क्या होते हैं सोलर फ्लेयर्स
जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। हमारे सौर मंडल में ये फ्लेयर्स अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है। इनमें मौजूद एनर्जेटिक पार्टिकल्स प्रकाश की गति से अपना सफर तय करते हैं।
नासा SDO के अनुसार, सोलर फ्लेयर 28 मार्च को अपने पीक पर था। नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) का भी कहना है कि इस सोलर फ्लेयर की वजह से रेडियो ब्लैकआउट भी हुआ। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में रेडियो कम्युनिकेशन पर असर पड़ा।
वहीं, सूर्य में दिखाई दिए कोरोनल होल की वजह से आज हमारे ग्रह पर 29 लाख किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सौर हवाएं (Solar Winds) आएंगी। सौर हवाएं बहुत ताकतवर हों, तो उसके असर से पृथ्वी पर इंटरनेट, मोबाइल फोन नेटवर्क और जीपीएस सिस्टम पर असर पड़ सकता है। ये हमारी पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र और ऑर्बिट में मौजूद सैटेलाइट्स को भी प्रभावित कर सकती हैं। मौजूदा सौर हवाएं कितनी प्रभावी होंगी, यह आज पता चलेगा, जब हमारी पृथ्वी इनका सामना करेगी।