नई दिल्ली, 22 नवंबर (The News Air) संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने भाजपा के नेतृत्व वाली ओडिशा सरकार पर आरोप लगाया है कि वह अडानी, वेदांता और लार्सन एंड टूब्रो जैसे बड़े कॉरपोरेट घरानों को ओडिशा के कालाहांडी और रायगढ़ जिलों में सिजिमाली, कुत्रुमाली और मंजेनमाली और खंडुआलमाली जैसे बॉक्साइट सहित खनिजों से समृद्ध पहाड़ों को कब्जाने करने में मदद कर रही है, जिससे हजारों किसानों, जिनमें से अधिकांश आदिवासी हैं, की बलपूर्वक बेदखली का खतरा पैदा हो गया है।
एसकेएम ने इस क्षेत्र में लगभग 50,000 किसान परिवारों द्वारा चलाए जा रहे जन संघर्षों का समर्थन किया है, ताकि वे अपनी उपजाऊ कृषि भूमि, जंगल, वन्यजीव और 250 से अधिक बारहमासी झरनों, नदियों को बड़े कॉर्पोरेट घरानों द्वारा खनन के लिए अतिक्रमण और कब्ज़ा किए जाने से बचा सके, जिनका उपयोग वे अपनी खेती और सिंचाई के लिए करते है। ये किसान कई पीढ़ियों से इस उपजाऊ भूमि पर धान, रागी, अलसी, तिल, अरंडी, चिरौंजी (कड़वा नट) और काजू उगाते आ रहे हैं।
काशीपुर और नियमगिरि पर्वतमालाएं भौगोलिक दृष्टि से एक दूसरे से सटी हुई हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार नियमगिरि में खनन पर जनमत संग्रह में खनन के पक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा। इस प्रकार, नियमगिरि में खनन बंद हो गया है और किसान लगातार संघर्ष के माध्यम से अपनी आजीविका बचाने में सफल रहे हैं।
सिजीमाली के किसानों ने नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी – जो स्वयं एक आदिवासी हैं – पर कॉर्पोरेट कंपनियों का पक्ष लेने का आरोप लगाया है, जिससे आदिवासियों और स्थानीय लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए संसद द्वारा पारित वनाधिकार कानून (एफआरए) और पेसा (पीईएसए) कानूनों का उल्लंघन हो रहा है।
एसकेएम एनडीए-3 सरकार और भाजपा नेतृत्व वाली राज्य सरकार से मांग करता है कि वे खदानों और खनिजों के निजीकरण पर रोक लगाएं, अन्यथा मांगें पूरी होने तक संघर्ष तेज किया जाएगा।
पी कृष्णप्रसाद, अफलातून, राजेंद्र चौधरी और लिंगराज आजाद सहित एसकेएम के एक प्रतिनिधिमंडल ने 8 नवंबर 2024 को सिजिमाली में मां, माटी, माली सुरक्षा मंच द्वारा आयोजित किसान पंचायत में भाग लिया और किसानों के संघर्ष के प्रति एकजुटता और समर्थन का इजहार किया।