The News Air- यूक्रेन में फंसे छात्रों को सुरक्षित भारत लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं लगाई गई हैं। इनकी सुनवाई शुक्रवार को चीफ़ जस्टिस एनवी रमना, न्यायमूर्ति बोपन्ना और हेमा कोहली की बेंच ने शुरू कर दी है। बेंच ने अटॉर्नी जनरल की दलीलें सुनने के बाद मामले की सुनवाई अगले शुक्रवार यानी 11 मार्च तक स्थगित कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट में इस तरह हुई याचिकाओं पर चर्चा
एडवोकेट तिवारी: हमारी सबसे बड़ी चिन्ता वे नागरिक हैं जो खार्किव जैसे शहरों में फंसे हुए हैं। ये रोमानिया जैसे शहरों से बहुत दूर हैं।
CJI रमना: हमें सुप्रीम कोर्ट वेबसाइटों से पता चला है आप इस तरह की याचिकाएं दायर करते हैं। कई को कॉस्ट के साथ बर्खास्त कर दिया गया था। यदि आप कुछ करना चाहते हैं तो पेपर कटिंग के साथ याचिका दायर करने का यह सही तरीक़ा नहीं है। आप जानते हैं कि यह एक संवेदनशील स्थिति है, हम कुछ नहीं कह सकते, फ़ायदा उठाने की कोशिश न करें।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने अतीत के युद्धों से कुछ नहीं सीखा। इसमें हमें कुछ नहीं कहना है। लेकिन छात्रों की चिन्ता हमें है।
AG वेणुगोपाल: कल सीमा पर फंसी महिला के बारे में सिंधिया को बताया गया जो पहले से वहाँ हैं। उनसे संपर्क हो चुका है वे सभी आज रात तक भारत आ सकते हैं।
CJI रमना: यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने SLP पेपर बुक को भी ठीक नहीं किया है। जनता के हित में, क्या आपको पता है कि कितने भारतीय वॉर ज़ोन में हैं?
AG वेणुगोपाल: आज सुबह तक संख्या लगभग 7000 बताई गई। वापसी में तेज़ी के लिए प्रधानमंत्री ने मंत्रियों के साथ बैठक की। इसे सरकार पर ही छोड़ दें। राजस्थान हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गई है। भारत सरकार यह देखने में सक्षम है कि इन लोगों को तेज़ी से निकाला जा रहा है। 17000 पहले ही निकाले जा चुके हैं।
CJI रमना: AG, आप राज्य के हाईकोर्ट में पेश होने वाले अपने वकीलों से कहें कि जब हम सुनवाई कर रहे हैं और केंद्र क़दम उठा रहा है तो हर हाईकोर्ट को दख़ल देने और निर्देश देने का कोई मतलब नहीं है। इसे हाईकोर्ट के संज्ञान में लाएं कि हमें मामला समझ में आ गया है। आप एक ऑनलाइन हेल्पलाइन शुरू करें ताकि बच्चों के पैरेंट्स को पता होना चाहिए कि वे कहां हैं।
हम आदेश पारित नहीं करेंगे। आप करें। हम भारत सरकार के प्रयासों के बारे में कुछ नहीं कह रहे हैं, हम इसकी सराहना करते हैं लेकिन हम लोगों के बारे में भी चिंतित हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था पुतिन से हमला रोकने कहुँ?
याचिका पर चीफ़ जस्टिस ने कल कहा था कि क्या मैं रूस से हमला रोकने को कहुँ? वहीं, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया था कि भारत ने छात्रों को निकलाने के लिए चार मंत्री यूक्रेन के बॉर्डर वाले देशों में भेजे हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता एएम डार ने पीठ से कहा था- यूक्रेन के ओडेसा से आए छात्र रोमानियाई बॉर्डर पर हैं। भारत सरकार हंगरी और पोलैंड से उड़ानें संचालित कर रही है, लेकिन रोमानिया से नहीं। ऐसे में छात्र बिना पैसे, पानी के -7 डिग्री तापमान में परेशान हैं।
इस पर CJI ने टिप्पणी की- क्या मैं व्लादिमीर पुतिन से युद्ध रोकने के लिए कहुँ? आप क्या चाहते हैं? डार ने जवाब दिया कि वह चाहते हैं कि इन छात्रों को निकाला जाए। फिर, CJI ने कहा, “हमें आपसे पूरी सहानुभूति है लेकिन अदालत क्या निर्देश दे सकती है?”
अटॉर्नी जनरल (एजी) से सीजेआई ने इन छात्रों की स्थिति के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा- प्रधानमंत्री ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से बात की है, भारतीयों को सीमा पार करने दिया जा रहा है। उन्होंने अदालत को आगे बताया कि भारत सरकार ने एक मंत्री को रोमानिया भेजा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वहाँ के भारतीयों का ध्यान रखा जाए।