तीन मार्च से होगा विधानसभा सत्र, ‘यह संविधान और 3 करोड़ पंजाबियों की जीत है’: आप

  • -‘आप’ ने मान सरकार द्वारा बुलाए गए पंजाब विधानसभा सत्र को मंज़ूरी देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का आभार व्यक्त किया
  • -राज्यपाल गवर्नर हाउस की गरिमा बनाए रखें, इसे भाजपा का राजनीतिक कार्यालय न बनाएं : मलविंदर सिंह कंग
  • -कहा, आप 3 करोड़ पंजाबियों के समावेशी विकास के लिए लगन से काम कर रही है, राज्यपाल पंजाब सरकार के दिन-प्रतिदिन के मामलों में न करें हस्तक्षेप

चंडीगढ़, 28 फरवरी (The News Air) आम आदमी पार्टी (आप) ने पंजाब सरकार द्वारा तीन मार्च से बुलाये गए विधानसभा सत्र को मंजूरी देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का आभार व्यक्त किया,जिसे राज्यपाल ने संवैधानिक नियमों को दरकिनार कर इनकार कर दिया था।

मंगलवार को यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कंग ने कहा कि यह लोकतंत्र, डॉ बीआर अंबेडकर और 3 करोड़ पंजाबियों की जीत है, जिन्होंने पंजाब में मान सरकार चुनी। उन्होंने कहा कि यह सरवोच्च न्यायालय का बेंचमार्क निर्णय है कि राज्यपाल को निर्वाचित सरकार के दिन-प्रतिदिन के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और आम लोगों की भलाई के लिए राज्य को सुचारू कामकाज की अनुमति देनी चाहिए। इस मौके पर पार्टी प्रवक्ता ऐडवोकेट रविंदर सिंह भी उपिस्थित थे।

राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से गवर्नर हाउस की गरिमा बनाए रखने की अपील करते हुए कंग ने कहा कि वह गवर्नर हाउस को भाजपा का राजनीतिक कार्यालय न बनाएं बल्कि पंजाब के समावेशी विकास के लिए मान सरकार को सहयोग करें। उन्होंने कहा कि अब पंजाब सरकार सदन में कल्याणकारी फैसले लेने के लिए 3 मार्च से सत्र आयोजित करेगी।

उन्होंने कहा कि राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के अनुसार कार्य करना होता है। यहां तक ​​कि संविधान के अनुच्छेद 163 (1) के तहत भी कहा गया है कि “राज्यपाल को अपने कार्यों के प्रयोग में सहायता और सलाह देने के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक मंत्रिपरिषद होगी, सिवाय इसके कि उन्हें संविधान के तहत अपने कार्यों या उनमें से किसी को अपने विवेक से प्रयोग करने की आवश्यकता है।

भाजपा की केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि भगवा पार्टी दिल्ली में एलजी कार्यालय और पंजाब में गवर्नर हाउस का इस्तेमाल कर लोकतंत्र को खत्म करना चाहती है लेकिन शीर्ष अदालत ने एक बार फिर संविधान की हत्या होने से बचा लिया और मंत्रिपरिषद को संविधान के तहत दी गई शक्तियों के अनुसार उन्हें अधिकार दे दिया।

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