भोपाल /रायपुर, 8 दिसंबर (The News Air)। मध्य प्रदेश और पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के लिए भारतीय जनता पार्टी ने विधायक दल का नेता चुनने के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। इसके बाद से संभावित चेहरों को लेकर कयासबाजी तेज हो गई है।
विधायक दल की बैठक एक या दो दिन बाद हो सकती है, मगर सियासी गलियारे चर्चाओं से गुलजार हैं।
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी को बंपर जीत मिली है और दोनों ही राज्यों में नए चेहरों को तरजीह दिए जाने की चर्चाएं हैं।
मध्य प्रदेश में वर्तमान में भाजपा की सरकार है और छत्तीसगढ़ में भाजपा की सत्ता में वापसी हुई है। दोनों ही राज्य भाजपा के लिए अहम हैं। लिहाजा पार्टी फूंक फूंक कर कदम रख रही है।
भाजपा ने शुक्रवार को ही राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं।
बात मध्य प्रदेश की करें तो यहां हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष डॉ के लक्ष्मण और राष्ट्रीय सचिव आशा लकड़ा को जिम्मेदारी सौंपी गई है, वहीं छत्तीसगढ़ में केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा, जहाज रानी मंत्री सर्वानंद सोनवाल और राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम को बतौर पर्यवेक्षक भेजा जा रहा है।
पर्यवेक्षकों के नाम सामने आते ही एक बार फिर सियासी गलियारों में मुख्यमंत्री के संभावित नाम की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है।
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के अलावा नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवगीयर्, राकेश सिंह के नाम की चर्चा है, वहीं छत्तीसगढ़ में केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और वरिष्ठ आदिवासी नेता विष्णु देव साय के नाम प्रमुखता से लिए जा रहे हैं।
यह भी कहा जा रहा है कि इनके अलावा कोई चैकाने वाला नाम भी दोनों राज्यों में सामने आ सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों की बात करें तो दोनों ही राज्य भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं और वह यहां ऐसे व्यक्ति को कमान सौंपेगी जो किसी गुट का प्रतिनिधित्व न करता हो, बल्कि राष्ट्रीय नेतृत्व का भरोसेमंद हो।
इतना ही नहीं वह किसी विवाद में भी न घिरा हो और कहीं न कहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी उसे समर्थन हासिल हो।