Rahul Gandhi Sirpa Controversy : अमृतसर (Amritsar) में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के दौरे के दौरान दिया गया सिरोपा अब शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के लिए सिरदर्द बन गया है। 15 सितंबर को जब राहुल गांधी बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लेने पहुंचे थे, तो वे बाबा बुड्ढा साहिब जी गुरुद्वारा गए। यहां प्रबंधकों ने उन्हें परंपरा के अनुसार सिरोपा पहनाकर सम्मानित किया। लेकिन यह सम्मान सिख जत्थेबंदियों के गले नहीं उतरा और विवाद खड़ा हो गया।
SGPC ने ली तुरंत कार्रवाई की पहल: सिरोपा देने के बाद कई सिख संगठनों ने SGPC के समक्ष आपत्ति जताई। इसे गंभीर मानते हुए SGPC ने तुरंत जांच कमेटी गठित की। सूत्रों के मुताबिक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर SGPC प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी को सौंपने की तैयारी कर ली है। रिपोर्ट में मैनेजर, हेड ग्रंथी, मुख्य सेवादार और एक कर्मचारी को जिम्मेदार ठहराया गया है। अब सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि SGPC प्रधान धामी इस मामले में क्या कदम उठाएंगे। उम्मीद है कि जल्द ही इस पर प्रेस नोट जारी किया जाएगा।

SGPC महिला सदस्य का अलग नजरिया: इस विवाद के बीच SGPC की महिला सदस्य किरनजोत कौर ने एक सोशल मीडिया पोस्ट लिखकर अलग राय रखी। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग उनकी बात से असहमत होंगे, लेकिन सच यही है कि राहुल गांधी को उनकी दादी इंदिरा गांधी के किए गुनाहों के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने लिखा – “इंदिरा गांधी ने दरबार साहिब पर हमला किया था और कौम ने हिसाब बराबर किया। लेकिन उस वक्त राहुल गांधी बच्चा थे और उन्होंने कभी सिखों के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया। ऐसे में उन्हें जिम्मेदार ठहराना गलत होगा।”
दरअसल, 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार और उसके बाद की घटनाओं ने सिख समुदाय और कांग्रेस के रिश्तों में गहरी दरार डाल दी थी। इंदिरा गांधी के फैसले ने सिखों को गहरी चोट पहुंचाई थी। यही कारण है कि आज भी कांग्रेस नेताओं के प्रति सिख समाज में संवेदनशीलता बनी हुई है। राहुल गांधी को सिरोपा देने पर उठे सवाल उसी पुराने जख्म से जुड़े हैं।






