नई दिल्ली, 24 जून (The News Air) इसरो ने रविवार को तीसरे रीयूजेबल लॉन्च वीइकल की लैंडिंग (लेक्स-03) में सफलता पाकर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल कर लिया। इससे अंतरिक्ष वाहन के कक्षा में दोबारा प्रवेश के परीक्षण का मार्ग प्रशस्त हो गया। यह वाहन अब तक प्रयोगों के लिए इस्तेमाल किए गए वाहन के आकार का छह गुना होगा।
इस मिशन ने अधिक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में लॉन्च वीइकल की ऑटोनोमस लैंडिंग कैपिबलिटी का प्रदर्शन किया। यह अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत की बहुत बड़ी उपलब्धि का द्योतक है। कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में आयोजित LEX-03 मिशन ने अंतरिक्ष से लौटने वाले वाहन के लिए उच्च गति वाली लैंडिंग स्थितियों और दृष्टिकोण इंटरफेस का अनुकरण किया। इस मिशन से भविष्य के ऑर्बिटल रीएंट्री मिशनों के लिए महत्वपूर्ण एडवांस्ड गाइडेंस एल्गोरिदम को मान्यता मिल गई।
मिशन में इनर्शियल सेंसरों, रेडार अल्टीमीटर, फ्लश एयर डेटा सिस्टम, स्यूडोलाइट सिस्टम और नाविक सहित मल्टिसेंसर फ्यूजन टेक्नॉलजी का उपयोग किया गया।मिशन को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के नेतृत्व में सफलता मिली, लेकिन लेक्स-03 को इसरो के विभिन्न केंद्रों, भारतीय वायु सेना, कई एयरोस्पेस अनुसंधान संस्थानों और औद्योगिक भागीदारों का सहयोग शामिल था। इसरो की इस ऐतिहासिक सफलता के लिए मिशन डायरेक्टर जे. मुथुपंडियन और वीइकल डायरेक्टर बी कार्तिक को योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
वहीं, वीएसएससी के एडवांस्ड टेक्नॉलजी और सिस्टम प्रोग्राम के प्रोग्राम डायरेक्ट सुनील पी ने किया। मिशन डायरेक्टर जे मुथुपंडियन आरएलवी के प्रॉजेक्ट डायरेक्टर भी थे। वहीं, वीइकल डायरेक्टर बी कार्तिक इसके डिप्टी प्रॉजेक्ट डायरेक्टर थे। इन सबके प्रयासों ने स्पेस रिसर्च और टेक्नॉलजी डेवलपमेंट के क्षेत्र में इसरो की प्रतिष्ठा आसमान छू गई। आइए अमेरिका के बाद यह उपलब्धि अब भारत के नाम करवाने वाले इन तीन वैज्ञानिकों के बारे में जानते हैं…
सुनील पी: कार्यक्रम निदेशक, एडवांस्ड टेक्नॉलजी एंड सिस्टम्स प्रोग्राम, वीएसएससी
सुनील पी ने आरएलवी पुष्पक मिशन के लिए टीम का मार्गदर्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम निदेशक के रूप में वो विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में उन्नत प्रौद्योगिकी और प्रणाली कार्यक्रम की देखरेख करते हैं, जिससे इसरो की परियोजनाओं में अत्याधुनिक तकनीकों का एकीकरण और निष्पादन सुनिश्चित होता है। आरएलवी पुष्पक मिशन में उनके नेतृत्व ने इसकी सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे रीयूजेबल लॉन्च वीइकल टेक्नॉलजी में इसरो की दक्षता साबित हो गई।
जे मुथुपंडियन: परियोजना निदेशक, आर.एल.वी. और मिशन निदेशक
जे मुथुपंडियन ने आरएलवी प्रोग्राम के लिए परियोजना निदेशक और आरएलवी पुष्पक मिशन के लिए मिशन निदेशक की बड़ी जिम्मेदारी निभाई। उनकी जिम्मेदारियों में आरएलवी प्रॉजेक्ट के विकास की देखरेख, मिशन के उद्देश्यों का प्रबंधन और इसके सफल समापन को सुनिश्चित करना शामिल था। परियोजना प्रबंधन और मिशन निष्पादन में मुथुपंडियन की विशेषज्ञता मिशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक थी। जे. मुथुपंडियन का करियर जर्नी पारंपरिक सीमाओं से परे एक आकर्षक यात्रा है। उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि से पता चलता है कि वे विविध रुचियों वाले व्यक्ति हैं, जिसकी शुरुआत नेशनल हायर सेकेंडरी स्कूल, नागोर से हुई। इसके बाद उन्होंने तंजावुर के वल्लम स्थित प्रिस्ट यूनिवर्सिटी से ज्योतिष में एमए की पढ़ाई की, जो ब्रह्मांड के प्रति उनके शुरुआती आकर्षण को दर्शाता है।
बी. कार्तिक: उप परियोजना निदेशक, आरएलवी और वाहन निदेशक
बी कार्तिक ने आरएलवी कार्यक्रम के लिए उप परियोजना निदेशक का पद संभाला और आरएलवी पुष्पक मिशन के लिए वाहन निदेशक की भूमिका निभाई। इस भूमिका में वो वाहन के तकनीकी पहलुओं, जिसमें मिशन के दौरान इसका डिजाइन, विकास और प्रदर्शन शामिल है, के लिए जिम्मेदार थे। मिशन की चुनौतियों का सामना करने और इसकी सफलता सुनिश्चित करने में कार्तिक की तकनीकी सूझबूझ और नेतृत्व महत्वपूर्ण था।