Arunachal Pradesh Highway: भारत सरकार ने चीन सीमा के पास अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे (Arunachal Frontier Highway) के निर्माण को मंजूरी देकर एक बड़ा रणनीतिक फैसला लिया है। यह हाईवे लगभग 1400 किलोमीटर लंबा होगा और अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के 12 जिलों से होकर गुजरेगा। इस परियोजना से न केवल सीमावर्ती इलाकों की कनेक्टिविटी मजबूत होगी, बल्कि यह भारत की सुरक्षा रणनीति को भी मजबूती देगा। चीन (China) अरुणाचल प्रदेश के तवांग (Tawang) क्षेत्र पर दावा करता रहा है, ऐसे में इस हाईवे का निर्माण उसे कड़ा संदेश देने के समान है।
मोदी सरकार का बड़ा फैसला, 42,000 करोड़ की लागत
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने अरुणाचल प्रदेश के कामले (Kamle) जिले में आयोजित एक मेले में इस परियोजना की घोषणा की। उन्होंने बताया कि यह हाईवे 42,000 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा, जो पूर्वोत्तर भारत के लिए एक गेमचेंजर साबित होगा। यह अब तक का सबसे बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है, जिसे केंद्र सरकार ने एक बार में मंजूरी दी है।
रिजिजू ने कहा कि यह हाईवे रणनीतिक रूप से बेहद अहम होगा, क्योंकि यह ईस्ट कामेंग (East Kameng), बिशोम (Bishom), अपर सुबानसिरी (Upper Subansiri), शी-योमी (Shi-Yomi), अनजॉ (Anjaw) और चांगलांग (Changlang) जैसे संवेदनशील जिलों से होकर गुजरेगा। उन्होंने इस प्रोजेक्ट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व का नतीजा बताया।
सीमा से मात्र 20 KM दूर होगा हाईवे
अब तक मिली जानकारी के अनुसार, यह हाईवे कई स्थानों पर चीन सीमा से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर होगा। यह प्रोजेक्ट चीन को एक कड़ा संदेश देने के अलावा भारतीय सेना (Indian Army) की आवाजाही को भी आसान बनाएगा। इस परियोजना की घोषणा के दौरान भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) भी मौजूद थे।
इतिहास में दर्ज होगा यह हाईवे प्रोजेक्ट
अरुणाचल प्रदेश के बोसीमला मेले (Bosimla Fair) में इस हाईवे की घोषणा करते हुए रिजिजू ने कहा कि यह इलाका नेशनल हाईवे नेटवर्क से अब तक दूर था। इस कार्यक्रम में भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मौजूदगी को ऐतिहासिक बताया गया।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बोले – पूरा होने वाला है किरेन रिजिजू का सपना
इस दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि यह किरेन रिजिजू का सपना था कि अरुणाचल प्रदेश के लिए एक हाईवे मंजूर हो, जो अब पूरा होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
यह हाईवे अरुणाचल प्रदेश की निशी जनजाति (Nyishi Tribe) के सबसे प्रमुख त्योहार न्योकुम योलो (Nyokum Yullo) के दौरान घोषित किया गया, जो इस प्रोजेक्ट की ऐतिहासिकता को और भी बढ़ा देता है।
सीमा सुरक्षा और विकास के लिहाज से अहम है प्रोजेक्ट
यह हाईवे न केवल पूर्वोत्तर भारत की कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा, बल्कि सैन्य रणनीति के लिहाज से भी महत्वपूर्ण होगा। चीन लगातार अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जताता रहा है, ऐसे में यह प्रोजेक्ट भारत की मजबूत स्थिति को दर्शाता है।
निष्कर्ष: चीन को भारत का सीधा संदेश
मोदी सरकार के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत अब सीमावर्ती इलाकों को मजबूत करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे के निर्माण से न केवल चीन को स्पष्ट संदेश मिलेगा, बल्कि यह क्षेत्रीय विकास और सुरक्षा को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा।