रायपुर, 19 अगस्त (The News Air) छत्तीसगढ़ देश के उन राज्यों में है, जहां एक साल के भीतर दो चुनाव होने वाले हैं, पहला विधानसभा और दूसरा लोकसभा का। यह दोनों चुनाव कांग्रेस और भाजपा के बीच नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनाम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की छवि पर लड़े जाने वाले हैं।
राज्य में इसी साल विधानसभा और अगले साल अप्रैल-मई में लोकसभा के लिए चुनाव होना लगभग तय माना जा रहा है। चुनावी माहौल धीरे-धीरे गहराने लगा है। वहीं, दोनों ही राजनीतिक दल, भाजपा और कांग्रेस, एक-दूसरे को घेरने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
भाजपा की बात करें तो उसके निशाने पर पूरी तरह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर है।
प्रधानमंत्री पर हमले किए जाने की वजह भी है क्योंकि भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व का राज्य की सियासत में लगातार दखल बढ़ रहा है।
राज्य विधानसभा की दलगत स्थिति पर गौर करें तो 90 सदस्यों वाले सदन में कांग्रेस के 71, भाजपा के 13, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के 3, बहुजन समाज पार्टी के 2 विधायक हैं और 1 स्थान रिक्त है। वहीं, लोकसभा की 11 सीटों में से 9 पर भाजपा का कब्जा है और 2 पर कांग्रेस के सांसद हैं।
दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों की कोशिश है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बढ़त बनाए। इसी के चलते दोनों राजनीतिक दल एक-दूसरे पर हमला करने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे।
राज्य में जोर पकड़ते सियासी मुद्दों पर गौर करें तो केंद्र सरकार, जहां राज्य के विकास के लिए तमाम योजनाएं मंजूर करने का दावा कर रही है। वहीं, राज्य सरकार पर बेहतर तरीके से अपनी जिम्मेदारियां न निभाने के आरोप भी लगा रही है।
भाजपा की ओर से केंद्र की आवास नीति का लाभ राज्य सरकार के रवैए के कारण हर गरीब को न मिलने का आरोप लगाया गया है तो वहीं राज्य के शराब घोटाले, रेत घोटाले, कोयला घोटाले सहित अन्य घोटालों के आरोप चस्पा किए जा रहे हैं। इसके अलावा गौठान के नाम पर बड़ी गड़बड़ियों के सीधे आरोप लग रहे हैं।
भाजपा के निशाने पर पूरी तरह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं और यही कारण है कि हर घोटाले में भाजपा बघेल को हिस्सेदार बताने में लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का छत्तीसगढ़ प्रवास हुआ तो उन्होंने भी खुले तौर पर भूपेश बघेल सरकार पर आरोप लगाए और यहां तक कहा कि कांग्रेस करप्शन और कुशासन का मॉडल बन चुकी है। इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ में सिर्फ भ्रष्टाचार हुआ है।
कांग्रेस की बात करें तो भूपेश बघेल सरकार राज्य के गरीबों की स्थिति में बदलाव लाने के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र करती है, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आए बदलाव का ब्यौरा देती है, वहीं सीधे तौर पर केंद्र सरकार पर हमले करने में भी नहीं चूकती।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तो राज्य के साथ केंद्र सरकार द्वारा सौतेला व्यवहार करने तक के आरोप लगा चुके हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सीधे तौर पर केंद्र सरकार पर भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को संरक्षण देने और कुछ खास लोगों को प्रोत्साहित करने के आरोप लगाते रहे हैं। उनका सवाल है कि एक ही व्यक्ति को कोयला से लेकर तमाम खदानों के काम क्यों दिए जा रहे हैं। पोर्ट से लेकर एयरपोर्ट तक अडानी को क्यों दिए गए।
राज्य की सियासी गतिविधियों पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात साफ हो जाती है कि दोनों राजनीतिक दलों के केंद्रीय नेतृत्व की नजर राज्य पर है। भाजपा की ओर से जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के लगातार दौरे हो रहे हैं तो वहीं कांग्रेस की ओर से भी पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के भी प्रवास बढ़ रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी विधानसभा का चुनाव हो या लोकसभा का चुनाव, दोनों ही चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ने जा रही है और इस बात के संकेत भी मिल रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए किसी भी चेहरे को आगे नहीं रखा है। वहीं केंद्रीय नेतृत्व का लगातार दखल बढ़ रहा है।
दूसरी ओर कांग्रेस पूरी तरह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की चेहरे को आगे रखकर बढ़ रही है। लिहाजा राज्य में दोनों ही चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनाम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रहने वाले हैं। हां इतना जरूर है कि विधानसभा चुनाव में राज्य के मुद्दे महत्वपूर्ण होंगे तो लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे।