नई दिल्ली, 24 अप्रैल (The News Air): इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये राजनीतिक दलों, कॉरपोरेट और अधिकारियों के बीच कथित लेनदेन की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराई जाए। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने इस मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को गैर संवैधानिक करार देकर स्टेट बैंक से कहा था कि वह लेनदार और देनदार की लिस्ट जारी करे। यह लिस्ट चुनाव आयोग की वेबसाइट के जरिये पब्लिक डोमेन में आ चुकी है।एडवोकेट प्रशांत भूषण ने अब सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर गुहार लगाई गई है कि मामले में फर्जी कंपनी और घाटे में चल रही कंपनियों की तरफ से दिए गए चंदे के मामले में फंड के स्रोत का पता लगाना जरूरी है। इसके लिए एसआईटी गठित की जाए। याचिका में कहा गया है कि इन फर्जी और घाटे में चल रही कंपनियों की ओर से राजनीतिक दलों को चंदा दिया गया है। जिन कंपनियों ने फायदा पहुंचाने के बदले राजनीतिक पार्टियों को चंदा दिया है, वह चंदा राजनीतिक पार्टियों से वसूल किया जाए। सुप्रीम कोर्ट में मामले की एसआईटी जांच की गुहार लगाई गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को एक एतिहासिक फैसले में राजनीतिक पार्टियों को दिए जाने वाले चंदे के लिए तय स्कीम इलेक्टोरल बॉन्ड को खारिज कर दिया था इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा था कि वह इलेक्टोरल बॉन्ड को कैश कराए जाने से संबंधित तमाम ब्योरे को सार्वजनिक करे। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से नया बॉन्ड जारी किए जाने पर रोक लगा दी थी।
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच का यह फैसला लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आया। इसके बाद 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में एसबीआई के चेयरमैन की ओर से हलफनामा दायर कर कहा गया था कि बैंक ने इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित तमाम डिटेल चुनाव आयोग को सौंप दिया है। इनमें बॉन्ड का यूनिक नंबर भी शामिल है। यूनिक नंबर उजागर होने से इलेक्टोरल बॉन्ड के खरीददार का बॉन्ड भुनाने वाली राजनीतिक पार्टियों का पता चल चुका है। इसके तहत बॉन्ड खरीददार के डिटेल जिसमें सीरियल नंबर, यूएरएन नंबर, बॉन्ड खरीद की तारीख, बॉन्ड की एक्सपायरी तारीख, बॉन्ड का नंबर, बॉन्ड कितने का है, जारी करने वाले ब्रांच और किसे डोनेट किए गए, ये सब पब्लिक डोमेन में आ चुका है।