नई दिल्ली: दुनिया के 10 सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में सिर्फ दस साल पहले भारत ही ऐसा देश था जिसे 70 साल से ज्यादा उम्र का नेता चला रहा था। 2014 में अपने आखिरी कार्यकाल में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 81 साल के थे। उस वक्त अमेरिका में बराक ओबामा 52 साल के राष्ट्रपति थे। चीन के शी जिनपिंग और रूस के व्लादिमीर पुतिन 60 साल के आसपास थे। मगर 2024 में दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं की उम्र काफी बढ़ गई है। अब इन 10 सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में सभी नेता 70 साल से ज्यादा उम्र के हैं।
आखिर कम क्यों हो रहे युवा राष्ट्राध्यक्ष? : दुनियाभर के ताकतवर देशों के प्रमुख उम्रदराज हैं आखिर इसकी वजह क्या है। सत्ता के गलियारों में उम्रदराज का एक कारण तानाशाहों का बढ़ना हो सकता है। चीन में शी जिनपिंग ने परंपरा तोड़ते हुए 2022 में कम्युनिस्ट पार्टी चीफ के तौर पर अपना तीसरा कार्यकाल शुरू किया। उस वक्त उनकी उम्र 69 साल थी। पुतिन तो 47 साल की उम्र में ही रूस के सर्वेसर्वा बन गए थे। 25 साल बाद भी वो सत्ता में बने हुए हैं। उनके मुख्य विरोधी, 47 साल के अलेक्सी नवलनी को पिछले महीने साइबेरिया की जेल में मार दिया गया।
क्यों उम्रदराज नेता हैं सत्ता पर काबिज? : वहीं अगर अमेरिका का बात करें तो वहां दो पार्टियां की शासन व्यवस्था रहती है। आमतौर पर युवा नेता किसी एक पार्टी, रिपब्लिकन या डेमोक्रेट से जुड़ते हैं। लेकिन पार्टी के शीर्ष तक पहुंचने में वक्त लगता है। ऐसे में कम उम्र में देश की सत्ता तक पहुंचना मुश्किल होता है। दूसरे अन्य देशों में भी अनुभवी और राजनीति से जुड़े उम्रदराज नेताओं के लिए चुनाव लड़ना, युवा नेताओं के मुकाबले आसान होता है। इन नेताओं के पास चुनाव की फंडिंग जुटाने वाले लोगों से भी अच्छे संबंध होते हैं।
देखिए बुजुर्ग नेताओं की लिस्ट
इन देशों में युवा नेताओं के हाथ में सत्ता : ये बात सही है कि पूरे यूरोप में उम्नदराज नेताओं की संख्या बढ़ती जा रही है। लेकिन इसमें कुछ अपवाद भी हैं। उदाहरण के तौर पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने युवा नेता के तौर पर अपना नई राजनीतिक पार्टी बनाई और 39 साल की उम्र में देश के सबसे युवा राष्ट्रपति बने। अब उन्होंने 34 साल के गेब्रियल एटल को फ्रांस का प्रधानमंत्री बना दिया है। वहीं ब्रिटेन में प्रधानमंत्री ऋषि सुनक केवल 43 साल के हैं। जियोर्जिया मेलोनी सिर्फ 45 साल की थीं, जब 2022 में इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। इसके अलावा यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की 46 साल के हैं।
भारत में बढ़ती उम्र के नेता : दुनियाभर के देशों की तरह भारत में भी उम्रदराज नेता बढ़ते जा रहे हैं। आजाद भारत की पहली लोकसभा में सांसदों की औसत आयु 50 साल से काफी कम थी। 1977 से 1979 तक कार्य करने वाली छठी लोकसभा तक आते-आते ये औसत 50 साल को पार कर गया। 12वीं लोकसभा (1998-99) 46.4 साल की औसत आयु के साथ सबसे युवा मानी जाती है, लेकिन इसके बाद रिकॉर्ड में दूसरी सबसे उम्रदराज लोकसभा आई, जिसकी औसत आयु 55.5 साल थी। 16वीं लोकसभा (2014-19) के सांसदों की औसत आयु सबसे ज्यादा 55.6 साल रही।