047 के भारत में जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए और सभी को गुणवत्तापूर्ण और सम्मानजनक जीवन जीने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।”
– सना परवीन, एसकेवी रामबाग
“भारत वर्तमान में प्रतिभा पलायन की एक बड़ी समस्या से जूझ रहा है। दुनिया का नेतृत्व करने वाली प्रतिभाएँ होने के बावजूद, हम अक्सर उन्हें दूसरे देशों की कंपनियों के हाथों खो देते हैं। 2047 तक, मैं भारत की प्रतिभा को भारत की प्रगति के लिए काम करते देखना चाहूंगा।
-आयुषी चौहान, आईटीएल पब्लिक स्कूल, द्वारका