The News Air- चारा घोटाले के सबसे बड़े मामले (डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी) में बिहार के पूर्व CM और RJD सुप्रीमो लालू यादव को सोमवार को 5 साल की सज़ा सुनाई गई। उन्हें 60 लाख का जुर्माना भी भरना होगा। रांची में CBI के विशेष जज एसके शशि ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सज़ा का ऐलान किया। फ़िलहाल लालू रिम्स के पेइंग वार्ड में भर्ती हैं।
लालू समेत 38 दोषियों को इस केस में कोर्ट ने 15 फरवरी को दोषी क़रार दिया था। अधिवक्ता का कहना है कि सज़ा की आधी अवधि पूरी हो गई है, इसलिए लालू को हाईकोर्ट से ज़मानत मिलने की उम्मीद है।कुल 40 लोगों को सज़ा सुनाई गई। 5 लोगों को 5 साल, 3 लोगों को 3 साल तथा कुल 32 लोगों को 4-4साल की सज़ा दी गई। पिछली सुनवाई में अनुपस्थित रहे दो लोग आज कोर्ट में हाज़िर हुए। उन्हें भी जेल भेज दिया गया। वित्त सचिव वेक जूलियस को सबसे कम एक लाख रुपए जुर्माना और 4 साल की सज़ा दी गई है। केएम प्रसाद और लालू प्रसाद को रिम्स में रहते हुए सज़ा सुनाई गई। त्रिपुरारी मोहन प्रसाद को 2 करोड़ मोहम्मद शाइद को डेढ़ करोड़ रुपए रुपए की सज़ा सुनाई दी गई।
इधर, सज़ा के ऐलान के पहले लालू की तबीयत और बिगड़ गई। उनका ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल बढ़ गया। सुबह लालू यादव का ब्लड शुगर 160 पहुंच गया जो सामान्य स्थिति में ख़ाली पेट में 110 होना चाहिए। दूसरी ओर उनका ब्लड प्रेशर 150/ 70 पहुंच गया है। डॉक्टर ने बताया की सज़ा की सुनवाई होने से पहले लालू यादव रात से ही काफ़ी तनाव में थे। इस कारण उनका BP और ब्लड शुगर अनियंत्रित हुआ। इलाज कर रहे डॉक्टर विद्यापति ने बताया कि सुबह लालू से जब मुलाक़ात हुई तो वह काफ़ी तनाव में दिखे और तबीयत के बारे में पूछा गया तो काफ़ी मायूस होकर उन्होंने जवाब दिया।
लालू यादव सुबह से ही अपने कमरे से बाहर नहीं निकले
लालू आज सुबह टहलने के लिए अपने रूम से बाहर भी नहीं निकले। एक दिन पहले लालू यादव के ब्लड शुगर का लेवल सुबह ख़ाली पेट में 140/80 के आस पास था, जबकि इंसुलिन की डोज़ बढ़ाए जाने के बाद भी सोमवार को उनका ब्लड शुगर बढ़ गया। डॉक्टर ने बताया कि पहले से ही वह किडनी की क्रॉनिक डिज़ीज़ से ग्रसित हैं और ब्लड शुगर और BP की समस्या पहले से उन्हें है और इस तनाव के बाद सभी चीज़ें अनियंत्रित हो गई हैं, हालांकि डॉक्टर ने दवा दी है।
जानिए, डोरंडा ट्रेजरी घोटाला आख़िर है क्या?
डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी के इस मामले में पशुओं को फ़र्ज़ी रूप से स्कूटर पर ढोने की कहानी है। यह उस वक़्त का देश का पहला मामला माना गया जब बाइक और स्कूटर पर पशुओं को ढोया गया हो। यह पूरा मामला 1990-92 के बीच का है। CBI ने जांच में पाया कि अफ़सरों और नेताओं ने मिलकर फर्जीवाड़े का अनोखा फॉमूर्ला तैयार किया। 400 साँड़ को हरियाणा और दिल्ली से कथित तौर पर स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक ढोया गया, ताकि बिहार में अच्छी नस्ल की गाय और भैंसें पैदा की जा सकें। पशुपालन विभाग ने 1990-92 के दौरान 2,35, 250 रुपए में 50 साँड़, 14, 04,825 रुपए में 163 साँड़ और 65 बछिया ख़रीदीं।