नई दिल्ली, 4 जून
पंजाब कांग्रेस इकाई में नेतृत्व परिवर्तन के लिए उठी आवाज खामोश होती नहीं दिखाई दे रही है। पंजाब में कैप्टन का किला ध्वस्त करना इतना आसान नहीं है, क्योंकि पार्टी के ज्यादातर विधायक अभी भी उन्हीं के पाले में हैं, वहीं पंजाब कांग्रेस प्रधान का चुनाव भी लंबित है। कैप्टन के विरोधी इस पद पर भी नजरें गड़ाए हुए हैं, लेकिन पार्टी के समक्ष सबसे बड़ी समस्या एक ऐसे चेहरे को ढूंढने की है, जो दोनों पक्षों को मंजूर हो।
आज पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कांग्रेस की प्रदेश इकाई पंजाब में चल रहे कलह को दूर करने के मकसद से गठित की गई समिति के समक्ष आज यानी शुक्रवार को अपनी सारी बाते रखी।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक इससे पहले बीती रात कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने नाराज़ विधायकों के साथ बातचीत करने की कोशिश की परन्तु कोई सफलता नहीं मिली। यहां तक कहा जा रहा है कि राहुल गांधी एक -दो दिनों में मामला हल करने के लिए बड़ा ऐलान कर सकते हैं।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि कैप्टन अमरेंद्र सिंह के इस कदम से ही समिति की संवाद करने की कवायद पूरी हो गई। अब वह हाईकमांड को अपनी रिपोर्ट सौंपेगे। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाली समिति ने पिछले 4 दिनों में कांग्रेस के पंजाब से संबंध रखने वाले करीब 100 से अधिक नेताओं से उनकी राए ली है, इनमें ज्यादातर विधायक हैं। खड़गे के अलावा कांग्रेस महासचिव और पंजाब प्रभारी हरीश रावत तथा दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जे.पी. अग्रवाल इस समिति में भी शामिल हैं।
गौरतलब है कि बीते कुछ सप्ताह के अंदर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह और पार्टी नेता नवजोत सिंह सिद्धू के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिली है। विधायक परगट सिंह और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कुछ अन्य नेतागणों ने भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है।